हास्य व्यंग्य रचना : ” गयेन बजारे घुमाय का “
इक बात बताइत हैं तुमते,
कुछ बीती बात बताइ रहेन।
अपनी मलकिन के संगै माँ
हम आज बजारै जाइ रहेन।
कुर्ता मां कलफ चढ़ी हमरे,
धोती हम पहिनेन रौबदार।
बन ठन कै भयन तयार हमहुँ,
जैसे हम लागन जिलेदार।
उइं पौडर थ्वापैं गालन मां,
हांथन से सगले क्वांच क्वांच।
वांठन मां लाली अस पोतेन,
जइसन,तोता कै लाल च्वांच!
आँखिन मा काजरु डारिन है ।
आँखि बनाइन नोवाकदार्।।
देही मा इत्र लगाय लिहिन ।
साड़ी पहिनिन उइ चमकदार ।।
चुरिया पहिनीन रंग बिरंगी ।।
साडी ते मैच कराय दिहिन ।
औ पहिन सैडिल पायन मा ।
फिर चली बजारै घूमय का ।।
जब लगी बजारे घूमय उइ ।
मनइ उनका धक्का मारि रहे ।।
हम कहेन सभरि कै चलो जरा ।
उइ कहिन आयेन बजारे घुमय का ।।
रस्ता मा मनई उनका भैया ।
सब.देखी देखी मुस्काय रहेन ।।
यहु रूप कबो हम द्याखा नाही ।
मन ही मन हम खिसयाय रहेंन ।।
कहिन चाट बतासा हम खईबै
हम कहेंन लौटी कै आइत है
उनका जब थूथून फूला देखेंन
कहेंन चलो चाट हम खाइत है
हम कहेंन गजब होइगा ” उत्तम “।
हम देखी देखी मुस्काइत है ।।
छन्दन मात्रा का ज्ञान नहीं ।
हम सीधी बात बताइत है ।।
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कविता शीर्षक : मेरा वजूद
जो गिरे ज़रा सा हम
लोगो ने हमको उठने न दिया
सूखे पत्तों की तरह हमे
लोग कुचल कर चले गये ।।
हवा का झोका आया तो
हम उड़ कर इधर उधर बिखर गये
बर्षा की बूंदो से हम भीगे तो
मिट्टी मे जा कर मिल गये ।।
मेरा वजूद खत्म हुआ
उस कीचड़ से मिल जाने पर
उस पेड़ ने हमको गिरा दिया ।
जिसकी कल शोभा थे हम ।
लेकिन कल वजूद मेरा था
मेरे पत्तों से वृक्ष हरा भरा था
लोग बैठते थे छाया पा कर
अब ठूठ सा देखो खड़ा हुआ था ।।
ये जीवन का समय चक्र है
पतझड भी आएगा
वर्षा ऋतु के आते ही
नव पल्लव से भर दूँगा ।।
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रचनाकार का परिचय
नाम : उत्तम कुमार तिवारी उत्तम लखनऊ ( उत्तर प्रदेश )
पिता का नाम : स्व० पंडित देवी दयाल तिवारी
शिक्षा : एम ए समाज शास्त्र
विशेष रुचि : साहित्य अध्ययन एवं गद्य , पद्य लेखन
कविताएं : लगभग 700 से ऊपर लिख चुका हूँ।
उपलब्धि : विभिन्न काव्य मंचों द्वारा सर्वश्रेष्ठ रचनाकार के रूप मे सम्मानित
गद्य : पिता , माँ का आँचल , नारी की जीवन यात्रा , बड़ी दीदी , उत्तम का घर ,समधी , बटवारा , आदि आदि ।
सम्मान पत्र : लगभग 400 सम्मान पत्र प्राप्त हो चुके है ।
साक्षा संकलन :-4
काव्य प्रकाशन :- लगभग 150 रचनाओ का प्रकाशन अमर उजाला काव्य मे हो चुका है । कई अन्य प्रमुख समाचार पत्रों मे काव्य का प्रकाशन हो चुका है ।