चैप्टर-1
जब से नंदू भारद्वाज नाम के 9 साल के बच्चे का वीडियो इंटरनेट पर वायरल हुआ था तब से टीकानंद गोस्वामी की रातों की नींदे और दिन का चैन गधे के सिर के सींगों की तरह गायब हो चुका था। नंदू पिछले छह महीने से मीडिया और इंटरनेट पर छाया हुआ था। वह नन्हा सा बालक अपनी टूटी-फूटी आवाज में ‘बसपन की मोहब्बत को दिल से जुदा नहीं करना,’ गाना गाकर एक सेलिब्रेटी बन चुका था। उसका गाना पाप गायक शहंशाह को भी बेहद पसंद आया था और उन्होंने उसे लपककर और नई उचाइयों पर पहुंचा दिया।
अब इसे संयोग कह लीजिए या विधि का विधान टीकानंद को इस लउ़के के बारे में खबरें लगातार कभी इंटरनेट से तो कभी अखबारों से तो कभी अड़ोसी-पड़ोसी तथा मित्रों से लगातार मिलती जा रही थीं। वे इन खबरों को देख-सुनकर हैरान रह जाते थे। साथ ही, मन मसोस कर रह जाते थे कि यह गाना तो उन्होंने अपने बचपन में अपनी क्लास फैलो निशा के लिए गाया था।
पर समय चक्र घूमा निशा आगे पढ़ाई के लिए अपने मम्मी-पापा के साथ इलाहाबाद चली गई और टीकानंद यह खबर सुनकर बिना कोई टिप्पणी किए कलेजे को थाम कर बैठे रह गए। उनके सारे अरमान मानो त्रिवेणी के संगम में विलीन हो गए।
जवानी में पंचायत विभाग में एलडीसी की नौकरी मिलने के बाद उनकी मंदाकिनी से शादी हो गई। और वे निशा को भूलकर मंदाकिनी के साथ अपने जीवन को बिताने में ही अपनी भलाई समझने लगे। देव योग से इस शादी के तीन साल बाद उनके दो बच्चे हुए – रतन और शेफाली। ऐसे तो ये दोनों बच्चे बेहद होशियार थे पर उनमें वैसी कोई प्रतिभा टीकानंद को नहीं दिख रही थी कि वे नंदू की तरह गाने की सिर्फ एक लाइन गाकर रातों रात सेलिब्रेटी बन जाएं।
मंदाकिनी का नाम भले ही फिल्मी था पर लगता है उसने अपना तन-मन सबकुछ बस घर-गृहस्थी और टीकानंद के लिए समर्पित कर रखा था। ऐसे में टीकानंद को उससे कोई उम्मीद नही थी कि मंदाकिनी एकाध दिन कोई स्पेशल वीडियो बनाकर अपने साथ उनको भी मशहूर कर देगी।
वे बेचारे बार-बार वायरल शब्द पर ही विचार करते रहते। उन्हें कभी वायरल वायरस का भाई लगता तो कभी हिंदी के विरल शब्द से मिलता-जुलता। वे इसी चिंतन-मनन में खोए हुए अक्सर यही सोचते रहते कि वायरल होकर कैसे रिच और फेमस बना जाए। इत्तेफाक की बात एक दिन उन्हें यह मौका बैठे-बिठाए ही मिल गया।
हुआ यूं कि वे जनवरी की एक सर्द सुबह अपने सोफे पर बैठकर चाय सुड़कते हुए अखबार पढ़ रहे थे। तभी भूलाभाई देसाई मोहल्ला उद्धार समिति की अध्यक्षा स्मिता सिंह अपने सचिव दामोदर अग्रवाल के साथ उनके घर आईं। उन्होंने बड़ी अदब से टीकानंद का अभिवादन किया। फिर टीकानंद ने पूछा – क्या बात है मैडम! आज सुबह-सुबह आप हमारे गरीबखाने पर कैसे पधार गईं?
स्मिता ने चेहरे पर नकली मुस्कान लाने की भरसक कोशिश करते हुए उत्साह भरे स्वर में बताया – हमारी समिति ने 25 फरवरी को मंदिर के पास के प्रांगण में वृक्षारोपण का कार्यक्रम रखा है। इसमें वन एवं पर्यावरण संरक्षण मंत्री रतन मणि लाल कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे। हम चाहते हैं आप इस कार्यक्रम में एक अहम जिम्मेदारी निभाएं।
टीकानंद – जर्रानवाजी का शुक्रिया मैडम! बताइए वह जिम्मेदारी क्या होगी?
क्रमशः
(काल्पनिक कहानी)