आखिरी चैप्टर
बस, वो तो खुशी के मारे फूल के गोभी का फूल हो गए और कहने लगे — देखना जब हमें रोल मिलेगा तो हम फिल्मी दुनिया में तहलका मचा देंगे। रणबीर सिंह को हम फेल कर देंगे! इतना कहने के बाद वे हमारे सोफे पर इतनी जोर से कूदे कि हमारी चीख निकल गई। हमने देखा कि हमारे सोफा की एक टांग बगैर टिकट स्वर्ग पहुंच गई है।
हम उनका जोश देखकर अपने सोफे के सत्यानाश होने का गम भुला बैठे। हमने दिल पर पत्थर रखकर कहा — सच में आप महान एक्टर बनेंगे। जब आप फाइटिंग करेंगे जो जैसे हमारे सोफे का सत्यानाश किया है वैसा ही सिने—स्टूडियो का भट्ठा बैठा दोगे।
लेकिन एक बात माननी पड़ेगी। वे बहुत जिंदादिल आदमी हैं। उन्होंने हमारी बात का जरा भी बुरा नहीं माना। उन्होंने हमारी बात पर कान नहीं देते हुए फिर से वाक्यों की बॉलिंग शुरू कर दी — ऐसे ही हमारा बचपन बीता। विवाह करने के पहले और बाद में तो हमारी एक्टिंग की प्रतिभा और निखर गई। विवाह से पहले हमने एक मासूम आशिक की एक्टिंग करके आपकी भाभी को पटा लिया था। फिर शादी के बाद अपनी कम इनकम को छुपाते हुए उसके दिल में अच्छे से बैठा दिया कि हम कोई बड़े अफसर हैं। अब आपको तो हमारी असलियत मालूम ही है। हम आफिस में बड़े बाबू रह चुके हैं। आप तो यह जानते ही हैं कि ऊपरी कमाई करने के लिए बड़े बाबू को कैसे मुस्कराने, धमकाने, खिसियाने, हंसने आदि का अभ्यास हो जाता है। कैसे—कैसे डायलॉग मारने पड़ते हैं तब जाकर फाइल आगे खिसकवाने की गुहार कर रहे लोगों की जेब से नोट निकलते हैं। अब हम समझ गए हैं कि बड़े बाबू बनने के लिए लोग क्यों मरते हैं? क्यों लाखों की रिश्चतें देकर पद खरीदते हैं। इस पद पर बैठने में फायदा ही फायदा है। एक तो बंधी बंधाई सैलरी, फिर फाइल खिसकाने का चार्ज और आगे जाकर एक्टिंग का जबर्दस्त अभ्यास! जब इतने सारे फायदे बड़े बाबू बनने से हैं क्यों न बड़े बाबू बनकर बाद में मुंबई की राह पकड़ ली जाए? यही सब सोचकर मेरा जोश दोगुना हो रहा है।
यह सुनकर कि उनका जोश दोगुना हो रहा है, हम सोच—विचार में पड़ गए क्योंकि जोश के बगैर ही उन्होंने हमारे सोफे का सत्यानाश कर दिया तो जोश दोगुना होने पर पता नहीं क्या जुल्म करेंगे? पर उन्होंने कोई हरकत नहीं की और हमारे कंठ में अटके प्राणों को सुकून मिला।
उन्होंने फिर बताया कि वे अपनी एक्टिंग से अपनी धर्मपत्नी मिश्री को कैसे बेवकूफ बनाते हैं। उन्होंने कहा — जानते हैं? जब मिश्री को शॉपिंग करने के लिए ढेंचू मॉल जाने की इच्छा होती है तो हम बीमार पड़ने की एक्टिंग करते हैं। बिस्तर पकड़ लेते हैं। जोर—जोर से हांफने लगते हैं। हमारी ऐसी हालत देखकर मिश्री अपनी शॉपिंग कैन्सिल कर देती है और हमारी तीमारदारी भी अच्छी हो जाती है।
हमने मन ही मन सोचा कि जब इनकी देह केवल पसलियों से ही बनी है तो ये बेकार में ही बीमार पड़ने की एक्टिंग करते हैं। जब हमसे रहा नहीं गया तो हमने पूछा — ऐ हो अमीरचंदजी! आपकी तो सींक जैसी देह है और उपर से रोगी बनने की एक्टिंग करते होगे तो आपकी एक्टिंग कितनी नैचुरल लगती होगी!
वे बोले— मान गए न! हमें एक्टिंग का कितना अनुभव है! अब तो हमने निश्चय कर लिया है कि मुंबई जरूर जाएंगे! इसके लिए हमने गोल्ड लोन कंपनी से दो लाख रुपये का कर्ज मिश्री के गहने गिरवी रखकर ले लिया है। शायद गोल्ड लोन देने वालों को लगता है कि हम जरूर मुंबई में हीरा बनकर चमकेंगे। जब हम एक्टिंग से दस—बारह करोड़ कमा लेंगे तो मिश्री के गहने छुड़ा लेंगे और बीबी—बच्चों के साथ सुकून भरी जिंदगी गुजारेंगे!
उनका प्लान सुनकर हमने सिर पीट लिया। न इनकम का ठिकाना, न कोई सोच—विचार, और न ही बीबी—बच्चों का खयाल! ऐसा क्या एक्टिंग का भूत सवार हो गया इस भाई पर! फिर ढेर सारा कर्ज अलग ले लिया! बेचारी मिश्री भाभी को भनक भी नहीं लगी और उनके जेवर जाकर गिरवी रख दिए! धन्य है अमीरचंद! अमीरी का लबादा चकाचक ओढ़े हुए पर अंदर से बिलकुल खोखले! हे भगवान! ऐसे नकली एक्टर से मुझे बचा लो!
फिर मुझे उनकी भोली—भाली बीबी और बच्चों का खयाल आया। मैंने आव देखा न ताव — अपने ब्रीफकेस से चेकबुक निकाली और अमीरचंद के नाम दो लाख रुपये का चेक काट दिया! साथ ही उनसे कहा — जाओ पहले भाभी के गहने गोल्ड लोन कंपनी से निकाल लाओ नहीं तो बोल्ड हो जाओगे! अपनी एक्टिंग की नुमाइश बाद में करना! मेरे पैसे अपनी सहूलियत के मुताबिक लौटा देना।
यह सुनकर अमीरचंद झेंपते हुए बोले — आपको बहुत—बहुत धन्यवाद! आपने मेरी असलियत जान ली! अब मैं अपनी जिंदगी जिउंगा, कोई नकली जिंदगी नहीं!
(काल्पनिक रचना )