रचनाकार : समीर गांगुली
इस बार की कड़ी में हम मेरे एक और किशोर उपन्यास की चर्चा करेंगे, जिसका नाम है :
मायावन और धन धना धन
यह थोड़े बड़े बच्चों के लिए फेंटेसी शैली में लिखा गया एक बाल/ किशोर उपन्यास है. यह एक
वर्ल्युअल निवेश यात्रा है जिसमें इक्विटी या शेयर मार्केट में निवेश की रोमांचक कहानी कही गई
है. यह आर्थिक साक्षरता की दिशा में उठाया गया एक कदम है.
इस उपन्यास को भारत सरकार के प्रकाशन विभाग (पब्लिकेशन डिविजन) द्वारा प्रकाशित
किया गया है. संक्षेप में घटना क्रम कुछ इस प्रकार है.
यहां चार बच्चे (दो लड़के, दो लड़कियां) मायावन में, जो कि एक एम्यूजमेन्ट पार्क जैसा
चहारदीवारी से घिरा परिसर है, में एक टाइम मशीन जैसे वाहन में बैठकर एक गाइड के साथ दो
घंटे में दस वर्ष के आगामी समय से गुजरेंगे.
मायावन स्टॉक मार्केट की काल्पनिक दुनिया है और वहां की गतिविधियों को यहां अकल्पनीय
दृश्यों के ज़रिए स्पष्ट किया है. यहां वृक्ष वास्तव में कंपनियां हैं जो परिस्थितियों के अनुसार
घटती-बढ़ती या गायब होती और उगती रहती हैं, उनमें बोनस और डिविडेन्ड के फूल भी लगते
हैं.
इस वन में बच्चों को बेयर और बुल भी नज़र आते हैं जो इस वन के राजा बनने के दावेदार हैं.
यात्रा के शुरू में बच्चों को एक-एक लाख आभासी रूपए देकर कंपनियों में निवेश करने को कहा
जाता है और विभिन्न समय अवधियों में उनके निवेश की समीक्षा की जाती है.
मायावन में तरह-तरह की अनिश्चितताओं, खतरों और संभावनाओं के साथ उनका सामना होता
है.
यहां निवेश यात्रा में निवेश करने या बचत करने की एक बंधी-बधाई सोच के दायरे से निकलना
है. इस दुनिया में मौजूद प्राणियों की गतिविधियां इस बात का सबूत है. यात्रा के दौरान उनका
अजीबोगरीब पात्रों और घटनाओं से सामना होता है और हर चीज उन्हें निवेश के बारे में
अप्रत्यक्ष रूप से कुछ जानकारी देती है. उपन्यास के विभिन्न अध्याय इस प्रकार हैं:
- कल्पना केन्द्र (एम्यूजमेन्ट पार्क) में स्वागत
- गाइड से मुलाकात (रोबोट द्वारा जानकारी)
- मायावन में प्रवेश (शेयर मार्केट का काल्पनिक चित्र)
- बेयर से सामना (मंदी का दौर)
- दो राजमहल (बीएसई और एनएसई की जानकारी)
- खरीदारी शुरू
- पुलिस थाने में (सेबी की जानकारी)
- एक फुर्तीले बुल के साथ दौड़ (तेजी का दौर)
उल्टा-पुल्टा (मार्केट में उतार-चढ़ाव)
कभी धूप, कभी छांव (अनिश्चितता)
धन-धना-धन (स्टॉक मार्केट में निवेश से मुनाफा)
मंजिलें और भी है (वास्तविक इतिहास की जानकारी)
इस उपन्यास के लिए जब मैंने विभिन्न स्रोतों से जानकारी प्राप्त करना चाहा, तो गौर किया कि
हिन्दी तो क्या किसी अन्य भारतीय भाषा में भी वैज्ञानिक तरीके से आर्थिक साक्षरता पर
किशोरों के लिए उपन्यास जैसा कुछ नहीं लिखा गया था. इसे लिखते समय मेरे मन में भी कुछ
सवाल थे. जैसे कि क्या रिटायरमेन्ट की उम्र पार कर गई अभिभावकों की पीढ़ी, जो अपना
अधिकांश पैसा फिक्स्ड डिपॉजिट में रखती है और महंगाई के कारण उसके मूल्यहा्स के बारे में
कुछ नही जानती है. क्या वह इक्विटी में दीर्घकालीन निवेश जैसे विषय को समझ पाएगी. और
हमारे यहां किशोर पाठक भी खुद मनोरंजन के लिए किताबें कहां खरीदते हैं. ऐसे में किताब
बच्चों तक पहुंचेगी कैसे? दूसरी तरफ प्रकाशन विभाग का बिक्री नेटवर्क काफी विशाल होते हुए
भी वहां स्कूलों तक पुस्तकें पहुंचाने के लिए विशेष उत्साह का अनुभव मुझे नहीं मिला. सो इस
किताब की चर्चा की शुरूआत आशा के अनुरूप नहीं हुई. लेकिन अब कुछ बाल साहित्यकारों और
समीक्षकों द्वारा इसके बारे में जानकारी देने या समीक्षा करने के बाद काफी लोगों का ध्यान
इसकी तरफ गया है. मेरी राय में इस पुस्तक को बच्चों द्वारा दो कारणों से पढ़नी चाहिए : - मनोरंजन के लिए, एक रोचक फैंटेसी उपन्यास के रूप में
- आर्धिक साक्षरता के लिए, एक संदर्भ पुस्तक के रूप में.
क्रमश: