यशवन्त कोठारी, जयपुर
वास्तव में प्रेम दुधमुंहे बच्चे की हंसी में है। वह एक कवांरी लड़की के सपनों में है। वह हर तरफ बिखरा हुआ है। उसे देखने वाली आंख होनी चाहिये युद्ध में भी प्रेम ढ़ू़ढ़ा जा सकता है रेडक्रास की मानवीय सेवा ऐसे ही प्रेम का उदाहरण है।
प्यार रूमानी या रूहानी हो सकता है। प्रगाढ़ मित्रता का प्यार भी संभव है। भावुक ज्वार की तरह भी जीवन में प्यार आता है। तार्किक बौद्धिक प्रेम भी होता है। प्लोटोनिक लव के उदाहरण भी है। प्लोटोनिक लव का आधार अच्छा है। इसमें सद्गुण और सच्चाई होती है। ऐसे लोगोें की आत्मा एक ही होती है। शरीर अलग अलग हो सकते है। ओशों के अनुसार प्रेम मृत्यु है, अहंकार की मृत्यु है। अहंकार की मृत्यु पर आत्मा का जन्म होता है। प्रेम में वासना या प्रसंग होता ही है। ईर्ष्या या घृणा भी प्रेम जितनी ही महत्वपूर्ण है।
व्यक्ति स्वयं प्रेम में चुनने का अधिकार रखता है, मगर प्रकृति स्वयं निर्णय करती है। और प्रेम आपको चुनता है। हजारों लाखों या करोडों में आपको वही एक क्यों पसन्द आया आप उसे उसकी समस्त कमजोरियों के साथ क्यों प्यार करते है। उस का छोटे से छोटा आंसू आपको हमंश के लिए क्यों रूला देता है या रूला देने की शक्ति रखता है। हर प्रेम अनांेखा अलग व नयापन लिए हुए होता है। जितनी तरह के मनुष्य उतनी तरह का प्रेम संभव है। प्रेम याने एक दूसरे को समझना महसूस करना अहसास लेना और देना देने मे जो आनन्द है वो लेने में नहीं।
त्रासद प्रेम कथाओं से साहित्य संसार भरा पडा है। सुखद प्रेम से ज्यादा अहमियत दुखद या त्रासद प्रेम की है। शेक्सपियर, कालीदास से लेकर आजतक हजारों प्रेम कहानियां लिखी गई है। फिल्में बनाई गई है। चित्र बनाये गयें है। और प्रेम की अविरल धारा बहती है।
लैला मजनू, हीर रांझा, सोहनी महिवाल, शकुनंतला दुश्यंत, नल दमयंती, सस्सी पुन्नू, शीरी फरहाद, राधा कृष्ण, जगत रसकर्पूर आदि सैकडों हजारों कहानियां जनमानस में हजारों वर्षो से प्रेम की गाथा गा रही है। सुना रही है। और दुनिया सुनती है। प्रेम में फूलों का विवरण भी आवश्यक है। गुलाब प्रेम का प्रतीक है।
प्रेम करते है तो इजहार करो अभिव्यक्त करें और प्रणय याचना प्रणय प्रार्थना में संकोच न करें। वसन्तोत्सव, मदनोत्सव, वेलेन्टाइन डे इसीलिए बनाये गये है। साइबर लव चैटिंग भी बुरा नहीं है। बस अपने पार्टनर्स के बारें में सब कुछ अच्छी तरह जान लें। समझलें। धोखा न खायें। प्रेम संकेतो को समझने के लिए बाजारों में कई पुस्तकें उपलब्ध है। पशु पक्षी भी प्रणय संकेतों का आदान प्रदान करते है।
प्रेम और कविता का सामंजस्य पुराना है। गीत भी प्रेम के प्रतीकों से भरे है। लोकगीतों में प्रेम प्यार, मोहब्बत का इजहार खूब हुआ है। प्रेम के बिना जीवन अधूरा है।
प्रेम और प्यार दोनों में ही पहला शब्द अधूरा है। मगर प्यार पूरा करने का प्रयत्न तो किया ही जा सकता है। इसके पहले कि बाजारवाद प्रेम की उद्दात्त भावना को लील जायें एक सम्पूर्ण प्रेम कर डालियें। आमीन।
(समाप्त)