आखिरी चैप्टर
जैसे ही पिताजी नीचे गए विकास ने अपनी योजना पर अमल शुरू कर दिया।
विकास ने बिस्तर के तकिए आदि को ऐसे जमा दिया मानो दो आदमी चद्दर तानकर सो रहे हों।
फिर उसने टेबल फैन के तार पर लगे ब्लैक टेप को हटाकर उसे सावधानी पूर्वक अलग किया। फिर बिस्तर के पास रखे मटके से पानी निकालकर छत के एक हिस्से में डाला और उसी गीले भाग में टेबल फैन के तार का करेंट वाला हिस्सा पटक दिया।
फिर वह अपने भाई के साथ छत को दो हिस्सों में बांटने वाली दीवाल पर चद्दर डालकर उसकी ओट में छिप गया। उसने अपने भाई के हाथ में टेबल लैंप थमा दिया और उससे कहा कि जब दोनों चोर छत पर आएं तो तुम घड़े के गिलास से उसका बल्ब फोड़ देना।
कुछ देर में दोनों चोर जैसे ही छत पर कूदे विनोद ने टेबल लैंप का बल्ब फोड़ा। उससे हुई धमाके की आवाज सुनकर चोर चैंक गए और वे हड़बड़ा गए। हड़बड़ाहट में उनके पैरांे की चप्पलें निकल गईं और उनके पैर छत के एक हिस्से में बिखेरे गए पानी पर पड़ गए। पानी मे टेबल फैन के अलग किए गए तार से निकला करेंट आ रहा था। वे दोनों उसके झटके से गिर पड़े। उनके हाथों में जो लंबे-लंबे चाकू थे वे दूर छिटक गए।
इस बीच, रामनाथ ने नीचे पहुंचकर अड़ोसियों-पड़ोसियों को इकट्ठा कर लिया। उनमें से कुछ घर में जो भी लाठी-डंडा, झाडू, चिमटा आदि मिला उसे अपने-अपने हाथों में थामकर सीढियों से छत पर आ गए। कुछ ने छत के नीचे मोर्चेबंदी कर ली।
जब दोनों चोर करेंट का झटकाकर छत पर गिर पड़े तो विकास ने टेबल फैन के तार को एक लकड़ी से अलग किया और उसे छत के सूखे हिस्से में डाल दियां। करेंट का प्रवाह रुकते ही जैसे ही दोनों चोर उठने को हुए तब तक रामनाथ सात-आठ लोगों को लेकर वहां आ गए। इन सबने मिलकर चोरों को काबू में कर लिया और रस्सी से उनके हाथ-पैर बांध दिए।
जब हालात पूरी तरह से काबू में आ गए तो रामनाथ ने अपने दोनों बच्चों पर नजर डाली। वे दोनों एक लंबे संघर्ष के बाद मिली विजय से खुश नजर आ रहे थे। यह देखकर रामनाथ का चेहरा खिल उठा। वे दौड़कर बच्चों के पास पहुंचे और उन्हें गहरे आलिंगन में भरकर बोले- शाबाश! मेरे शेरों! त्ुमने एक बहुत बड़ा कारनामा कर दिखाया। दो चोरों को बुद्धि के हथियार से काबू में कर लिया। बेटा! जुग-जुग जिओ! भगवान तुम दोनों को लंबी आयु दे!
ठसके साथ ही उनकी आंखों में आंसू छलछला आए। यह दृश्य देखकर अड़ोसियों-पड़ोसियों की भी आंखें छलछला आईं। वे उन दोनों की बहादुरी और सूझबूझ की जमकर सराहना करने लगेे। इस बीच, किसी पड़ोसी ने पास के थाने में पुलिस को फोन कर दिया। कुछ ही देर में इंस्पेक्टर राघवेंद्र अपने दल-बल के साथ वहां पहुंचे। उन्होंने जब पूरा वाकया सुना तो वे विकास को शाबाशी देते हुए बोले – बेटा! हमें तुम पर नाज है। मैं तुम्हारे नाम की सिफारिश बहादुरी के इनाम के लिए करूंगा। यह सुनकर वहां मौजूद तमाम लोग विकास को बधाई देने लगे।
लोेगों का अपने प्रति ऐसा प्यार देखकर विकास बोला – अगर मुझे कोई इनाम मिला तो उसमें आप सब भी भागीदार होंगे। मैं उसकी आधी रकम को अपनी पीछे की गली में लाइट लगवाने में खर्च करूंगा ताकि फिर से ऐसी वारदात दोबारा नहीं सके! मैं समय पर की गई मदद के लिए आप सबका आभारी हूं!
इसके बाद तमाम लोग विकास की सराहना करते हुए अपने-अपने क्वाटर्स की ओर लौटने लगे। इंस्पेक्टर राघवेंद्र दोनो चोरों को अपनी जीप में बिठाकर थाने ले गए। विकास, विनोद और रामनाथ एक नई सुबह के इंतजार में खुशी-खुशी सोने की तैयारी करने लगे।
(काल्पनिक कहानी)