प्रस्तुति : शिखा तैलंग, भोपाल
जहाँगीर के सिक्के न केवल अपने सोने की मात्रा के लिए बल्कि फारसी कलात्मकता और भारतीय प्रतीकवाद के मिश्रण के लिए भी जाने जाते हैं।
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6. ब्रिटिश भारत के स्वर्ण सॉवरेन (19वीं-20वीं सदी)
हालांकि औपनिवेशिक, ब्रिटिश भारत ने भी सोने के सिक्के बनाए जो अब अत्यधिक संग्रहणीय हैं।
• रानी विक्टोरिया मोहर: बॉम्बे और कलकत्ता में ढाले गए, इन पर रानी की प्रोफ़ाइल अंकित थी और इनका उपयोग औपचारिक उद्देश्यों के लिए किया जाता था।
• किंग जॉर्ज पंचम मोहर: ये ब्रिटिश शासन के दौरान ढाले गए आखिरी सोने के सिक्कों में से थे।
• कलेक्शन के लिहाज से मूल्य: अपेक्षाकृत हाल ही में ढाले गए और ऐतिहासिक महत्व के कारण, ये सिक्के दुर्लभता और टकसाल की स्थिति के आधार पर ₹1 लाख से ₹10 लाख तक प्राप्त कर सकते हैं।
इन स्वर्ण सिक्कों को अक्सर भारत की सोने में सिक्का-ढलाई विरासत के सांकेतिक अवशेष के रूप में देखा जाता है।
इन सिक्कों को इतना मूल्यवान क्या बनाता है?
कई कारक इन प्राचीन सोने के सिक्कों का मूल्य निर्धारित करते हैं:
1. दुर्लभता – कम जीवित नमूनों का मतलब अधिक मूल्य है।
2. ऐतिहासिक महत्व – महत्वपूर्ण समय या शासकों के सिक्के अधिक रुचि आकर्षित करते हैं।
3. स्थिति (ग्रेड) – टकसाल या लगभग टकसाल की स्थिति में सिक्के काफी अधिक कीमत प्राप्त कर सकते हैं।
4. कलात्मकता और डिजाइन – जटिल, अद्वितीय डिजाइन एक सिक्के को अधिक वांछनीय बनाते हैं।
5. शुद्धता और वजन – उच्च सोने की मात्रा आंतरिक मूल्य जोड़ती है।
आज ये सिक्के कहाँ हैं?
इनमें से ज़्यादातर सिक्के या तो निजी संग्रह, संग्रहालयों में हैं या कभी-कभी स्पिंक, क्रिस्टी और हेरिटेज नीलामी जैसे वैश्विक सिक्का घरानों द्वारा नीलाम किए जाते हैं। भारत में, मुंबई सिक्का सोसायटी प्रदर्शनी जैसे विशेष आयोजन और क्लासिकल न्यूमिज़मैटिक गैलरी जैसे प्लेटफ़ॉर्म भी इन खजानों की झलक दिखाते हैं।
हालांकि, सावधान रहें: दुर्लभ सिक्के संग्रह की दुनिया में जालसाजी भी होती है। हमेशा सुनिश्चित करें कि सिक्के प्रतिष्ठित सिक्का विशेषज्ञों द्वारा प्रमाणित और वर्गीकृत किए गए हों।
आज देश में सोने के सिक्कों की ढलाई बंद है। आजकल जो सुनहरी चमक—इमक वाले सिक्के 5 रुपये व 10 रुपये के सिक्के देखने में आते हैं उनमें रत्ती भर भी सोना नहीं होता है। उनका निर्माण मिश्रित धातुओं से किया जाता है। ऐसे सिक्के देखने में भले ही सुंदर हों पर कलेक्शन के लिहाज से उनका आंतरिक मूल्य न के बराबर ही होता है।
निष्कर्ष: सोना जो एक कहानी कहता है
डिजिटल लेन-देन और क्रिप्टोकरेंसी के प्रभुत्व वाली दुनिया में, ये प्राचीन भारतीय सोने के सिक्के अतीत की एक ठोस कड़ी हैं। वे सिर्फ़ धन की वस्तुएँ नहीं हैं – वे लघु इतिहास की किताबें हैं, जिनमें से प्रत्येक एक समय, एक स्थान और एक लोगों की गवाही देती है।
चाहे आप एक भावुक संग्रहकर्ता हों या एक जिज्ञासु पाठक, दुर्लभ भारतीय सोने के सिक्कों की दुनिया भारत के गौरवशाली और विविध अतीत के प्रति विस्मय, प्रशंसा और गहरे सम्मान की दुनिया है।
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