चैप्टर-2
टीकानंद – जर्रानवाजी का शुक्रिया मैडम! बताइए वह जिम्मेदारी क्या होगी?
स्मिता – आपको मंत्री जी को पौधे वाला गमला थमाना होगा।
टीकानंद ने कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाने वाले अंदाज में कहा – मैडम इसका वीडियो बनेगा?
स्मिता – हां, क्यों नहीं बनेगा! अरे भाई मंत्री जी प्रोग्राम में मुख्य अतिथि रहेंगे, शहर के मीडियाकर्मी भी आएंगे और फोटो-शोटो, वीडियो-शीडियो के साथ-साथ चाय-नाश्ते का भी इंतजाम रहेगा।
स्मिता ने जैसे ही अपने सारे पत्ते टीकानंद के सामने खोल दिए तो उन्हें लगा कि उनकी वायरल होने की तमन्ना शायद मंत्री जी की आड़ में पूरी हो जाएगी। वे हल्की खुमारी सी लेते हुए उस दृश्य की कल्पना करने लगे जब मंत्री जी के साथ उन्हें गमला पकड़ाते हुए उनका वीडियो इंटरनेट पर डाला जाएगा। हो सकता है वीडियो के डलते ही 1000 उ हूं 10000 लाइक्स एक घंटे में ही मिल जाएं। फिर तो वीडियो ऐसे परवना चढ़ेगा कि उनकी पांचों अंगुलियां घी में और सिर कड़ाही में होगा। यह भी मुमकिन है कि मीडिया वालों को उनके साथ मंत्री जी का चौखटा भी भा जाए और अखबारों के पन्ने उन दोनों की तसवीरों से रंगे जाने लगें। अगर ऐसा हो गया तो मजा आ जाएगा। मुमकिन है कि वे नंदू से भी बड़ी सेलिब्रेटी बन जाएं और फिर एलडीसी की अपनी नौकरी को लात मारकर करोड़ों में खेलने लगें।
यह दिवास्वप्न देखते-देखते उन्होंने अपनी आंखें बंदकर लात जोर से आगे की ओर मारी तो उनका पैर झनझना गया। दरअसल, यह लात उनके सामने रखी सेंटर टेबल पर पड़ी थी जिससे उनकी आंखों के सामने सितारे जगमगाने लगे थे। वे दर्द से कराहते हुए पैर को मलते हुए झेंप गए और स्मिता मैडम और उनके सेक्रेटरी से सारी कह बैठे। फिर उन्होंने अपनी झेंप मिटाने के लिए श्रीमती जी को आवाज दी – भागवान! जल्दी बढ़िया चाय-नाश्ता ले आओ। देखो न, दो-दो वीआईपी अपने घर आए हुए हैं।
मंदाकिनी उस समय किचन में थी। उसने आवाज सुन ली और बोली – अभी लाती हूं!
इसके बाद वह गरमागरम ब्रेड पकौड़े और चाय ड्राइंग रूम में ले आई। चाय और ब्रेड पकौड़े की खुशबू जब स्मिता और उनके सेक्रेटरी के नथुनों में गई तो वे अपने आप को रोक नहीं सके। उन दोनों ने जमकर इस खाद्य सामग्री का आनंद लिया। उन्होंने जब पेट भरने से लेकर गले तक माल भर लिया तो बड़ी सी डकार लेकर बोले – वाह भाभीजी! मजा आ गया! कसम से ऐसी चीजें केवल आप ही बना सकती हो! आप तो उस कार्यक्रम वाले दिन प्रांगण में फूड स्टाल लगा लेना। खूब बिक्री हो जाएगी।
अपनी तारीफ सुनकर मंदाकिनी गदगद हो गईं और वे संकोच के मारे केवल थैंक्यू कहकर शरमाते हुए किचन में घुस गईं।
इसके बाद स्मिता अपने सेक्रेटरी के साथ टीकानंद को 25 फरवरी के कार्यक्रम की पुनः याद दिलाते हुए चली गईं।
टीकानंद ने बड़े ही खुशनुमा मूड में यह खुशखबरी मंदाकिनी को सुनाते हुए कहा – मैडम! अब में भी नंदू की तरह फेमस होने वाला हूं। देखना, मंत्री जी के साथ वाला मेरा वीडियो वायरल होकर ही रहेगा।
मंदाकिनी को भी पहली बार लगा कि पति की बात में दम हो सकता है। अतः वह भी टीकानंद के फेमस होने का चिंतन करती हुई यह गीत गा उठीं – हम होंगे कामयाब एक दिन!
जब मियां-बीबी का सामूहिक कोरस से जी भर गया तो टीकानंद अपने दोनों बच्चों को बाजार लेकर गए और उन्हें पांच-पांच रुपये वाली लेमनचूस के दो-दो पैकेट दिला लाए। 25 फरवरी आने में चंद ही दिन बचे थे। टीकानंद की पूरी फैमिली इस दिन का बेताबी से इंतजार करने लगी। टीकानंद ने अपने तमाम इष्ट-मित्रों और रिश्तेदारों के सामने समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम के बारे में जमकर प्रचार कर दिया।
आखिरकार 25 फरवरी का शुभ दिन आ ही गया। टीकानंद तड़के ही नहा-धोकर पिछले साल दीपावली के बोनस से खरीदा पूरे आठ सौ रुपये वाला टी-शर्ट और पायजामा पहनकर इत्र-फुलेल लगाकर बैठ गए। उनकी श्रीमती जी भी ब्रेड पकौड़ा स्टाल लगाने की तैयारी करते हुए अपनी अल्मारी में सबसे महंगी पूरे सात सौ रुपये की साड़ी पहनकर स्नो-पाउडर लगाकर तैयार हुईं। बच्चों को भी बढ़िया प्रेस किए हुए पुराने कपड़े पहनाए। फिर घर के तमाम देवी-देवताओं और पुरखों की तसवीरों को नमन करके कार्यक्रम स्थल पर 9 बजे ही पहुंच गए। टीकानंद को यह देखकर निराशा हुई कि कार्यक्रम स्थल पर तब कोई मौजूद नहीं था।
उन्होंने याद किया कि स्मिता ने उनसे कहा था कि कार्यक्रम तो सुबह 11 बजे से होगा। अरे! मुझे दो घंटे काटने होंगे। यह सोचकर मन ही मन सोसाइटी के तमाम लोगों को कोसते हुए मंदिर प्रांगण में रखी बेंच पर पसर गए।
क्रमशः
(काल्पनिक कहानी)