चैप्टर-1
उस दिन जब पाखी सुबह उटी तो उसका मूड बहुत अच्छा था। वह अपने हसबैंड स्वास्तिक को प्यार से जगाते हुए बोली. डियर!कल तुम्हारा बर्थडे है। बताओ न इस बार इसे कैसे मनाना हैध्
स्वास्तिक को यह देखकर खुशी हुई कि आज मैडम का मूड अच्छा है। उसने भी बड़े प्यार से उत्तर दिया. मेरी पाखू! इस बार का बर्थडे कुछ अलग हटकर होगा। मैं इसे कम से कम खर्च मनाना चाहूंगा। तुम तो ऐसा करना अपने बहुत खास रिश्तेदारों को बुला लेना और में अपने दो.तीन चुनिंदा दोस्तों को बुला लूंेगा। कुल मिलाकर 8ण्10 लोग हो जाएंगे। आलू.मटर की सब्जीए चावलए रायता और सलाद आदि डिनर में रख लेंगे। इस काम में मेरी माताजी तुम्हारी मदद कर ही देंगी।
पाखी. और मिठाई का क्या?
स्वास्तिक. मिठाई छगनमल से ले लेंगे। उसका पिस्ता लड्डू बेहद फेमस है। वही एक किलो ले आएंगे। मेहमान भी खुश! अपन भी खुश!
पाखी. मुझे मालूम है यह तुम्हारी पसंदीदा मिठाई है। पर यह कितने की आएगीध?
स्वास्तिक . मैंने कोई तीन साल पहले अपने बाॅस शशि मुखर्जी की मैरिज एनिवरसरी के मौके पर हुई दावत में यह मिठाई खाई थी। तब बाॅस बड़े गर्व से सबको बताते चज रहे थे कि 600 रुपये किलो वाली मिठाई हे। जमकर खाओ!
पाखी . तो इस बार बाहर नहीं जाएंगे घर पर ही बनाएंगे पकाएंगे और खाएंगे!
स्वास्तिक . हां डार्लिग! मजबूरी है। इस महीने आईटी रिटर्न भी भरना है। बबलू की फीस भी भरनी है और उसकी दादी की आंखों का मोतियाबिंद का आॅपरेशन भी कराना है। कुल मिलाकर 50.60 हजार रुपये इन सबमें निकल जाएंगे। तुम्हें तो मालूम ही है कि मेरी पगार 90 हजार रुपये है। बस 20.30 हजार ही घर खर्च के लिए बच पाएंगे।
पाखी. दरअसलए महंगाई ही इतनी बढ़ गई है कि सैयां कितना ही कमा लें पर पैसे कम पड़ ही जाते हैं। चलो कोई बात नहीं। अपन घर ही आपका बर्थडे मना लंेंगे। सस्ताए सुंदर और किफायती बर्थडे!
इस बातचीत के बाद पाखी अपने घरेलू मोर्चे पर डट गई और स्वास्तिक अपने आॅफिस जाने की तैयारी करने लगा। स्वास्तिक एक कंपनी में सुपरवाइजर के पद पर है। भगवान की कृपा से पाखी और उसकी गृहस्थी की गाड़ी पिछले दस साल से सही.सलामत ढंग से चल रही है। पाखी हाउसवाइफ है और उसे नए.नए व्यंजन बनाने का शौक है। वह यू.ट्यूबए निशा.मधूलिका डाॅट काॅम या तरला दलाल आदि की वेबसाइटों से विधियां सीखकर स्वास्तिक, बबलू और अपनी सासू मां अलका व अड़ोसियों.पड़ोसियों को भी नाना प्रकार की रेसिपीज बनाकर खिलाती रहती थी। इस वजह से तमाम लोग उससे खुश रहते थे और उसे भी खुशी मिलती थी।
शाम को जब स्वास्तिक दफ्तर से निचुड़कर घर पहुंचा तो चाय पीते हुए उसने पाखी कहा . पाखू! क्यों न अपन छगनमाल के पास जाकर पिस्ता लड्डू मिठाई की रेट पता कर लें। किसी भी काम को अंजाम देने से पहले जितनी जानकारी जुटा लो उतना अच्छा रहता है। पाखी उसकी बात मानकर जल्दी से तैयार होकर छगनमाल की दुकान में पहुंच गई।
वहां स्वास्तिक ने छगनमाल से पिस्ता लड्डू की कीमत पूछी। छगन ने बताया 1400 रुपये किलो! अरे बापरे! इमनी महगी मिर्ठाअ! मेरा तो कुल बजट 2000 का ही है। अगर इतनी महंगी मिठाई मेहमानों को खिला दी तो वे तो खुश जाएंगे पर जेब तो मेरी कट जाएगी।
क्रमशः
(काल्पनिक रचना )