चैप्टर-1
दिन की कड़ी तपन के बाद धरती को जब रात में चंद्रमा की शीतल किरणें ठंडी करने लगीं तो हवा ने भी गरमाहट छोड़कर कुछ शीतलता वातावरण में घोल दी थी। विकास अपने पिता रामनाथ यादव के साथ गर्म कमरों की घुटन से तंग आकर बाहर खुली छत पर सो रहा था। उसका बड़ा भाई विनोद भी छत पर टेबल लैंप जलाकर पढ़ाई करने में लगा हुआ था। विनोद ने इस बार आईएएस के कम्पटीशन को क्लीयर करने का मन बना रखा था। किंतु रात गहराने के साथ उसे भी उबासियां आने लगी थीं, पलकें बोझिल होने लगी थीं। अतः उसने बिस्तर के बगल में रखे टेबल लैंप को स्विच आफ किया और मुंह पर चद्दर तानकर चंद्रमा की रोशनी से बचने की कोशिश करता हुआ सोने की तैयारी में लग गया।
गली के कुत्तों की आवाजें रात गहराने के साथ तेज होती जा रही थीं।
छत पर जोड़-तोड़ कर लंबे किए गए वायर वाला टेबल फैन गर्मी के खिलाफ संघर्ष कर रहा था।
रामनाथ बोकारो शहर के कारखाने में मैकेनिक हैं। फैक्टरी के अधिकतर क्वार्टरों की तरह उनका क्वार्टर भी दो मंजिला है। ये तीनों प्राणी उपरी मंजिल में रहते हैं। इस मंजिल पर सीढी खत्म होने के साथ छत शुरू होती है। इस छत के दूसरे छोर पर ड्राइंग रूम और दो बेडरूम हैं। एक जालीदार दीवार जो कि करीब 6 फीट उंची है छत को दो हिस्सों में बांटती है। यह जालीदार दीवार ड्राइंग रूम के दरवाजे से थोड़ी हटकर है। इसी गैप से छत की आगे या पीछे की ओर आया-जाया जा सकता ळें यह जालीदार दीवार चार फीट उंची बाउंड्री से घिरी है।
रात के बारह बज चुके थे। कुत्ते-कुत्ते भौंक-भौंक कर शिथिल होने लगे थे। चंद्रमा की रोशनी और स्ट्रीट लाइटों की रोशनी विकास की आंखों में चुभ रही थी। फिर गर्मी भी तेज होने के कारण उसे नींद नहीं आ रही थी। अतः कुछ देर के बाद वह आंखें खोलकर निढाल पड़ा हुआ था।
तभी नीचे पिछवाड़े से सरसराहट की आवाज आई। विकास ने सोचा कि शायद कोई बिल्ली-विल्ली होगी और वह करवट बदलकर आंखों को और फैलाकर लेटा रहा।
कुछ देर के बाद सरसराहट और तेज हुई। विकास को लगा कि क्वार्टर के पीछे की गली में किसी ने दौड़कर छिपने की कोशिश की हो। अब उसके दिल की धड़कन और तेज होने लगी। वह चाहकर भी आंखें बंद नहीं कर पा रहा था। उसके शरीर में कंपन होने लगा। उसे ऐसा लग रहा था मानो वक्त थम सा गया हो।
उसने सोचा कि क्यों न उठकर पीछे की गली में हुई सरसराहट की आवाज का कारण जानने की कोशिश की जाए। लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी। फिर उसने सोचा कि भैया तो काफी देर तक पढ़ाई करने से थके हुए होंगे और पिताजी भी दिन में अपनी ड्यूटी को अंजाम देने के बाद बुरी तरह से निचुड़कर घर आते हैं। ऐसे में यदि उसने कोई हरकत की तो इन दोनों की नींद डिस्टर्ब होगीं हो सकता है कि उसे डांट भी पड़ जाए। अतः वह मन मसोसकर बिस्तर पर आंखें खोलकर लेटा रहा।
इस बीच, सरसराहट और तेज हो गई।
क्रमशः
(काल्पनिक कहानी )