रचनाकार : समीर गांगुली, मुंबई
हिन्दी बाल साहित्य के बारे में अपनी चर्चा को एक नया मोड़ देते हुए मैं आपके
सामने उस व्याख्यान को पेश करना चाहता हूं, जो मैंने बाल साहित्य के एक
सेमिनार में दिया था. सुनिए, मतलब पढ़िए…..
नमस्कार!
अपनी बात शुरू करने से पहले मैं एक कंफेशन/स्वीकारोक्ति करना चाहता हूं.
मैं वह परचा नहीं पढ़ने वाला हूं जो कि मैं लिखकर लाया था.
हालांकि उसमें बढ़िया तथ्य थे.बदलते संदर्भ को अच्छी तरह कवर भी किया गया
था,लेकिन मैं उसे नहीं पढ़ना चाहूंगा,क्योंकि वो मैंने नहीं लिखा था.उसे किसी ने
मुझे लिखकर दिया था.और यकीन कीजिए एक बढ़िया सा लेख लिखने में उसने
बस पांच सेकण्ड का समय लिया था.
उसका नाम है- चैट GPT
उसने क्या लिखा,उसकी मैं कुछ कॉपी बनाकर लाया हूं और मैं आप तक उसे
बंटवा भी रहा हूं.आप फुरसत से उसे पढ़ सकते हैं.
दोस्तो यह कमाल या कारस्तानी है आर्टिफिशियल इंटेलीजेन्स यानी AI की.
मैं कहना चाहता हूं आने वाले समय में दुनिया का बाल साहित्य भी AI के प्रभाव
से अछूता नहीं रहेगा.
AI पर बाल साहित्य लिखा जाएगा. AI के ज़रिए बाल साहित्य लिखा जाएगा.
आप इस ऐप के जरिए कहानी,कविता,लेख,नाटक,उपन्यास सब कुछ लिख सकते हैं.
और यह सबसे बड़ा खतरा है उन लेखक बंधुओं के लिए,जो फ्रेम बनाकर
कहानी,कविता लिखते हैं.
मित्रो,रचनात्मकता की कोई रेसिपी नहीं हो सकती. मौलिकता इसमें पड़ने वाला नमक है.
इस प्रसंग से अपनी बात शुरू करने का मेरा आशय सिर्फ़ इतना है कि आज
हिन्दी बाल साहित्य में बस गिने-चुने विषयों पर,एक बासी भाषा का इस्तेमाल
करते हुए लेखन और पुन:लेखन हो रहा है.
और इसके मुख्य दो कारण हैं.
पहला कारण- हमारे पास युवा लेखक नहीं है. युवाओं के पास एक नया नज़रिया
होता है,भाषा होती है और आज का युवा तो दुनियाभर का साहित्य पढ़ता , देखता
या सुनता है.
लेकिन हिन्दी में बाल साहित्य लिखना उसे रोमांचित नहीं करता,वह पूछता है
इससे मुझे क्या मिलेगा?
है आपके पास इसका जवाब?
और दूसरा कारण है- हमारे पास हिन्दी में ऐसे अनुभवी बाल साहित्यकार नहीं हैं
जो जीवन के विभिन्न क्षेत्र से आए हों.
अंग्रेजी के एक बहुत ही मशहूर बाल साहित्यकार हुए हैं -रोआल्ड डाल.मटिल्डा और
चॉकलेट फैक्ट्री जैसी रचनाओं और फिल्मों के लेखक.वे एक फाइटर प्लेन पायलेट
तथा इंटेलीजेन्स ऑफिसर थे.
मेरे कहने का मतलब है जब लेखक अलग-अलग क्षेत्रों से होंगे तो वे अपने साथ
डोमेन नॉलेज भी लाएंगे.
काश,हिन्दी में हमें ऐसे बाल साहित्यकार मिलते जो पेशे से
पुलिसकर्मी,खिलाड़ी,इंजीनियर,डॉक्टर,जादूगर होते.
लेकिन हर व्यक्ति अपने समय का मूल्य चाहता है और अभी तक यहां पैसा नहीं
है,इसलिए लोग इससे जुड़ नहीं रहे हैं.
लेकिन मैं आपको पूरे यकीन के साथ कहने जा रहा हूं कि हिन्दी बाल साहित्य
और साहित्यकारों के दिन फिरने वाले हैं. अच्छे दिन सचमुच में आने वाले हैं.
दोस्तो, आज साहित्य केवल प्रिंट मीडियम तक सीमित नहीं रह गया है.आज
ऑडियो और वीडियो प्लेटफॉर्म ज़्यादा सक्रिय है,ज़्यादा व्यापक है. यू-ट्यूब से लेकर
नेटफ्लिक्स,प्राइम वीडियो,डिज़्ने हॉट स्टार,जी5,सोनी लिव से कौन अन्जान है.
और यही वो भविष्य है, जहां हिन्दी के बाल साहित्य के लिए शानदार संभावनाएं
हैं.आज ओटीटी पर शानदार विदेशी सिरीज़,फिल्में मौजूद हैं.मैं इनमें से कुछ नाम
आपके साथ शेयर करना चाहूंगा.
(क्रमश:)