रचनाकार : शबनम मेहरोत्रा, कानपुर
हे गणनायक
हे गणनायक आप पधारो करती हूँ आह्वान
छंद बद्ध स्वर लहरी से मैं करती हूँ गुणगान
सर्व देव में प्रथम हो पूजित ऊँचा है स्थान
भोले शंकर माँ पार्वती के उत्तम संतान
ज्ञान परम है बुद्धि विलक्षण देव देवता माने
इसीलिए त्रिदेवो से लेकर ऋषि करे सम्मान
हे प्रभूवर कर थोड़ी कृपा मूढ़ मति है मेरी
अपनी दया की बूंद मुझे दें मिल जाएगा ज्ञान
शबनम है साधारण प्राणी कैसे माँगूँ मैं दर्शन
हरेक बार प्रभु दृष्टि में आना जब भी करूँ मैं ध्यान
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भजन
नहीं स्वार्थी बनना प्रभुवर माँग के अब कुछ वरदान
बिन माँगे सब दे दिया पहले अब क्या मैं लूँ दान
कंचन काया बल और बुद्धि
और दिया है विवेक
राह दिखाई दोनों मुझको
बदी करूँ या नेक
हरेक व्यक्ति के चरित्र का लेता है इससे संज्ञान
किसी का अच्छा कर न पाई
मगर बुराई ना की
इस कर्मो का जो फल देना
मैंने ऐसा ही की
अपनी सत्यता का मैं क्यों कर कुछ भी दूँ प्रमाण
देना है तो यह वर देना जिसका
नही है भान
तेरे चरण से ध्यान हटे ना वैसा
देना ध्यान
शबनम ऐसा नहीं कर पाए दे देना
अवसान
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मेरी नैया
मेरी नैया डूब रही है ;जीवन रूपी मझधार में
हे प्रभु वर आन बचाले ;तू भी है उस पार में
भवसागर में उथल पुथल है ;पाप की नैया भारी
क्षण क्षण पाप से बोझिल नैया ;डुबन की तैयारी
चाहे जैसे मुझे बचाले ;चाहे जिस अवतार में
हे प्रभूवर आन बचालें ;तू भी है उस पार में
मुझे अजामिल सा रक्षा दे ; लिया है तेरा नाम
एक बार तेरे नाम का सुमिरन करके ; बनता काम
आज समझ में आया पहले था ज्यादा अहंकार में
है प्रभुवर आन बचाले; तू भी है उस पार में
स्वर्ग की मुझको नही है चाहत; भारत वर्ष में दे रहने
यहाँ की पावन धरती पर ; चाहे कष्ट भी हो सहने
यहाँ पे शबनम देव व देवी रहते है भरमार में
हे प्रभूवर आन बचाले ; तू भी है उस पार में
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तेरे दर से
तेरे दर से मैं न खाली हाथ जाऊँगी
तुम्हे देना पड़ेगा लेके सौगात जाऊँगी
नही तो ये बतादो कौन खाली
हाथ लौटा है
नही जिसकी भरी झोली वो
बिन खैरात लौटा है
बतादे गर तो तेरा छोड़ कर कायनात जाऊँगी
तुम्हे देना पड़ेगा लेके मैं सौगात जाऊँगी
सभी को दे रहे जल्दी हमारे
वास्ते क्यों देरी
मेरे भगवन तेरी चलने न दूँगी
ये हेरा फेरी
अगर जाना पड़ा खाली तो तेरे ही
साथ जाऊँगी
तुम्हे देना पड़ेगा लेके मैं सौगात जाऊँगी
जनम तुमने दिया तो कौन
अब पोषण करेगा
ये दुनिया तेरी है ऐसी मेरा
शोषण करेगा
ये शबनम की जिद लेके मैं प्रभात जाऊँगी
तुम्हें देना पड़ेगा लेके मैं सौगात जाऊँगी