चैप्टर – 3
जैसे ही योगगुरु के चैतन्य होने की जानकारी गोल्डी ने इंस्पेक्टर को दी वह अपने साथ दो कांस्टेबलों को लेकर अस्पताल पहुंच गया।
इंस्पेक्टर मानवेंद्र – कहिए योगाचार्य, अब कैसा महसूस कर रहे हैं?
योगगुरु गर्दन पर हाथ फेरते हुए बोले – बस ठीक है, इंस्पेक्टर साब! बस गले में खिंचाव के कारण दर्द हो रहा है।
इंस्पेक्टर मानवेंद्र – किसी ने आपकी जान लेने की कोशिश की थी! क्या आप जानते हैं वह कौन था?
योगगुरु कुछ सोचते हुए बोले — ज्यादा कुछ याद तो नहीं आ रहा। शाम को जब करीब साढ़े चार बज रहे थे तो मैंने अपने नौकर श्यामलाल से आयुर्वेदिक चाय बनाने को कहा था। वह किचन में चाय बनाने चला गया था। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। मैंने देखा कि मुंह पर रूमाल ढांपे एक शख्स केबल का तार लेकर खड़ा है। उसने मुझसे पूछा कि क्या मुझे टीवी के लिए केबल कनेक्शन लगवाना है। मैंने कहा मुझे टीवी ज्यादा देखने की आदत नहीं है। मैं क्या करूंगा केबल कनेक्शन लेकर? गोल्डी शाम साढ़े पांच बजे का शो देखने निकल गया था। श्यामलाल मेरे लिए चाय लेकर आ गया। चाय पीने के बाद मुझे गहरी नींद आने लगी। फिर मेरी आंखें जैसे ही झपकीं किसी ने मेरे गले में तार कसकर लपेटने की कोशिश की। मुझे अपनी जान का खतरा लगा तो मैंने अपनी सांस योगाभ्यास से रोक ली। इसके बाद क्या हुआ मुझे पता नहीं चला।
इंस्पेक्टर मानवेंद्र – इसका मतलब केबल वाले या श्यामलाल में से किसी ने योगगुरु की जान लेने की साजिश की होगी। इंस्पेक्टर ने मन ही मन में सोचा पर अपने विचारों को होंठों तक आने नहीं दिया। इस बातचीत के दौरान ही योगगुरु के परिवार वाले भी उनकी खैरियत जानने अस्पताल पहुंच गए। इंस्पेक्टर योगगुरु को आराम करने की कहकर थाने वापस चला आया।
अगले दिन सुबह उसने योगगुरु की फैमिली से पूछताछ की।
योगगुरु की बीबी सुनंदा ने कहा – मुझे तो उम्मीद ही नहीं थी कि मेरे पति पर ऐसा जानलेवा हमला हो जाएगा।
जब बेटी सुमेधा से पूछ-ताछ की गयी तो उसने कहा – मुझे यह जानकर बहुत हैरानी हो रही है कि पापा पर किसी ने जानलेवा हमला किया है हो सकता है कि उनकी किसी से दुश्मनी हो और उसी ने उनकी जान लेने की साजिश रची हो।
जब गोल्डी से इंस्पेक्टर ने पूछताछ की तो उसने मासूम सी आवाज में जवाब दिया ।
गोल्डी – मैं कल शाम को अपनी गर्लफ्रेंड माधुरी के साथ पास ही के वीएफएक्स सिनेमा में पिक्चर देखने गया हुआ था। मैं बेकार में ही पिक्चर गया। कभी अपने में सोचा तक नहीं था कि पापा के साथ ऐसा हो जाएगा। उसने यह भी बताया कि वह सिटी सेंटर में बिजली के सामान की छोटी सी दुकान जरूर चलाता है पर वह टीवी वाले केबल नहीं बेचता है।
इंस्पेक्टर ने मामले की आगे जांच के लिए श्यामलाल को थाने में तलब किया। वह डरते—डरते थाने में हाजिर हुआ। उसने बताया कि योगगुरु पर हमले से पहले गोल्डी और उसकी गर्लफ्रेंड माधुरी कमरे में थे। योगगुरु ने गोल्डी को सिनेमा जाने से पहले दीवार पर टंगी घड़ी के सेल लाने को कहा था क्योंकि वह करीब 20 मिनट से एक ही समय बजा रही थी। गोल्डी सेल लेने गया तभी दरवाजे पर दस्तक हुई थी। मैं उस समय चाय बनाने किचन में गया हुआ था। उसी समय उसे बाथरूम का दरवाजा खोलने की आवाज आई थी। शायद माधुरी मैम बाथरूम गई होंगी। इसके बाद गोल्डी आया था और वह पिक्चर जाने में देर होने की बात कहकर बाहर निकल गया। उसने माधुरी को नीचे से आवाज देकर बुलाया था और वह अपनी बाइक पर उसे बिठाकर थिएटर चला गया। मेरे बेटे लखन की तबियत खराब थी। मुझे उसे दिखाने डाक्टर के पास डिस्पेंसरी बंद होने से पहले जाना था। अत: मैं भी साहब को चाय देकर घर निकल गया था। मेरे निकलते वक्त योगगुरु चाय पीते हुए घड़ी के सेल लगाने में लगे हुए थे।
क्रमशः (काल्पनिक कहानी )