रचनाकार : हेमन्त पटेल, भोपाल (मप्र)
विक्रांत-(फोन पर) हाँ! मैं कल शाम तक पहुँच जाऊंगा। अभी तो मैं मुम्बई-पुणे हाइवे पर हूँ।
आवाज – क्यों?
विक्रांत – अरे भाई गाड़ी में कोई दिक्कत आ गई है। कोई गाड़ी गुजरे तो लिफ्ट लेता हूँ वहां से राइटर्स एसोसिएषन के ऑफिस का काम निब्टाते हुए। कल शाम को दिल्ली; फिर हम चाहो तो करोल बाग चलेंगे या सरोजनी नायडु मार्केट।
आवाज – OK! मिस यू…, बाय।
विक्रांत एक गाड़ी को आता हुआ देखता है, हाथ देता है। गाड़ी में पीछे बैठा व्यक्ति गाड़ी रोकने को कहता है। (वह विक्रांत के पास खड़ी कार को ठीक करते हुए एक व्यक्ति को देखता है। अंदाजा लगाया शायद गाड़ी बंद पड़ गई है।)
क्या आप मुझे नजदीकी बस स्टॉप तक लिफ्ट दे सकते हैं, या जहां से मुझे मुम्बई के लिए बस या टैक्सी मिल जाए। यहां आज ओला और ऊबर की सेवाएं काम नहीं कर रही हैं।
अजय द्विवेदी (अन्दर बैठे शख़्स इनकी उम्र करीब 56 वर्ष होगी) कहते हैं, yes come…
विक्रांत कार में बैठ जाता है।
अजय द्विवेदी – वैसे कहां जाना है आपको।
विक्रांत – मुम्बई।
अजय द्विवेदी – व्ज्ञए तो आप चल सकते हैं, मैं भी वहीं जा रहा हूँ।
अजय द्विवेदी टाइम्स ऑफ इंड़िया पढ़ रहे हैं। पेपर में कुछ निषान भी लगा रहे हैं। विक्रांत की नजर, सीट पर लगे हिन्दी न्यूज पेपर पर पड़ती है।
विक्रांत – क्या मैं यह पढ़ सकता हूँ…
अजय द्विवेदी-Sure…
विक्रांत फ्रंट पेज पढ़ता है, कुछ देर बाद वह ठीक पेपर को पीछे पलट लेता है। यहां बॉटम में एक ख़बर को वह ध्यान से पढ़ता है।
ख़बर
एजेंसी, भुवनेष्वर। 12 साल की लक्ष्मी भूख के मारे अचेत थी। भात-भात बोलती रही। उसे भात तो मिला, पर दाल नहीं। पूरी रात उसने जिला अस्पताल में ऐसे ही गुजारी, उसे अभी पता नहीं है कि कल रात के हादसे के बाद जो छत और दीवार गिरी थी, उसमें उसकी मां, पिता और छोटा भाई गुजर चुका है। सरकार तमाम सरकारी अस्पतालों की तरह इसे भी अच्छा खासा बजट देती है। जिला स्वास्थ्य अधिकारी इसे देखते हैं।
गनिमत है, लक्ष्मी को भात मिला; बीते साल एक महिला की भूख से इसी अस्पताल में मौत हो गई थी। प्रत्यक्षदर्षी बता रहे थे, वह भात-भात चिल्ला रही थी, शासन-प्रषासन इस घटना पर अब तक मौन है। विक्रांत की आंखों में आंसू उतर आए।
ड्रायवर ने अपने साहब को देखने यूहीं बैक मिरर में देखा। दोनों की नजरें टकराईं, वे अ-सहज हुए। इसी बीच उसने पिछली जेब से रूमाल निकाला, वह चष्मा हटाकर आंसू पोछने को ही हुआ कि अजय ने पूछा- ”क्या हुआ?“
(क्रमशः )