रचनाकार : शबनम मेहरोत्रा, कानपुर
शेर सवारी करके आई
शेर सवारी करके आई , लाल चूनर लहराती आई ।
दीप्त है उनका आभामंडल , तेज पुंज बिखराती आई
पाश ,खड़ग, मुग्दर ले आयुध
महिषा से आई करने वे युद्ध
ओर भक्त को बाँटने श्री भी
हाथ पदम ले आई है वे खुद
ले लोहित चमकाते आई ,लाल चूनर लहराती आई ,,,
स्नेहिल,कोमल ममता वाली
करने को सुख चैन बहाली
दुष्ट दामन करने के लिए वे
बन जाती है चंडी ,काली
गुस्से से थर्राती आई,लाल चूनर लहराती आई,,,,
“शबनम”है ये जग की माता
होती नहीं ये कभी विमाता
जिनके सर पर हाथ हो इनका
उस पर दुख तो कभी न आता
रौद्र ,दया बरसाती आई,लाल चुनरी लहराती आई
दीप्त है आभामंडल उनका , तेज पुंज बिखराती आई
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सुबह सवेरे राम का नाम
सुबह सवेरे राम का नाम
बोलो बंदे जय श्री राम
राम ही सत्य है राम है जीवन
सूक्ष्म रूप करते वो विचरण
सभी कष्ट का करते निदान
बड़े दयालु मेरे भगवान
हर दिल में है उनका धाम
बोलो बंदे जय श्री राम
सुबह सवेरे राम का नाम
बोलो बंदे जय श्री राम
भटक रहा क्यों द्वारे द्वारे
वो है बिलकुल पास तिहारे
तुम्हे देखते आठों याम
बोलो बंदे जय श्री राम
सुबह सवेरे राम का नाम
बोलो बंदे जय श्री राम
मन से शबनम याद करो
थोड़ी सी फरियाद करो
देख खड़े तेरे दाएँ बाम
बोलो बंदे जय श्री राम
सुबह सवेरे राम का नाम
बोलो बंदे जय श्री राम