चैप्टर – 1
अपनी पत्नी सुमेधा के कहने पर आखिरकार शुभेंदु ने न चाहते हुए भी नई खरीदी कार की फोटो फेसबुक पर अपलोड कर ही दी। बढ़िया रॉयल ब्लू कलर की चमचमाती हुई कार की फोटो उस दिन उसके तमाम दोस्तों में चर्चा का विषय बनी रही। उसे ढेरों लाइक्स मिले और लाइक्स की संख्या बढ़ने के साथ उसका गुरूर भी बढ़ता गया।
इसी तरह शुभेंदु के दोस्त शाहनवाज ने एक दो लाख रुपये की नई बाइक खरीदी थी। उसने इस बाइक और अपनी वाइफ हिना के साथ एक सेल्फी सोशल मीडिया पर डाली तो उसे देखने वालों ने तारीफों के पुल बांध दिए। अपनी पोस्ट पर सोशल मीडिया में ऐसा रिस्पांस देखकर शाहनवाज की खुशी दोगुनी हो गई और वह पूरे दिन सीना फुलाकर शहर में घूमता रहा।
शुभेंदु के एक और दोस्त सुशील यादव को भी लाइक्स की ऐसी ही सौगात मिली। उसने हाल ही में टू बीएचके फ्लैट खरीदा था। और उसने बेहद भव्य गृहप्रवेश का कार्यक्रम आयोजित किया था। उसने गृहप्रवेश के मौके पर दिए गए शानदार भोज का वीडियो इंस्टाग्राम और फेसबुक पर डाला था। इस वीडियो के लिए उसे मिले लाइक्स की संख्या 1000 से भी अधिक हो गई तो खुशी के मारे उसकी आंखों में आंसू आ गए। उसे लगा कि उसने इतने लाइक्स बटोरकर मानो कोई बड़ा मैदान मार लिया हो।
आगरा शहर के तीन छोरों पर रह रहे इन तीनों दोस्तों ने जब रोजमर्रा के कार्यक्रम के तहत सुबह—सुबह एक दूसरे की पोस्ट्स देखीं तो मैसेंजर और चैटिंग के जरिए विचारों का आदान—प्रदान शुरू हुआ।
शुभेंदु — भई बधाई हो! शाहनवाज आपने बाइक खरीदकर अपनी शान में और इजाफा कर लिया है।
शाहनवाज — शानदार यार! आपकी कार तो बेहद शानदार है। मुझे इसकी सवारी कब करा रहे हो?
सुशील — हार्दिक बधाई हो शुभेंदु! उस कार का तो मैं फेन बन गया हूं।
शुभेंदु — वो तो यार आपकी भाभी के कहने पर फोटो डाल दी थी! आप लोगों ने भी तो अच्छी—अच्छी
कामयाबियां हासिल की हैं क्यो न इस मौके पर हम सब विद फैमिली इस संडे को पार्टी कर लें?
शाहनवाज — खयाल उम्दा है। मैं भी करीब दो—तीन साल से आप लोगों से मिल नहीं पाया हूं। मेरी स्पेयर पार्ट्स की शॉप है मेन मार्केट में। अच्छा लगेगा अगर हम लोग एक साथ पार्टी करें। जब भी स्पेयर पार्ट्स की जरूरत हो मुझे याद कर लेना।
सुशील — हां भई! हम सबने अच्छी कामयाबियां हासिल की हैं। मैं अपनी कंप्यूटर आपरेटर की नौकरी के कारण बेहद बिजी हो गया हूं। मेरा भी मन पार्टी करने का हो रहा है। तो कहां का प्रोग्राम रख़ें?
शुभेंदु — हम सब लंबे समय से सोशल मीडिया पर दोस्त हैं। बस, इसी पर हाय—हैलो करते रहते हैं। मैं एक कंस्ट्रक्शन फर्म में इंजीनियर हूं। प्राइवेट जॉब होने के कारण छुट्टियां बहुत कम मिल पाती हैं। लेकिन इस बार सोच रहा हूं कि क्यों न हम तीनों मिलकर अपनी—अपनी कामयाबियों का जश्न किसी थ्री स्टार होटल में मनाएं?
शुभेंदु के इस विचार से शाहनवाज और सुशील ने भी रजामंदी जता दी। उन्होंने तय कर लिया कि वे होटल प्रिंस में संडे की शाम 6 बजे पार्टी मनाने के लिए विद फैमिली पहुंचेंगे।
फिर तय कार्यक्रम के अनुसार शुभेंदु, शाहनवाज और सुशील अपनी—अपनी फैमिली के साथ होटल प्रिंस के बाहर पहुंच गए।
ये तीनों और उनके परिजन आपस में हाय—हैलो कर ही रहे थे कि एक बिलकुल फटेहाल दिव्यांग भिखारी उनके सामने आकर खड़ा हो गया। वह कातर स्वर में बोला —बाबूजी! दो दिनों से रोटी नहीं खाई है। पांच रुपये दे दो ना?
क्रमशः (काल्पनिक कहानी)