दीप जलायें ऐसे
दीप जलायें हम सब ऐसे कहीं बचे न अंधियारा
और रोशनी ऐसी फैले,, चमक उठे ये जग सारा ।
दम्भ- द्वेष का तिमिर मिटे जो मन रोशन कर दे,
स्नेह -प्रेम का दीप जले घर आंगन हो उजियारा ।
आओ दीप जलायें हम सब,,,ज्योति पर्व मनायें ,
तिमिर भगायें दूषित मन के ,,,,,स्नेह प्रेम बरसायें
दीपक हर रोज जलाते हैं पर होती नही दीवाली,
प्रभु राम का हुआ आगमन,, खूब लगे जयकारा ।
दीवाली पर जगमग जगमग कर देना घर आंगन,
और बुराई सभी हटाकर,,,, कर लेना मन पावन ,
ज्योति संग मिट जाये सारा मन का कलुष हमारा।
और रोशनी ऐसी फैले ,,,,चमक उठे ये जग सारा ।।
प्रेम और सौहार्द बढ़ाकर,,,,,,,,करना दूर विकार,
मानवता धर्म का दीप जले हो जाए जग उजियार।
दीप जलाना तभी सार्थक मन उज्जवल हो हमारा,
और रोशनी ऐसी फैले ,,,,चमक उठे ये जग सारा।
– सुशीला तिवारी, पश्चिम गांव, रायबरेली
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ज्ञान का दीप जलायें
आओ ज्ञान का दीप जलायें,
दीपावली का त्योहार मनायें ।
बैर – भाव का त्याग करें हम ,
प्रेम – भाव सौहार्द निभायें ।
अंधकार मिटे अंतर्मन का ,
स्नेह , प्रेम अमृत बरसायें ।
करें उजाला ज्ञान दीप से ,
दम्भ , द्वेष सब दूर भगायें ।
कहीं अंधेरा रह न जाये ,
दया, धर्म के मोती बिखरायें ।
पूजन करें लक्ष्मी,गणेश का ,
सबका शुभ हो शीश झुकायें।
–सुशीला तिवारी, पश्चिम गांव, रायबरेली
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जग उजियारा कर दो
प्रेम का दीप जला कर,
जग उजियारा कर दो ।
दंभ द्वेष का तिमिर मिटा दो,
श्रद्धा और करूणा भर दो ।
ऐसे दीप जलाना मन से,
कही अंधेरा रह न जाये।
अन्धकार की उसी आंड में,
मानव दानव न बन जाये।
हर मानव के मन मस्तिष्क मे,
प्रेम -सुधा रस भर दो ।
प्रेम के दिये जलाकर तुम
जग उजियारा कर दो ।
मधुर – मधुर मेरे दीपक जल,
मेरे मन में हर छिन पल।
-सुशीला तिवारी , पश्चिम गांव, रायबरेली
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स्याह अमावस रात
चलो जलाएं दीप हम,स्याह अमावस रात।
तम के षठ पाषाण पर,करें पुष्ट आघात।।
दीपोत्सव पर सब चलो,रोशन करें चिराग।
आतिश बाजी तो करें, लगे नहीं पर आग।।
धारण कर परिधान नव,मन में रख उल्लास।
कभी नहीं करना मगर, दीनन का उपहास।।
दीप जला आया तरुण, दीवाली त्यौहार।
आने वाले वर्ष के,खुशियों का आधार।।
माटी के दीपक जला, उन्नत होगा देश।
जीवित स्वाभिमान रहे,स्वच्छ बने परवेश।।
–पंकज शर्मा “तरुण ” , पिपलिया मंडी. जिला मंदसौर (म.प्र.)
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प्रेम का दीपक
आओ प्रेम का दीप जलाए आज दीवाली से
अपने मन का तम हम मिटाए आज दीवाली से
घर घर में प्रकाश भरा हो
रहे नही अब अंधियारा
आज अहद ये करले मन में
ले आए हम उजियारा
श्री राम के आगमन की
ख़ुशियाँ हम दोहराते
आओ राम की प्रथा निभाए आज दीवाली से
चरित्र राम का पावन निश्छल
सत्य से था प्रकाशित
सत्ता का कोई लोभ नहीं था
होता है प्रलक्षित
अब उस आदर्श नाम का
करते है उपयोग
उनके नाम से सत्ता पाने
करते है प्रयोग
अब तो राम ही राह दिखाए आज दीवाली से
जिस राजा के मन में होता
समदर्शी भाव
वहा सदा खुशहाली रहती
होता नहीं अभाव
हत्या दंगा लूट खसोट से
राष्ट्र नहीं टिक पाएगा
जहाँ पतन हो गया लोग का
सदा सदा झुक जाएगा
शबनम मिल कर देश उठाए आज दीवाली से
अपने मन का तम हम मिटाए आज दीवाली से
–शबनम मेहरोत्रा, कानपुर