चैप्टर-1
यदि आपने जिंदगी में कुछ अच्छा किया और लाइक्स नहीं मिले तो समझ लीजिए गई भैंस पानी में! आजकल यह फैशन सा हो गया है कि कोई कुछ भी करता है, जब तक वह फेसबुक पर अपना स्टेटस अपडेट करके दो-चार लाइक्स नहीं बटोर लेता तब तक उसे चैन नहीं पड़ता! लाइक्स का नशा तो ऐसे सिर पर चढ़कर बोलता है कि पूछिए मत!
अब हमारे रिश्तेदार मनसुख जी को ही ले लीजिए। उन्हें कविता लिखने का बेहद शौक है। उनके कविता प्रेम के बारे मे मुझे यह बात मालूम हुई थी कि स्कूल के दिनों में उनकी एक दोस्त थी कविता। दिखने में अच्छी, माड शाट बनकर स्कूल आती थी। कविता से कभी किताब की आड़ में, तो कभी स्कूल कैंपस में लगे बरगद की छांव में मेल-मुलाकातें चलती रहती थीं। जब कविता के पिता काव्य शास्त्री को इस बारे में पता चला तो वे ओज कवि से रोष कवि मे बदल गए। उन्होंने एक दिन मनसुख जी को प्यार से बुलाया। पहले तो लंबा-चौड़ा भाषण सुनाया फिर रोष भरी कविताएं सुनाईं और इसके बाद जोश में भरकर मनसुखजी की ऐसी कुटाई की वे अम्मां-बाबूजी बचाओ, बचाओ की दुहाई देने लगे। इसके बाद उन्होंने हालांकि कविता से मिलना छोड़ दिया पर उसकी विरह वेदना से व्यथित होकर एक से बढ़कर दुख-दर्द से भरी कविताएं लिखनी शुरू कर दीं। जब वे बड़े हुए तो फेसबुक पर अपने दिल का हाल कविता में ढालकर बयां करने लगे।
मैं उनकी कविताएं पढ़-पढ़कर बोर हो जाती। अतः मैंने उन्हें लाइक्स करना बंद कर दिया। जब उनको इस बात का पता चला तो मेरे घर पर धमक गए। जमकर गरज-बरस गए। वे तैश में बोले – एक दो लाइक्स देने में क्या जाता है? कौनसी आपकी दौलत में हिस्सा मांग रहा हूं। यदि लाइक्स नहीं देना है तो आज से तुम मेरी भांजी नहीं।
मैने कहा – मामाजी! आपको लाइक्स चाहिए तो कुछ अच्छा तो लिखिए। अब आप खुद ही देखिए पिछली फेसबुक पोस्ट में आपने क्या लिखा था-
ए मेरे दिल इस दुनिया से दूर कहीं दूर चल
जहां भरी गर्मी में नहीं भरना पड़े बिजली का बिल!!
फिर –
सात जनम हो गए कविता तुम तो मेरी नहीं हो सकीं
विरह की वेदना है इतनी व्यापक तुम रातों को नहीं सो सकीं!!
अब आप ही बताइए इस तुकबंदी पर लाइक्स देने में मैं क्यों समय बर्बाद करूं?
मेरी बातें सुनकर वे रोष में बोले – तुम्हें कविता से कोई मतलब नहीं है! तुम्हें कविता की कोई समझ नहीं है। अब मैं अपनी कविता को फेसबुक पर ढूंढने में लगा हुआ हूं। मुझे पूरा यकीन है वह मुझे जरूर मिलेगी। तुम लाइक्स मुझे दो या न दो मेरी कविता मेरी कविताओं पर जरूर लाइक्स देगी।
हमारे एक और रिश्तेदार हैं जो अपने दैनिक कृत्यों को फेसबुक पर डालते रहते हैं। आज मैंने लौहगेट मंजन से दांत मांजे! आज मैंने अपने बालों में बच्चों वाला शैम्पू लगाया। आज मैंने नई टी-शर्ट पहनकर उस पर चाय गिरा ली! आज मैंने घर में पेंट करते हुए अपने पेंट को रंग डाला! आज मैंने… ऐसी ही छोटी-छोटी तमाम बातें वे फेसबुक पर शेयर करके लाइक्स बटोरने मे लगे रहते हैं। शाम होते-होते जब कुल मिलाकर पांच-छह लाइक्स मिल जाते हैं तो शान से शाम को 7 बजे फिर अपने दोस्तों को फेसबुक पर बताते हैं आज मैंने कुल छह लाइक्स बटोरे हैं। मैं सिलेब्रिटी बनने की राह पर हूं!
हमारे एक मित्र हैं- नवाजुद्दीन! बुनकर का काम करते हैं। अब अपने हुनर को फेसबुक पर शेयर न करें ऐसा हो ही नहीं सकता।
क्रमशः
(काल्पनिक रचना )