राजीव को उस रात प्रेस से घर लौटने में देर हो गई थी। वह रात के अंधेरे से जूझती रोशनियों के सहारे अपने टू-व्हीलर से आगे बढ़ता जा रहा था। जब वह आर-मेगा मार्ट के पास पहुंचा तो रोड पड़ी बोटी में से अपना-अपना हिस्सा लेने के लिए कुत्तों का झुंड टूट पड़ा। वे आपस में गुत्थम-गुत्था होने लगे। वे बेहद डरावने अंदाज में भौं-भौं करते हुए और दांत निकालकर एक दूसरे पर झपटने लगे। राजीव ने जब यह मंजर देखा तो गाड़ी मोड़ लेने में ही भलाई समझी।
वह इंडिकेटर चालू करके अपनी स्कूटी घुमाने की कोशिश में जुटा हुआ था कि इसी दौरान बाइक सवार एक पियक्कड़ आया और नशे में होने के कारण राजीव को देख नहीं सका और उसकी स्कूटी से टकरा गया। पियक्कड़ व राजीव दोनों ही अपने वाहनों समेत सड़क पर गिर पड़े।
बाइक वाले को चोट ज्यादा लगी क्योंकि एक तो वह बेहद स्पीड में था और हेलमेट भी नहीं लगा रखा था। राजीव की गाड़ी हल्की-फुल्की थी। अतः वह एक तरफ गिरी तो लेकिन एक इंडिकेटर के सिवा उसका कुछ नहीं टूटा। स्कूटी में थोड़ी-बहुत खरोंच आ गई।
जल्द ही टक्कर की आवाज सुनकर आसपास रहने वाले लोग घटना स्थल पर एकत्रित हो गए। बाइक वाला सड़क पर चित्त पड़ा था उसके सिर के पीछे से थोड़ा खून भी आ रहा था। वह कराह भी रहा था।
यह दृश्य देखकर घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने राजीव को पकड़कर उसका मोबाइल फोन छीन लिया और उसे पुलिस के हवाले करने की धमकी देने लगे।
राजीव ने उन सबको काफी समझाने की कोशिश की कि वह तो इंडिकेटर देकर कुत्तों से बचने के लिए अपनी स्कूटी मोड़ रहा था। लेकिन लोग कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे। अब राजीव और उनमें जमकर बहस होने लगी।
इसी दौरान सड़क पर गिरे बाइक वाले का भी नशा हिरण हो गए। और वह भर्राई आवाज में पूछने लगा कि उसका मोबाइल फोन किधर गया।
उधर, राजीव की हालत खराब थी। वह पियक्कड़ को शांत करने के लिए उसे दिलाता हुए उसका मोबाइल फ़ोन ढूंढने में जुट गया। यह सब देखकर लोगों को लगा कि कहीं शिकार उनके हाथ से नहीं निकल जाए। उनमें से एक नेता टाइप का लड़का राजीव से बोला – ‘हमें एक हजार दे दो। कुछ नहीं कहेंगे। पुलिस को भी नहीं बुलाएंगे। हम पांच हैं। दो-दौ सौ तो मिलने ही चाहिए। बाकी सब हम पर छोड़ दो। हम पियक्कड़ को संभाल लेंगे।’
बस जैसे ही राजीव ने हजार रुपये लोगों के नेता को दिए जो उसने अन्य लोगों में बाँट दिए । वे लोग अपना-अपना हिस्सा लेकर निकल गए। राजीव को उसका छीना गया मोबाइल फोन भी मिल गया। यही नहीं नेता ने तो उसकी स्कूटी उठवाने में भी मदद की।
एक अन्य ने पियक्कड़ का मोबाइल फोन दबा लिया और उसे स्विच ऑफ करके आगे बढ़ गया। अब रोड पर सिर्फ तीन लोग थे – राजीव, पियक्कड़ और नेता।
नेता टाइप के लड़के ने मोटरसाइकिल वाले को उठाकर पानी-वानी पिलाया। उसके साथ सहानुभूति की दो-चार बातें की और कहा – ‘भई बिना हेलमेट के शराब पीकर गाड़ी नहीं चलानी चाहिए। इन अंकल की कोई गलती नहीं है। अब अपनी बाइक उठाओ और घर निकल जाओ। घर पर फैमिली वाले इंतजार कर रहे होंगे।’
राजीव ने भी सोचा कि चलो अच्छा हुआ बला टली और वह भी अपनी बाइक वाले की जेब में मरहम पट्टी के लिए पांच सौ रुपये का नोट डालकर आगे बढ़ गया।
(काल्पनिक कहानी)