भाव तभी तो खाते आम
सारे राजा कहे फलों का,भाव तभी तो खाते आम।
बड़ीअजब इनकी मिठास है,सबको तभी लुभाते आम।।
बड़े चाव से हैं हम खाते,केसरिया इनका है रंग।
पापा जब आते हैं घर तब,लाते साथ ढेर से आम।।
दांत नहीं हैं मुख में फिर भी, बुड्ढों की टपके है लार।
स्वयं बजार नहीं जाते तो, बेटे से बुलवाते आम।।
आंधी तूफानों को सहते, गिरते नहीं छोड़ जो शाख।
वही आम जीवों में अपनी,पूरी धाक जमाते आम।।
आम आदमी देख आम को,ललचाता रहता हर साल।
जमा खोर जो बेलगाम हैं, हैं महँगे बिकवाते आम।।
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दोहे तरुण के
शिव का डमरू बज उठा,आया श्रावण मास।
कावड़िए निकले सभी, बन कर तेरे दास।।
शिव सिर गंगा मात है,गले विषैला नाग।
दुष्टों पर फुफकार कर,उगल रहा है आग।।
बम भोले शंकर कहें, चलें हरी के द्वार।
देख भक्ति का यह अलख,चकित सकल संसार।।
शंकर भोले नाचते, बने हुए नटराज।
असुरों पर गिरने लगी,आसमान से गाज।।
सावन में कर लो सभी,शिव शंकर का जाप।
बाधाएं हों दूर सब, मिटे सकल संताप।।
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कुंडलिया
काले बादल बरसते, बजा- बजा कर ढोल।
झूठी दुनिया की सुनो,खोल रहे अब पोल।।
खोल रहे अब पोल, बनीअब सागर दिल्ली।
चली सड़क पर नाव,आप की उड़ती खिल्ली।।
सुनो तरुण की बात, शुरू में उफने नाले।
बाकी वर्षा काल, करें क्या बादल काले।।
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धार होना चाहिए
काव्य कोई भी लिखो जब धार होना चाहिए।
भाव के हलवे में भी तो भार होना चाहिए।।
आज हालत देश की जो चाहते सब शांत हो।
देश के दुश्मन सभी लाचार होना चाहिए।।
आधुनिक हों शस्त्र सारे फ़ौज ताकतवर रहे।
साथ में अपने खड़ा संसार होना चाहिए।।
बैर हम करते नहीं हैं यह सभी हैं जानते।
छेड़ हमसे जो करे उद्धार होना चाहिए।।
रौंद देंगे पाक को सब देश के जांबाज हम।
प्रण करो मां भारती से प्यार होना चाहिए।।
साथ जीने साथ मरने की शपथ ले लीजिए।
शांति से हम सब रहें अधिकार होना चाहिए।।