चैप्टर—3
कुछ देर बाद शचींद्र ने अपने मोबाइल फोन के कैमरे से वहां के चित्र लिए फिर अपना काम खत्म कर मंदिर के बाहर निकलने को तैयार हो गया।
शचींद्र को मंदिर में हुए इस चमत्कार पर विश्वास नहीं हो रहा था परंतु ग्रामवासियों के भोलेपन एवं श्रद्धा के भावों को देखकर उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानो वही अकेला है जो साधु बाबा पर शक कर रहा है या फिर उनके बारे में गलत सोच रहा है।
शचींद्र के विचारों के अनुसार बाबा एक रहस्यमय पहेली के अतिरिक्त कुछ नही थे।
शनै: —शनै: वक्त बीतता गया और मंदिर में उत्सवी माहौल का दायरा बढ़ता गया। ऐसे ही एक रात संपूर्ण मंदिर रोशनी की चकाचौंध से भर गया। कमालपुरा के शिवजी का महात्म्य देख—सुनकर काफी भक्तगण वहीं आकर बाबा और शिवजी का दर्शन कर अपने को कृतार्थ महसूस करने लगे। व्यापारी गण बिजनेस के लिए अच्छा माहौल एवं भीड़भाड़ को देखकर अपनी अपनी दुकानें जमाने लग गए। कुल मिलाकर मंदिर और उसके आसपास हर दिन मेले जैसी चहल—पहल रहने लग गई।
ऐसी ही एक रात मंदिर के अंदर भक्तजन कीर्तन करते हुए शिवजी की परिक्रमा कर रहे थे परंतु कुछ देर के बाद ही लाइट चली गई। इसके साथ ही चारों ओर अंधेरा छा गया। जब लाइट आई तो लोगों ने पाया कि शिवजी की मूर्ति नीले रंग से बदलकर गुलाबी रंग की हो गई है और शिवजी पर जो पानी गिर रहा था वह भी लाल रंग का हो गया है। मंदिर में इस चमत्कार को देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी।
अचानक साधु बाबा बेहोश होकर गिर पड़े। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद तमाम भक्तजन घबरा गए। चारों ओर खलबली मच गई।
मुखिया एवं शचींद्र ने जैसे ही इस घटना के बारे में सुना तो वे भी मंदिर की ओर दौड़ पड़े। वहां आने पर उन्होंने देखा कि साधु बाबा को होश आ गया है और मंदिर के शिखर की तरफ देखते हुए रहस्यमय अंदाज में कह रहे हैं — भक्तजनों! कमालपुरा के शिवजी के आपसे नाराज हो गए हैं। क्योंकि आपने स्वयं को आनंदित करने के लिए मेले का आयोजन तो कर लिया परंतु शिवजी को प्रसन्न करने के लिए आपलोगों ने कुछ नहीं किया। वे अप्रसन्न हैं और आप सब कल के दिन देखेंगे कि समस्त कमालपुरा मूसलाधार बारिश में डूबकर तहस—नहस हो गया है।
यह सुनकर भक्तजनों में घबराहट फैल गई। उनमें से एक ने पूछा — बाबा, शिवजी को प्रसन्न करने का कोई उपाय नहीं है?
उपाय है! इतना कहकर साधु बाबा ने एक गहरी सांस छोड़ी और कहा — शिवजी को प्रसन्न करने के लिए हमें एक हजार कुंडों का महारुद्र यज्ञ करना होगा। आशा है आप इसके लिए धन का मोह नहीं करेंगे।
इतनी में कमालपुरा में काले—काले बादल चारों ओर सचमुच छाने लगे और ठंडी हवा भी चलने लगी। यह सब देखकर भक्तों का बाबा कें प्रति विश्वास और बढ़ गया। कुछ ही देर में उन्होंने जो कुछ भी उनके पास था, वह सब दान—पेटी में डालना शुरू किया। गहने—जेवर, रुपये —पैसे आदि से दान पेटी देखते ही देखते लबालब भर गई। बाबा तिरछी नजरों से इस दान का अवलोकन कर रहे थे।
क्रमश:
(काल्पनिक कहानी)