चैप्टर-2
अमित के साथ-साथ उनकी सहधर्मिणी कनकलता भी बदहवास होकर अपने जिगर के टुकड़े को आवाज देकर ढूंढने में लगी रहीं। पर जवाब नहीं मिलना था सो नहीं मिला।
ऐसे ही परिणिति के घर में उसके छोटे भाई प्रकाश और पापा कपिल चौहान तथा मम्मी सुनयना ने तलाशी अभियान छेड़ दिया। ये सब बदहवास से होकर एक दूसरे से पूछे जा रहे थे और अनुमान लगा रहे थे कि परिणिति कहां गई होगी। समय बीतने के साथ माता-पिता और भाई के चेहरों पर चिंता का ग्राफ बढ़ता जा रहा था।
दोनों परिवारों ने प्रांजल और परिणिति को एक घंटे के भीतर ही न जाने कितनी बार मोबाइल फोन से काॅल लगा मारे। पर इन दोनों ने पूरे सफर के दौरान अपने मोबाइल फोन स्विच आफ कर रखे थे। अतः संदेशों का किसी तरह का आदान-प्रदान नहीं हुआ।
जब सबके तलाशी प्रयास विफल हो गए तो परिवार जन हताश होकर रोने बैठ गए। डबडबाई आंखों और भर्राए गले से इस बात की विवेचना करने लगे कि किस वजह से और किसकी वजह से प्रांजल व परिणिति ने घर छोड़ा होगा। इन दोनों घरों से निकले कोहराम ने मोहल्ला न्यूज का आकार ले लिया। पास-पड़ोस में इस घटना का एनालाइसिस शुरू हो गया। कुछ ने ब्रेकिंग न्यूज बनाकर फेसबुक पोस्ट कर दिए। कुछ ने नमक-मिर्च लगाकर घटना का काल्पनिक ब्योरा तैयार कर जमकर लाइक्स, कमेंट्स बटोरने के लिए मोर्चेबंदी शुरू कर दी।
तीनेक घंटों में दो घरों से चली इस खबर ने महाब्रेकिंग न्यूज का रूप लेकर पूरे बीकानेर को अपने लपेटे में ले लिया। किसी ने प्रांजल और परिणिति के परिजनों को पुलिस में जाने की सलाह दी पर पुलिस ने यह कहकर मामले में दखल से इनकार कर दिया कि अरे! टीनएजर है। अगर 24 घंटे तक घर नहीं आएं तो कोई चिंता की बात नहीं होती। हां, 25 घंटे बाद से जरूर पुलिस कुछ कर सकती है।
इस सारे हंगामे के बीच दोनों घरों के परिवारजनों को न खाना नसीब हुआ और न पीना। बस, वे आंसुओं का घूंट पीकर अपने दिल को समझाते हुए चेहरे पर बन रही चिंता की लकीरों के ग्राफ को और गहरा करते हुए, अपने सीने पर पत्थर रखकर तलाशी अभियान को किसी अंजाम तक पहुंचाने में लगे रहे।
उधर, अगले दिन सुबह 11 बजे के आसपास प्रांजल और परिणिति बड़ी चौपड़ पर उमड़ी भीड़ में शरीक होकर धूम-4 की शूटिंग का लुत्फ लेते रहे। करीब 1 घंटे तक टेक-रीटेक होते रहे। कभी चौपड़ पर फिल्म के गीत का म्यूजिक गूंजता तो कभी रितिक और कैटरीना के क्लोज अप शाॅट्स लिए जाते। शूटिंग देखकर प्रांजल और परिणिति रोमांचित हो उठे।
करीब 12 बजे तक शूटिंग चली। इसके बाद फिल्म स्टार व शूटिंग दल में शामिल अन्य लोग होटल हवामहल में ठहरने चले गए। प्रांजल और परिणिति ने पता कर लिया कि अब शूटिंग का अगला दौर शाम 5 बजे से रामनिवास बाग में होगा।
प्रांजल और परिणिति दोनों ही शूटिंग का बाकी हिस्सा देखना चाहते थे। अतः दोनों ने डिसाइड किया वे पास ही के किसी सस्ते से लाॅज में ठहर जाएंगे और वही खा-पीकर, आराम करके शाम को शूटिंग के अगले दौर को देखने के लिए चल देंगे।
बस, बड़ी चौपड़ के पास ही जय भगवान लाॅज में उन्होंने एक कमरा बुक करा लिया। इसके साथ ही लाॅज का मीटर चालू हो गया। उन्होंने पानी की बोतल ली। उसका बिल बना। उन्होंने आठ रोटी और एक प्लेट गट्टे की सब्जी ली। उसका बिल बना। शाम को दोनो ने कोल्ड काफी ली उसका बिल भरा। ये सब बिल और कमरे का रेंट देने के बाद शाम 4 बजे तक दोनों के पास महज दो हजार रुपये बचे। अब परिणिति को चिंता हुई। यदि बाहर सिर्फ चार घंटे रहने-ठहरने और किराये-भाड़े में कोई पांच हजार रुपये निकल गए तो कैसे काम चलेगा।
क्रमशः
(काल्पनिक कहानी)