रचनाकार : यशवन्त कोठारी, जयपुर
नहीं करती हूं, बोलो क्या कर लोगे।
क्यौं पड़ोसियों को तमाशा दिखा रही हो। नहीं मानती तो ये लो, और चटाक से झापड़ रसीद कर देता है।
मारो और मारो, मेरे हर प्रश्न का अन्तिम जवाब यहीं तो है, तुम्हारे पास।
किरायेदारिन रोने लगती है। प्रोफेसर साहब बाहर निकल जाते हैं। मकान मालकिन यह सब देख सुन कर मन ही मन खुश हो रही है। और हे पाठकों, लोक लाज के डर से आकर किरायेदारिन समझाती है-
क्या बात है बहू?
कुछ नहीं।
देखो ऐसे गुस्सा मत किया करो। मरद है, कहीं पांव बाहर निकल गया तो मुसीबत हो जायेगी।
किरायेदारिन रोने लगती है। मकान मालकिन सांत्वना देती है।
देखो तुम उस मिसेज शर्मा से सावधान रहना। बड़ी चालू चीज है। पहले वाले किरायेदार पर खूब डोरे डाले। बेचारा आधी रात को भागा। आज तक वापस नहीं आया। ये मिसेज वर्मा थी जो किरायेदारिन को आगाह कर रही थी।
अच्छा, अब से सावधान रहूंगी। कल हमारे घर पर आई थीं।
अरे बड़ी बदमाश औरत है। यह औरत गली-गली सूंघती फिरती है। कहां क्या पक रहा है। शर्माजी के व इसके तो रात दिन झगड़ा चलता रहता है। ये भौंकती है, और वो पिटाई करते हैं।
मिसेज वर्मा ने आगे कहा, ‘‘ मुझे बदनाम करती है। कहती है, तुम तो राघवन साहब के लगी हुई हो। अरे भाई वो मेरे पति के बॉस हैं, एक ही मोहल्ले में रहते हैं। हंसना बोलना कोई गुनाह है, तुम्ही बताओ !’’
नहीं जी, हंसना तो आवश्यक है। स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है।
हां, नहीं तो क्या। लेकिन इन मूर्खों को क्या समझाऊं।
अच्छा, ऑपरेशन तो अभी नहीं कराया होगा।
नहीं जी, बस ऐसे ही काम चला लेते हैं।
मैंने तो दो बच्चों के बाद ही काम निपटा दिया, सब खैरियत। और इस मिसेज शर्मा को देखो पांचवा है। पता नहीं किसका है। पति तो मरगिल्ला हो रहा है।
होगा जी, अपना क्या।
किसी से ना कहना, बहना।
हां बहना।
मिसेज गुप्ता और मिसेज राघवन में नहीं बनती है। बनने का प्रश्न ही नहीं पैदा होता। क्योंकि दोनों के पति एक ही दफ्तर में है और इन दोनों का बॉस भी इसी कॉलोनी में रहता है। बॉस के यहाँ पर गुप्ता दम्पत्ति जाते हैं तो राघवन दम्पत्ति नाराज हो जाते है। राघवन दम्पत्ति जाते हैं, तो गुप्ता दम्पत्ति नाराज। इस शास्त्रीय नाराजगी के अलावा गुप्ता सीनियर है और राघवन जूनियर। लेकिन मिसेज राघवन इस बात को कोई महत्व नहीं देतीं। अक्सर सब्जी, दूध या पानी के बिल जमा कराने के चक्कर में आपस मंे मुठभेड़े होती रहती है। दोपहर का समय था। पति लोग दफ्तर में थे। बच्चे स्कूल में थे और मोहल्ले में सब्जी वाला आया हुआ था। यही तो वह समय होता है, जब मोहल्लेदारिनें जमादार हो जाती हैं।
मिसेज राघवन ने सब्जी वाले को अपने सामने ठहरवा लिया। मिसेज गुप्ता वहां नहीं आई।
क्रमश:
(काल्पनिक रचना)
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