चैप्टर – 1
रात आठ बजे थ्री स्टार लेकसिटी होटल में सेठ रमेश चंद्र ने अपने बेटे प्रियंक की बर्थ डे पार्टी रखी है। तुम सब तैयार हो जाना। मेरे आफिस से लौटने के फौरन बाद हम सब पार्टी में चलेंगे। महाराजा भोज इंटरनेशनल एयरपोर्ट में इंजीनियर ब्रजेश गोस्वामी ने आफिस जाने से ऐन पहले आए फोन का ब्योरा देते हुए अपनी पत्नी मंजरी और टीनएजर बेटी सुगंधा से कहा। तब मंजरी किचन में थी और बाई रसिका को ब्रजेश के वास्ते टिफिन बनाने के लिए जरूरी हिदायतें दे रही थी। जबकि सुगंधा बेटी ड्राइंगरूम में बैठकर अपने बॉय फ्रेंड पराग से चैटिंग में व्यस्त थी। ब्रजेश की बात सुनकर मंजरी बोली — चलो अच्छा है। मैं बाई को शाम को नहीं आने के लिए कह देती हूं। आप जब आफिस से लौटो तो बच्चे के लिए बतौर गिफ्ट एक टीशर्ट पैक कराकर लेते आना।
ठीक है। यह कहकर ब्रजेश अपना टिफिन लेकर अपने ड्राइवर सुरेश मालवीय के साथ आई टेन कार में बैठकर एयरपोर्ट की तरफ निकल गए।
शाम को वे प्रियंक के लिए गिफ्ट के साथ बंगले पर वापस आए। फिर सुरेश उन्हें सपरिवार कार में बैठाकर लेकसिटी होटल ले गया। होटल पहुंचने पर रमेश चंद्र और उनकी फैमिली ने ब्रजेश की फैमिली का अच्छा स्वागत सत्कार किया। उस पार्टी में भोपाल शहर के कई जााने—माने धनी लोग, नेता और बिजनेस मैन शरीक हुए। हां, यह बात अलग थी कि लोग अपने—अपने परिचितों से बातचीत कर रहे थे या उन्हीं से दुआ—सलाम कर रहे थे जिनसे कि उन्हे आगे लाभ हो सकता था। लोगों की ऐसी मतलबपरस्ती देखकर ब्रजेश के मन में टीस तो उठी पर वे मन मसोसकर रह गए। उन्होंने जैसे—तैसे अपने परिवार को एक कोने में बिठाकर उन्हें उनकी पसंद की चार—पांच डिशेज लाकर दीं और खाना खाने के फौरन बाद अपने घर को चल दिए। सुगंधा को भी पार्टी में कोई खास मजा नहीं आया। एक तो वहां पराग के आने का कोई स्कोप नहीं था और दूसरे अधिकतर बच्चे गुमसुम से अपने—अपने मोबाइल फोनों पर या तो गेम्स खेलते या बातचीत में व्यस्त दिखे।
इस घटना के कुछ दिनो के बाद स्टेट बैंक आफ एमपी के रीजनल मैनेजर कुलभूषण चौहान ने फोर स्टार होटल द ग्रांड अशोका में अपनी 20वीं मैरिज एनिवरसरी की पार्टी रखी। चौहान ने इस पार्टी में केवल ब्रजेश और उनकी पत्नी को बुलाया था। उन्हें इस पार्टी मे सुगंधा को नहीं बुलाने से कुछ बुरा लगा। उन्होंने यह सोचकर तसल्ली कर ली कि शायद उस होटल में पर प्लेट की रेट बहुत ज्यादा होगी इसलिए चौहान ने एक निमंत्रण पत्र पर केवल दो लोगों को बुलाने की नीति अपनाई होगी। वे इन्हीं सब विचारों में खोए हुए थे कि पराग का फोन सुगंधा के पास आया। सुगंधा ने पराग को बताया कि चौहान अंकल ने उसे पार्टी में इनवाइट नहीं किया है। यह सुनकर पराग ने सुगंधा के जख्मों पर मरहम लगाते हुए कहा कि वह अंकल से कह दे कि वह सुगंधा को उस शाम भदभदा गेट के पास अग्निसाक्षी ढाबे में खाने—पीने के लिए ले जाएगा।
सुगंधा ने यह बात अपने मम्मी—पापा को बताई। ब्रजेश और मनोरमा ने और कोई चारा नहीं देखकर इस प्रस्ताव पर मोहर लगा दी। बस फिर क्या था एक फैमिली दो टुकड़ों में बंटकर अपनी—अपनी पार्टी में शरीक होने चली गई।
द ग्रांड अशोका में पार्टी तो भव्य थी और खाने—पीने का इंतजाम अच्छा था। सबकुछ सुकून से चल रहा था पर एक सज्जन दो—तीन पैग लगाने के बाद कुछ ज्यादा ही बहक गए और उन्होंने एक वेटर को धक्का देकर गिरा दिया और जमकर हंगामा किया। ब्रजेश ने पार्टी के रंग में भंग पड़ने के बाद घर लौटने में ही भलाई समझी और सुरेश के साथ आई टेन में बैठकर वापस आ गए।
क्रमशः (काल्पनिक कहानी )