आखिरी चैप्टर
इस बीच, मंदिर में हो रहे हो हंगामे और फायरिंग की आवाज सुनकर बड़ी संख्या में ग्रामीण इकट्ठे हो गए। उनमें से कुछ ने आक्रोश में भरकर पुलिस वालो वापस जाओ! के नारे लगाए।
इस पर टीआई ने ग्रामीणों को बताया कि मंदिर में बाबा और उनके चेले बैठकर मदिरापान कर रहे थे, तो ये ग्रामीण एकदम से पलट गए और तेज स्वर में बाबा और उनके चेलों के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।
तब शचींद्र ने बाबा और उसके चेलों की पोटलियो को खोलकर ग्रामीणों को दिखाया। उन पोटलियों में ग्रामीणों से एकत्रित धन—दौलत के अतिरिक्त 3 रिवाल्वरें और मादक द्रव्यों की एक पेटी तथा कैमिकल से भरा एक बक्सा निकला। इसके बाद शचींद्र ने टीआई से लाउडस्पीकर लिया और ग्रामीणों से बुलंद आवाज में कहा — आज बाबा के चमत्कारो का पर्दाफाश हो गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि बाबा मादक द्रव्यों के व्यापार और ठगी में लिप्त रहता था। शिवजी की मूर्ति का रंग बदलना वास्तव में उसकी योजना का हिस्सा था।
मुखिया — यार! हमारे लोगों को बता दो कि कैसे इस बाबा ने विज्ञान का दुरुपयोग करके हमारे बीच अंधविश्वासों को जन्म दिया।
शचींद्र ने बताया — आपको याद होगा कि शिवजी की मूर्ति पहले सफेद रंग की थी। परंतु जब इसके रंग बदलने की बात फैली तो हुआ यह था कि बाबा ने इस मूर्ति पर सोडियम क्लोराइड और कोबाल्ट क्लोराइड के घोल की परत चढ़ाकर फिर ब्लाटिंग पेपर की परत चढ़ा दी थी। इतना कहकर शचींद्र ने मूर्ति को थोड़ा खुरचा तो उस पर चढ़ी ब्लाटिंग पेपर की परत अलग हो गई।
शचींद्र ने आगे कहा — मूर्ति पर ब्लॉटिंग पेपर की परत चढ़ाने से होता यह है कि जब तक मौसम खुश्क रहता है तब तक इसका रंग नीला रहता है। किंतु जब मौसम में नमी बढ़ने लगती है तो इसका रंग प्रतिक्रिया कर गुलाबी रंग का हो जाता है। अभी मूर्ति का गुलाबी रंग इसी कारण से हो गया है। अत: जाहिर है कि 24 घंटे के अंदर इस इलाके में बारिश होने वाली है। इसी आधार पर साधु बाबा ने आप लोगों के मन में यह भय पैदा कर दिया कि कमालपुरा में बाढ़ आने वाली है। मौसम विभाग के बुलेटिन के अनुसार कमालपुरा और उसके आसपास 24 घंटों में बारिश होने की संभावना है।
परंतु शचींद्र एक बात समझ में नहीं आई कि शिवजी पर गिर रहा जल क्यों लाल रंग का हो गया? — मुखिया ने सवाल दागा।
शचींद्र ने बताया — वास्तव में यह भी कोई चमत्कार नहीं था बल्कि दो रसायनों की प्रतिक्रिया का कमाल थां। दरअसल, शिवजी के घड़े में फिनाप्थलीन भर कर रखा गया था और जब बिजली गुल हो गई थी तो साधु के चेले ने उसमें कार्बोनेट आफ सोडा मिला दिया था जिससे घोल का रंग लाल हो गया था। ये दोनो कैमिकल रंगहीन होते हैं इसलिए पानी जैसे लगते हैं। आप सबको डराने के लिए बाबा ने एक्टिंग की और रंग बदलने का कारण शिवजी का क्रोधित होना बताया।
मुखिया — यह तो बहुत अच्छा हुआ कि तुम्हारे जैसे जागरूक पत्रकार की वजह से ग्रामीण एक सुनियोजित लूट और ठगी से बच गए। परंतु यह तो बताओ कि तुम्हें कैसे शक हुआ कि बाबा के चमत्कार बिलकुल फर्जी हैं।
शचींद्र — दरअसल, मैंने साइंस पढ़ी है और कैमिस्ट्री मेरा फेवरिट सबजेक्ट रहा। फिर मंदिर में हो रही घटनाओं के बारे में बारीकी से सोचा और आसपास के माहौल तथा मौसम में होने वाले बदलाव पर विचार किया। जब मैंने खिड़की से झांककर बाबा और उनके चेलों की बातें सुनीं तो मेरा शक यकीन में बदल गया। फिर जो कुछ हुआ वो सब आपके सामने है।
(काल्पनिक कहानी)