चैप्टर-1
तुमने यह न्यूज पढ़ी? साहिल त्रिवेदी ने अपनी पत्नी सुनिधि से सुबह—सुबह चाय की चुस्कियां लेते सवाल पूछा।
सुनिधि — कौन सी न्यूज?
साहिल — यही कि कल लालघाटी में मार्निंग वाक पर निकली रजनी गुलाटी की सोने का मंगलसूत्र छीनने की एक बाइक सवार लुटेरे ने कोशिश की। यह लेडीज भी गजब की हिम्मतवाली थी। उसने बाइक वाले का हाथ पकड़ लिया और करीब 50 फीट तक घिसटती चली गई। वह बदमाश उसका मंगलसूत्र छीनने में कामयाब नहीं हुआ। रजनी के प्रतिरोध के कारण बाइक डगमगाई पर बदमाश जैसे—तैसे भाग निकला। कुछ देर में घटनास्थल पर बहुत सारे तमाशबीन इकट्ठे हो गए और उनमें से एक ने इस हादसे में घायल रजनी को 108 नंबर पर काल करके एंबुलेस बुला ली और गांधीनगर के सरकारी अस्पताल में भर्ती करा दिया।
सुनिधि — चलो बेचारी की जान बच गई और मंगलसूत्र भी!
साहिल — हां देखो न! उसके लिए शादी में मिला मंगलसूत्र जान से भी ज्यादा कीमती था। उसे यह गवारा नहीं हुआ कि वह बदमाश उसे छीन सके।
सुनिधि — सच! यही तो भारतीय नारी की सुहाग की खास निशानी होती है। मैं तारीफ करती हूं रजनी की। उसे वीरता पुरस्कार मिलना ही चाहिए।
साहिल — वीरता पुरस्कार मिले या न मिले पर उसने अपनी हिम्मत से महिलाओं में नया जोश भर दिया है।
इस संक्षिप्त बातचीत को यहीं विराम लग गया। क्योंकि साहिल को मधुर इंटरप्राइजेज में अपनी एलडीसी की नौकरी बजाने जाना था और सुनिधि को न केवल उसके लिए बल्कि अपने दोनों बच्चों मोहित और मोहिनी के लिए टिफिन भी तैयार करना था। दस बजे के बाद घर खाली—खाली हो गया। साहिल अपने दफ्तर चला गया और दोनों बच्चे सेंट थॉमस पब्लिक स्कूल। घर में सुनिधि अकेली थी।
ऐसे में उसने सोचा क्यों न वह अपनी पंद्रह साल पहले हुई शादी में मिले सोने के गहनों पर एक नजर डाल ले। इससे यह दिलासा हो जाएगा कि वे सही—सलामत हैं और उनकी कंडीशन का भी अंदाज लग जाएगा।
उसने बेडरूम की लोफ्ट पर रखा पुराना सा संदूक उतारा। उसका ताला खोला। उसके गहने दस—बारह कपड़ों के नीचे पोटली मे बंधे हुए रखे थे। उसने पोटली खोली। पोटली में से एक पन्नी रखी हुई थी। पन्नी के भीतर कसकर बांधकर ये गहने रखे हुए थे। गहनों को देखकर पुरानी यादें ताजा हो गईं।
सुनिधि को ध्यान आया कि यह 10 तोले का हार उसकी मां भारती देवी ने दिया था। यह दूसरा सोने का हार साहिल के पिताजी रजनीश त्रिवेदी ने दिया था। यह टीका साहिल की बहन सरिता ने दिया था इनमें से सरिता का तो एक सड़क दुर्घटना में निधन हो चुका है। पर सुनिधि की मां तो कोटा में अपने पति आमोद त्रिवेदी के सरकारी नौकरी से रिटायर होने के बाद और अपने दोनों बेटों कमल और किशोर के साथ रह रही हैं और रजनीश इंदौर के पास गांव पालनपुर में खेती—बाड़ी संभाल रहे हैं।
पुराने दिन! पुराने लोग! लेकिन उनकी यादें गहनों के रूप में अब भी ताजा! सुनिधि ने सोचा कि गहनों के रूप में मिले इन सबके आशीर्वाद का ही यह नतीजा है कि पंद्रह साल से गृहस्थी की गाड़ी सही—सलामत चल रही है।
लेकिन उसे पता नहीं था कि जल्द ही उसकी जिंदगी में नया तूफान आने वाला है!
क्रमशः (काल्पनिक रचना )