चैप्टर – 2
इसके बाद इंस्पेक्टर मानवेंद्र अपने साथ दो कांस्टेबलों और एक फोटोग्राफर को लेकर कमरे के अंदर गया। कमरे में सबकुछ ठीकठाक लग रहा था। पहली नजर में ऐसी कोई संदेह वाली बात नहीं दिख रही थी। उसने अपनी पैनी नजर कमरे में चारों ओर घुमाई। इसी क्रम में उसकी नजर दीवार पर टंगी घड़ी पर गई। उसने उस घड़ी के टाइम को अपने मोबाइल फोन की घड़ी से मिलाया। उसकी सुइयां कोई 20 मिनट पीछे का समय बता रही थीं। जहां योगगुरु अधिकतर बैठकर योगाभ्यास करते थे वहां केबल के तार का छोटा सा टुकड़ा पड़ा हुआ था। इस बीच फोटोग्राफर घटनास्थल के हर मुमकिन एंगल से फोटो खींचता रहा। इंस्पेक्टर ने सोचा कि कहीं केबल के तार से गला दबाकर योगगुरु की हत्या की कोशिश तो नहीं की गई थी? यदि अपराधी योगगुरु को मारना चाहता होगा तो उसकी क्या वजह रही होगी? इस तरह के सैकड़ों सवालों का सैलाब उसके दिमाग में उमड़ पड़ा। इससे पहले कि वह और दिमाग लगा पाता कि बाहर से एक कांस्टेबल भागता हुआ आया और बोला ।
कांस्टेबल – साहब!बाहर मीडिया वाले आ गए हैं और वे आपसे योगगुरु के साथ हुए जुर्म के बारे में सवाल—जवाब करना चाह रहे हैं।
इंस्पेक्टर अपने साथ आए दोनों कांस्टेबलों से बोले कि वे कमरे में सतर्क रहें। इसके बाद उन्होंने बाहर जाकर एक कांस्टेबल को पास के किसी अस्पताल से एंबुलेंस बुलाने के लिए फोन करने का निर्देश दिया और खुद मीडिया कर्मियों के पास पहुंच गए। इंस्पेक्टर को देखते ही मीडियाकर्मियों ने सवालों की बौछार शुरू कर दी—
मीडियाकर्मी – योगगुरु जिंदा हैं या मृत? यदि उन्हें मारने की साजिश की तो किसने की होगी? क्या उनकी किसी से दुश्मनी थी? क्या बीबी सुनंदा से उनकी बनती थी? उनका बेटा गोल्डी कहां है? उनकी बेटी सुमेधा को इस वारदात के बारे में जानकारी हुई या नहीं? क्या योगगुरु के साथ लूटपाट की कोशिश की गई थी? क्या योगगुरु का नौकर श्यामलाल आज घर पर था? आदि—आदि।
ये सब सवाल सुनकर इंस्पेक्टर ने कहा— धीरज रखिए! पुलिस को भी इन और इन जैसे कई सवालों के जवाबों के तलाशने हैं। बस अभी इतना ही कहना चाहूंगा कि योगगुरु जिंदा हैं। उनकी जान लेने की कोशिश किसी ने जरूर की थी पर वह कामयाब नहीं हुआ। हां, घटनास्थल पर घड़ी की सुइयों के 20 मिनट पीछे होने और घटनास्थल पर केबल के तार का एक टुकड़ा मिलने से लगता है कि एक सोची—समझी साजिश की तहत योगगुरु की जान लेने की कोशिश की गई थी। अभी जांच का बहुत काम बाकी है। हम जल्द ही हमलावर का पता लगा लेंगे। अभी योगगुरु की पत्नी और बेटी इंदौर में एक शादी में गई हुई हैं। गोल्डी पिक्चर देखने के लिए गया हुआ है। हमने उसे फोन लगा दिया है। वह भी आता ही होगा। फिलहाल हमारी प्राथमिकता योगगुरु को मौजूदा हालत से उबारना है। हमने एंबुलेंस बुला ली है और उन्हें टीटी नगर अस्पताल में भर्ती कराने का इंतजाम कर दिया है। आज के लिए बस इतना ही!
हालांकि मीडियाकर्मी इंस्पेक्टर के जवाबों से पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे पर उन्हें भी लगा कि यह मामला चूंकि काफी पेचीदा लग रहा है। अत: पुलिस को जांच के लिए थोड़ा समय तो देना ही होगा।
मीडिया के सहारे यह खबर परवान चढ़कर शहर की सीमाओं से निकलकर पूरे प्रदेश में फैल गई थी। पुलिस ने भी वसुधाकर की पत्नी और बेटी को योगगुरु पर हुए जानलेवा हमले की खबर मोबाइल फोन से दे दी थी। खबर पाते ही वे लोग शादी की दावत छोड़कर जबलपुर की ओर प्राइवेट टैक्सी करके निकल पड़े। देर रात तक वे लोग घर आ चुके थे।
उधर, अस्पताल में भर्ती योगगुरु की हालत प्राथमिक उपचार के बाद ठीक हो रही थी। गोल्डी भी पिक्चर अधूरी छोड़कर उनके पास आ गया था। जैसे ही उनके चैतन्य होने की जानकारी गोल्डी ने इंस्पेक्टर को दी वह अपने साथ दो कांस्टेबलों को लेकर अस्पताल पहुंच गया।