रचनाकार : शबनम मेहरोत्रा, कानपुर
कान्हा ले चल यमुना के तीर
ओ कान्हा ले चल यमुना के तीर
बड़ी सुखद बहे रे समीर ,ओ कान्हा ले चल यमुना के तीर
लो ये तुम्हारी हो गई राधा
तुम भी तो मुझ बिन हो आधा
प्रेम का तेरे बीज मैं बोई
रैन दिवस तेरे प्रेम में खोई
बहे नैनों से छल छल नीर ,ओ कान्हा ले चल यमुना के तीर,,,
तेरा सुंदर रूप ओ गिरिधर
देखना चाहूँ भी मर मर कर
न बिसारियो मुझको मोहन
बन जाऊँ न तुम्हरी जोगन
नहीं मनवा भी बाँधे धीर ,ओ कान्हा ले चल यमुना के तीर
लोग कहे तुम आसाधारण हो
“शबनम” जाने की मोहन हो
तुम मेरा मोहन ही रहना
जो चाहे भगवन ही रहना
मैं बोलूँ बात है ये गम्भीर ओ कान्हा ले चल यमुना के तीर
बड़ी सुखद बहे रे समीर
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जग के पालक
जग के पालक दयानिधि एक वही तो श्रीमन है
भोग नहीं ग्रहण करते वे भाव के भूखे भगवन है
उन्हें अगर खुश करना चाहो
चाहे शाम सवेर
सबरी जैसा भाव जगे तो
खायेंगे प्रभु बेर
तभी तो आठों याम बसा के रखे जो हनुमान है,,,,,
सूरदास व तुलसी मीरा चाहे
दुष्ट अजामिल
प्रभु के प्रति श्रद्धा भाव से
उन को गए वो मिल
कई पुराणों में इस गाथा के ढेरो प्रमाण है,,,
इतने कोमल सहृदयी है संग
तेरे रो लेंगे वो
भाव से बांध सुदामा जैसे पग
तेरा धो देंगे वो
शबनम का उन चरणों पर अर्पण सारा तन मन है,,,
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कुंकुम चंदन अक्षत
कुंकुम चंदन अक्षत पानी लेकर राम का तिलक करे
इसी बहाने राम प्रभु का प्रत्यक्ष आज हम दरस करे
किन शब्दों से राम प्रभु के रूप का
हम वर्णन करे
हर वस्तु है उनका निर्मित उनको हम
क्या अर्पण करे
है मालूम वे श्रद्धा के भूखे क्यों फिर इस पे बहस करे
इसी बहाने राम प्रभु का प्रत्यक्ष आज हम दरस करे
मनोभाव गर सच्चा है तो खुद आयेंगे
राम हमारे
अंतर्यामी राम चंद्र है बिन बोले करेंगे
काम हमारे
अबकी दरस हुआ न शबनम दर्शन अगले बरस करे
इसी बहाने राम प्रभु का प्रत्यक्ष आज हम दरस करे
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सुबह सवेरे राम का नाम
सुबह सवेरे राम का नाम
बोलो बंदे जय श्री राम
राम ही सत्य है राम है जीवन
सूक्ष्म रूप करते वो विचरण
सभी कष्ट का करते निदान
बड़े दयालु मेरे भगवान
हर दिल में है उनका धाम
बोलो बंदे जय श्री राम
सुबह सवेरे राम का नाम
बोलो बंदे जय श्री राम
भटक रहा क्यों द्वारे द्वारे
वो है बिलकुल पास तिहारे
तुम्हे देखते आठों याम
बोलो बंदे जय श्री राम
सुबह सवेरे राम का नाम
बोलो बंदे जय श्री राम
मन से शबनम याद करो
थोड़ी सी फरियाद करो
देख खड़े तेरे दाएँ बाम
बोलो बंदे जय श्री राम
सुबह सवेरे राम का नाम
बोलो बंदे जय श्री राम
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मॉं भवानी
आपकी कृपासे दुर्गा मॉं भवानी
मिले सारेसुख आज
कृपा दृष्टि पड़ी जो मुझ पर
अब मिट गई है सारी पीड़ा
मॉं दुर्गा तुमने प्रेम नज़र से देखा
सब अभाव संभाव हो गये…
मन मोर लगा झूमने
हर मौसम वसंत हो गया
रात चाँदनी रात हो गई ।
इस काँटों के जंगल में जैसे
फूलों की बरसात हो गई ।
जब से छेड़ दी सरगम तुमने
मन-मस्तिष्क सितार हो गए ।
मॉं दुर्गा तुमने स्नेह-नज़र से देखा
सब अभाव संभाव हो गये !