रचनाकार : शिखा तैलंग
रामलाल और उसके साथी बेहद उदास थे। जन्माष्टमी में सिर्फ एक सप्ताह रह गया था और इनक्रीमेंट मिलने का कोई ठिकाना नहीं था। वैसे हर साल अमूमन अप्रैल में इनक्रीमेंट लग जाता था।
बच्चे रामलाल से रोज पूछते पापा जन्माष्घ्टमी के लिए मिठाई, भगवान के लिए कपड़े आदि लेने कब चलेंगे। वह मन मसोस कर रह जाता। दिन-रात इसी तनाव में डूबा रहता कि पता नहीं इस बार इनक्रीमेंट मिलेगा कि नहीं।
दिन बीतते गए। जन्माष्टमी में दो दिन ही रह गए। चूंकि बॉस कृष्ण भक्त थे अत: उन्होंने जन्माष्टमी की दो दिन की छुट्टी से पहले ऑफिस में पूजा का आयोजन किया। उन्होंने पूजा पर खूब खर्चा किया। पंडितजी को अच्छी खासी रकम बतौर दक्षिणा दी। श्रीकृष्ण के जन्म की झांकी ढेर सारी लाइटिंग के बीच सजाई गई। पूरे स्टाफ ने पूजा—पाठ में जमकर भाग लिया। इस बीच, रामलाल प्रार्थना करता रहा कि काश! इस मौके पर बॉस इनक्रीमेंट का ऐलान कर दें तो उसकी तमाम चिंताओं पर विराम लग जाए।
पूजा—पाठ से निपटने के बाद बॉस ने एक छोटा-सा भाषण दिया। जिसमें उन्होंने कहा कि कंपनी के कुछ प्रोडक्ट्स की मांग में गिरावट की वजह से कंपनी को थोड़ा नुकसान हुआ है। इसलिए इनक्रीमेंट रोका है। उन्होंने यह भी कहा कि कर्मचारियों को कंपनी की स्थिति को देखते हुए सहयोग करना चाहिए तथा अपने काम को फल की चिंता किए बगैर करते रहना चाहिए।
यह सुनकर रामलाल के मन में आक्रोश फूट पड़ा। उसे लगा कि उसके और उसके परिजनों के तमाम अरमानों पर पानी फिर गया हो। अभी रामलाल उधेड़-बुन में था कि तभी बॉस ने सबको कोई छोटा—मोटा गिफ्ट दिया। रामलाल भी गिफ़्ट लेने कतार में लग गया।
जब उसकी बारी आई तो उसने गिफ्ट और मिठाई का डिब्बा बड़े अनमने ढंग से लिया और जानबूझकर गिफ्ट को बॉस के पैरों के पास पटक दिया। बॉस मारे दर्द के कराह उठे। इस पर रामलाल बोला- ‘यह लीजिए सर! मेरी ओर से रिटर्न गिफ़्ट!!!’ और इसी के साथ वह बाहर निकल गया।
और कोई बॉस होता तो वह रामलाल को नौकरी से निकाल बाहर करता। पर उन्होंने इस मामले पर ठंडे दिमाग से विचार करने का मन बनाया और जब जन्माष्टमी के बाद आफिस खुला तो उन्होंने रामलाल से काफी नरमी से पूछा कि उसने उनके पैर के पास रिटर्न गिफ्ट क्यों पटका था? रामलाल ने इन्क्रीमेंट नहीं मिलने और परिवार वालों की फरमाइशों के बारे में बॉस को सच—सच बता दिया।
बॉस समझ गए कि कर्मचारियों को इन्क्रीमेंट मिलने से प्रोत्साहन मिलता है और उनके परिजनों की इच्छाओं को पूरा करने में मदद मिलती है। अत: उन्होंने दो दिनों के भीतर अपने सेल्स और मार्केटिंग डिपार्टमेंट को कंपनी के प्रॉडक्ट्स के लिए विशेष बिक्री अभियान चलाने की आक्रामक रणनीति अपनाने का निर्देश दिया।
इस रणनीति से कंपनी के प्रॉडक्ट्स की बिक्री में सुधार हुआ और एक महीने का टारगेट एक सप्ताह में ही पूरा कर लिया गया। इसके बाद बॉस ने सबके लिए 9 फीसदी इनक्रीमेंट का ऐलान कर दिया।
अब रामलाल के अलावा अन्य कर्मचारियों की भी खुशियों का भी कोई ठिकाना नहीं था।
(काल्पनिक रचना )