आखिरी चैप्टर
नीरो टाइप
रोमन सम्राट नीरो के बारे में कहा जाता है कि जब रोम जल रहा था तब वह चैन की बंसी बजा रहा था। अब बंसी—बंसी के तो गए जमाने! ऐसे मिजाजपुर्सी करने वाले इतने भोले होते हैं कि इनकी बातें भाले की तरह आपके दिल में चुभ सकती हैं। ये लोग आपके दुख—दर्द से बिलकुल अनजान बने रहते हैं। ये जब मिजाजपुर्सी करने आते हैं तो अक्सर ऐसी बातें करते हैं— हमें तो पता ही नहीं चला। वो तो पड़ोस की गीतिका ने बताया कि भाभीजी की तबियत खराब है। नहीं तो हमें पता ही नहीं चलता। अब इनकी बातें सुनकर आप सोच सकते हैं कि क्या मुझे अपनी बीमारी के बारे में अखबार के पहले पन्ने पर विज्ञापन निकलवाना चाहिए था ताकि इन्हें खबर हो जाती? या टीवी चैनल वालों से मिलकर अपने हाल—चाल का लाइव प्रसारण करवाना था? आप भले ही कुछ भी सोचें पर इन्हें आपकी बीमारी से कोई फर्क नहीं पड़ता!
सेफ जोनर
ऐसे लोग अपने आप को सेफ जोन में रखते हुए अस्पताल या मरीज से मिलने के झमेले से कतराते रहते हैं। अक्सर ये लोग फोन पर ही हालचाल पूछ कर निपट—सुलझ लेते हैं। ये भयग्रस्त रहते हैं कि कहीं मरीज उनका लीवर या किडनी न दान में मांग बैठे। इसलिए फोन पर ही दुआ—सलाम करके अपने किलेनुमा घर के ही सुरक्षा घेरे में बने रहते हैं। यदि कभी इन्हें अस्पताल जाना भी पड़ जाए तो मुंह पर मास्क और हाथों में सैनिटाइजर थाम कर मरीज से मिलना ज्यादा उचित मानते हैं!
गूगलिया
इन मिजाजपुर्सी करने वालों को जैसे ही आपकी बीमारी के बारे में पता चलता है फौरन मोबाइल फोन पर उसके बारे में घंटों रिसर्च कर लेते हैं। इनके पास घरेलू इलाज के देसी नुस्खों से लेकर आकाशगंगा के पार अंतरिक्ष में किसी बीमारी का क्या इलाज मौजूद है तुरंत गूगल पर सर्च करके आपको बता देते हैं। ये लोग संबंधित बीमारी का इतना लंबा—चौड़ा रिकार्ड आपके सामने पेश कर देंगे कि आप समझ ही नहीं पाएंगे कि अब करना क्या है?
रसिक मिजाज
ऐसे लोगों की मरीज में कम अस्पताल की नर्सो में ज्यादा दिलचस्पी होती है। इनका वश चले तो किसी सेवाभावी नर्स को ही अस्पताल में दिल दे बैठें। ये मरीज का हालचाल कम उसे अटेंड करने वाली नर्स के बारे में सवाल—जवाब ज्यादा करते हैं। ये जब अस्पताल में आते हैं तो मरीज से ऐसे सवाल पूछते हैं — ईसीजी हो गया? किसी जेन्ट्स ने किया था या लेडीज ने? वह देखने में कैसी थी? उसकी ड्रेस कैसी थी? वह शादीशुदा थी या अकेली? उसकी नौकरी तो पक्की है या कांट्रेक्ट बेस्ड? यदि वही तीमारदारी करेगी तो आप कितने दिन अस्पताल में बिता लोगे?
मजाकिया
ऐसे मिजाजपुर्सी करने वालों को हर बात में मजाक सूझता है। कोई मरीज भले ही वेंटिलेटर पर पड़ा हो पर ये उसे हंसा—हंसा कर दोहरा कर देते हैं। ऐसे लोग अक्सर ऐसी बातें कहते नजर आते हैं— यार! बेकार में ही बीमार पड़ गए। क्या दिनभर पड़े—पड़े सुड़सुड़ कर रहे हो? हे भगवान! इतनी सारी दवाइयां! अरे, इससे बढ़िया तो पहले ही हैल्दी फूड ले लेते तो कम से कम ऐसी नौबत तो नहीं आती! भाईसाब, खाने में इतनी शुगर मत लिया करो कि महीने भर की चीनी एक ही दिन में खत्म हो जाए। नमक बैल की तरह मत खाया करो, इससे ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है! यह क्या दिनभर बेड पर पड़े सुड़सुड़ कर रहे हो? अरे, घूमो—फिरो, जिंदगी एंजाय करो! बीमारी अपने—आप भाग जाएगी!