रचनाकार : समीर गांगुली
कोशिश यही रहेगी कि मैं जो भी लिखूं, उसे विश्वसनीयता मिले. वरना आज हिन्दी बाल साहित्य में अत्यधिक लिखा जा रहा है. कुछ किताबें अगर ना छपती तो अच्छी किताबों को सांस लेने के लिए ज़्यादा जगह मिलती.
तो मित्रो, मैंने तय किया है कि इस ॠंखला में अपनी किताबों की चर्चा करूंगा. और शुरूआत अपनी चार किताबों से करूंगा. आप चाहें तो इसे अपनी किताबों की मार्केटिंग का तरीका भी कह सकते हैं. लेकिन एक बात स्पष्ट कर दूं , मैं अपनी जिस पहली किताब की चर्चा करने जा रहा हूं मेरे प्रकाशक के कहे अनुसार उसकी पांच सौ प्रतियां पहले दो महीनों में ही बिक चुकी है. और बच्चों की इस पुस्तक का नाम है- एक गुलाबी भैंसा, अलग सा.
‘‘एक गुलाबी भैंसा, अलग सा’’ छोटे बच्चों के लिए एक मोटिवेशनल उपन्यास है. इसे फ्लाईड्रीम्स पब्लिकेशन द्वारा सुंदर , रंगीन और कलात्मक चित्रों के साथ प्रकाशित किया गया है. 54 पेज की इस किताब की एमआरपी रु.199/- है, लेकिन समय-समय पर यह छूट के साथ भी उपलब्ध है.
यह कहानी बलशाली जंगली भैंसों के विशाल दल में एक बौने रह गए और अपना मूल काला रंग खोकर गुलाबी हो गए भेड़े जितने भैंसे की अपने जीवन का मकसद ढूंढने की कहानी है. इस किताब में आप उसकी जुबानी उसकी इस खोज यात्रा की कहानी सुनेंगे. जहां उसे शेर, भालू, मगरमच्छ, केकड़े, सियार जैसे कई जीव मिलते हैं और उसे अपने जीवन का मकसद ढूंढने में मदद करते हैं. यह गुलाबी भैंसा खुशबूदार है और हर हाल में खुश रहना जानता है. ग्यारह अध्यायों में जीवन संदेश तो है मगर ज्ञान या उपदेश कहीं नहीं है और न ही सीख बांटने वाली भाषा का प्रयोग किया गया है. यही किताब जब अभिभावक पढ़ेंगे तो उन्हें ये सब जीव प्रतीकात्मक लगेंगे और इसमें मनुष्यों की वह दुनिया नज़र आएगी, जिसमें आज हम तमाम चुनौतियों के साथ जी रहे हैं.
प्रकाशित होते ही मेरी इस पंद्रहवीं पुस्तक ने काफी धूम मचायी है. प्री -बुकिंग में ही अमेजॉन में बेस्ट सेलर की लिस्ट में आने से लेकर हिन्दी बाल साहित्य के अनेक मर्मज्ञों ने इसकी तारीफ में बहुत कुछ लिखा है, जिनमें श्री दिविक रमेश, डॉ. सुरेंद्र विक्रम, श्री देवेन मेवाड़ी, श्री संचय जैन, श्री संजीव जायसवाल संजय, श्री रमेश तैलंग, श्री सूर्यनाथ सिंह, श्री फारूक आफरीदी जैसे दिग्गज शामिल हैं. गुजराती के प्रसिद्ध साहित्यकार श्री वीनेश अंतानी ने दिव्य मास्कर में अपने साप्ताहिक कॉलम में इस पुस्तक की भूरि-भूरि प्रसंशा की है. इस पुस्तक का अन्य भाषाओं में अनुवाद पर भी बात चलनी शुरू हुई है. मुझे यकीन है कि मेरी इस किताब को अगर आप पढ़ेंगे तो उसमें विषय, भाषा तथा शैली का एक नयापन पाएंगे. अपनी हर किताब में मेरा आग्रह रहता है कि वह पिछली किताब से हटकर हो.
इस किताब को आप अमेजॉन या प्रकाशक से सीधे प्राप्त कर सकते हैं जिसका विवरण नीचे दे रहा हूं:
प्रकाशक संपर्क : 9660035345
अगले अंक में हम बिना किसी भूमिका के अपनी एक दूसरी किताब ‘‘ मायावन और धन धना धन के बारे से आपसे बातचीत करूंगा, जो कि आर्थिक साक्षरता पर है और शेयर मार्केट में निवेश की पृष्ठभूमि में अपनी तरह का संभवत: पहला और अकेला किशोर उपन्यास है.
तब तक के लिए नमस्कार!
क्रमश: