रचनाकार: यशवंत कोठारी, जयपुर
मनुष्य को हजारों वर्षों से जिस रोग ने परेशान कर रखा है, वह कब्ज ही है। जुलाब की
दवाओं की बिक्री के रेकार्डो से ज्ञात होता है कि कब्ज यूरोप अमेरिका जैसे देशों की भी
एक प्रमुख बीमारी है। आंकडों के अनुसार अस्पताल में आने वाले 85 प्रतिशत रोगी
कब्ज के होते हैं।
बड़ी आंतों पर मल का कब्जा अर्थात अधिकार ही कब्ज कहलाता है। कब्ज के
कारण मुख्यतः ये है:-
मल का समय पर नहीं निकलना,
मल में गांठें पड़ जाना,
शौच में अधिक समय लगना,
बार बार शौच जाने की इच्छा होती रहना।
आयुुर्वेद ऋषि सुश्रुत के अनुसार मल के बड़ी आंतों में जमा हो जाने और प्रकुपित
वायु के कारण बंधकर या सूखकर अपने रास्ते से बाहर न आने को कब्ज कहा जाता है।
मल का कम बार अथवा कठिनाई से निकलना बडी आंतों के बाएं आधे हिस्से में
पड़े रहने के कारण है। इसी मल के आंतों के दाहिने हिस्से में रूकने पर शौच की बार
बार इच्छा होती है। मल पतला होकर आता है।
सामान्य व्यक्ति कब्ज को कोई रोग नहीं मानते, न ही इस तरफ पर्याप्त ध्यान
देते हैं। लेकिन लगातार कब्ज होने पर फोड़े, फुंसी, भंगदर, स्वप्नदोष, मंदाग्नि, पायरिया,
बाल झड़ना, ब्लड़ प्रेशर, अजीर्ण, गठिया, जैसी बीमारियों की संभावना हर समय बनी
रहती है।
कब्ज के रोगी की पहली शिकायत सिर का भारी होना तथा शरीर में आलस्य
आना है। आगे जाकर इसका असर मनुष्य की कार्य क्षमता पर भी पड़ता है। आंतांे में
मल के पड़ा रहने पर बदबू से परेशानी उत्पन्न होती है।
कब्ज: कब्ज होने के कुछ प्रमुख कारण निम्न हैः-
हाजत रोकना:-
हाजत होने पर तुरन्त ही शौच जाना चाहिए। बिना हाजत के शौच जाना बेकार है। कई
लोग सोचते हैं कि 24 घंटों में एक बार शोच जाना पर्याप्त है, लेकिन ऐसा नहीं है। पूरे
जन्तु समाज में ऐसा नहीं है। पाश्चात्य विद्धानों के अनुसार भी शौच एक से अधिक बार
जाना चाहिए।
भोजन की अनियमितता:-
खाने में अनियमितता, बार बार खाना या बेसमय खाना कब्ज का एक प्रमुख कारण है।
जहां तक सम्भव हो निश्चित समय पर निश्चित स्थान पर खाने से कब्ज से बचा जा
सकता है।
निंद्रा में व्यवधान:-
देर सवेर सोने, या देर से उठने से भी कब्ज की पर्याप्त संभावना बनी रहती है। एक
शोधकर्ता के अनुसार आंतों में पदार्थ निद्रावस्था में बहुत धीरे धीरे आगे बढ़ते हैं, पर
खाते समय तथा जागते समय तेजी से आगे बढ़ते हैं।
क्रमश: