रचनाकार : समीर गांगुली
आज की कड़ी में हम मेरे एक और किशोर उपन्यास की चर्चा करेंगे. जिसका नाम है :
मिशन ग्रीन वॉर
हिन्दी बाल साहित्य में किशोर बाल साहित्य को अलग से रेखांकित करने की वो परंपरा नहीं है, जैसा कि बांग्ला भाषा में दिखाई देती है जहां दो स्पष्ट वर्ग हैं -शिशु साहित्य और किशोर साहित्य. खैर इस पुस्तक पर लौटते हैं.सन 2022 में इसके प्रकाशित होने के बाद मैंने इसे हिन्दी बाल साहित्य के एक सम्माननीय और विश्वसनीय प्रवक्ता श्री दिविक रमेश जी को मिजवायी थी. पुस्तक को पढ़ने के बाद उनके विचार के एक अंश को मैं यहां प्रस्तुत करना चाहूंगा.
समीर गांगुली की बाल-साहित्य लेखन में कुशल सक्रियता मुझे इसलिए भी स्वागत के योग्य लगती है और पसंद है कि उनकी लेखनी से विशेष रूप से बाल-कथा (उपन्यास) के क्षेत्र में एक के बाद एक श्रेष्ठ कृतियां सामने आ रही हैं।
इस समय मेरे सामने 2022 में प्रकाशन विभाग, भारत सरकार के द्वारा प्रकाशित उनका बाल उपन्यास “मिशन ग्रीन वॉर” है। पहली बार मैंने उनका उपन्यास ‘“रंगीली,बुलेट और वीर”’ पढ़ा था जिसके केंद्र में स्मार्ट गाँव के संकल्पना है। मैं अभिभूत हुआ था। मैंने लिखा था – “हिंदी के बाल-साहित्य में उत्कृष्ट बाल उपन्यासों की अपेक्षित संख्या नहीं है। ऐसे अच्छे उपन्यासों की तो और भी कमी है जिनका कथानक तथ्यात्मक जानकारी आधारित हो लेकिन जो उपन्यास की विधा में जानकारी प्रस्तुत करने के लिए माध्यम मात्र न होकर हर हाल ‘उपन्यास’ हों।’’
मुझे खुशी है कि किशोरों के लिए वैज्ञानिक संकल्पना के रूप में कृषि केंद्रित यह बाल उपन्यास‘‘ मिशन ग्रीन वॉर’’ भी उपर्युक्त कसौटी पर खरा उतरता है। कथा को 13 भागों में विभाजित किया गया है। शैली में रोमांच और खोजीपना है। जिज्ञासा, प्रश्नाकुलता और रहस्यमयता का भरपूर पुट है। जानकारी और तत्थात्मकाता को कहीं बोझिल नहीं होने दिया है। कथारस की रचनात्मकता को इस अंश में पहचाना जा सकता है-
‘‘ अभी वे पाँच मिनट भी नहीं बोले थे कि मोहन ने दोबारा हाथ खड़ा कर दिया।
शास्त्री सर मुस्कुराकर बोले, “अब क्या?”
मोहन, “सर, क्या हम एक ही पौधे में हल्दी और अदरक दोनों फसलें उगा सकते हैं?”
कहानी एक कृषि कॉलेज की है। जो कि उत्सुकता जगाती एक रहस्यात्मक जिज्ञासा से शुरु होती है – जुबिन कहाँ गया ।
नरेश कृषि कॉलेज से हॉस्टल की ओर जा रहा होता है। तभी उसने महसूस किया कि कोई आदमी उसका पीछा कर रहा है। पीछा करने वाला लोकल सी.आई.डी. से था और नरेश के सहपाठी जुबिन के बारे में जानना चाहता है। नरेश जो जानता था पहले ही पुलिस को बता चुका होता है। जुबिन को वह अपनी धुन में रहने वाला लड़का मानता था। कृषि और पशु विज्ञान की कक्षा में वह अजीब-अजीब सवाल करता था जो अध्यापकों को कभी पसंद आते और कभी नहीं। हर बात को जुबिन गहराई से समझना चाहता था। मसलन सेब के बाग नरेश के थे लेकिन सेब की खेती कए बारे में दुनिया भर का ज्ञान जुबिन के पास था। फसलों को ज्यादा फायदेमंद बनाने के लिए उसके पास ढेरों आइडिया होते थे। जुबिन को जाग-जाग कर सपने देखने की आदत थी।
कृषि कॉलेज में शास्त्री सर भी हैं जिनकी बायो टेक्नॉलॉजी की कक्षा सबसे अलग होती थी। जुबिन उनका प्रिय छात्र था। लेकिन उसके गायब हो जाने से वे बहुत दु:खी थे।
क्रमश: