आखिरी चैप्टर
साहू ने पुलिस को बताया कि वह अपनी साजिश को अंजाम देने के लिए कई दिनों से योगगुरु के फ्लैट पर नजर रख रहा था। उसने श्यामलाल को एक लाख रुपये देने का लालच देकर अपनी तरफ मिला लिया था। उसके जरिए उसे पता चल गया था कि योगगुरु की पत्नी और बेटी इंदौर एक शादी में जाने वाली हैं। नदीम को फोन साहू ने ही गूगल पर केबल कनेक्शन वालों का नाम सर्च करने के बाद लगाया था ताकि शक की सुई उसकी तरफ नहीं घूमे।
जब श्यामलाल और गोल्डी व माधुरी फ्लैट से बाहर निकल गए तो साहू ने अपने टीवी की केबल का छोटा सा पीस काटा और योगगुरु के फ्लैट पर पहुंच गया। फ्लैट का दरवाजा आधा खुला हुआ था। श्यामलाल द्वारा योगगुरु की चाय में डाले गए मादक पदार्थ का असर पीने के साथ ही उन पर होने लगा था। जैसे ही उनकी आंखें बंद होने लगी तो साहू ने केबल के तार से उनका गला घोंटने की कोशिश की कि तभी उनका कमरे से लगी बालकनी में बंधा पालतू कुत्ता रॉकी जोर से उछलते हुए भौंकने लगा। इस शोरगुल के कारण उसे लगा कि वह अपनी साजिश को अंजाम नहीं दे पाएगा।उसने भागने से पहले योगगुरु को कुर्सी समेत खींचकर कमरे के बाहर की तरफ धकेल दिया। फिर वह बेहद डरकर अपने फ्लैट में पहुंचा। उसने दरवाजा बंद कर लिया और फिर दो—एक पैग लगाने के बाद जब घबराहट थोड़ी कम हुई तो साहू ने पुलिस को योगाचार्य के बारे में फोन लगाकर गुमराह करने की कोशिश की। साहू ने जिस सिम से पुलिस को योगगुरु की हालत के बारे में जानकारी दी थी, उसने इस सिम को जानकारी देने के तुरंत बाद गैस चूल्हे पर जला कर नष्ट कर दिया था। इसके बाद वह अपने फ्लैट पर ताला लगाकर गार्ड से किसी पार्टी में जाने की बात कहकर गायब हो गया था। यह पूरी घटना 20 मिनट में हो गई।
इंस्पेक्टर ने जब उससे केबल के तार के बारे में पूछा तो साहू ने बताया कि उसने अपना केबल कनेक्शन मिलन केबल सर्विस से लिया था। यही केबल सर्विस एलीफेंट ब्रांड का तार का इस्तेमाल कनेक्शन देने के लिए करती है। रॉकी के भौंकने और हंगामा होने की आशंका के कारण उसके हाथ से केबल का तार कब छूटकर योगगुरु के कमरे में गिर गया, उसे पता ही नहीं चला।
मामले की सारी जानकारी मिलने के बाद योगाचार्य बोले — अब जो होना था हो गया। वो तो भगवान की कृपा थी कि मेरी बुद्धि सही समय पर काम कर गई और मैंने साहू द्वारा हमला करने के दौरान योग से अपनी सांस रोक कर उसे भ्रम में डाल दिया। आपको बहुत—बहुत धन्यवाद इंस्पेक्टर साहब जो आपने इतने पेचीदा मामले की गुत्थी आखिरकार सुलझा ही ली।मैं तो चार महीने पहले रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी में योग के प्रोफेसर के पद से रिपटायर होकर सुकून भरी जिंदगी जी रहा था। मैं अगल—बगल वालों से ज्यादा मतलब नहीं रखता था। मुझे यह आभास तक नहीं था कि मेरा पड़ोसी ही उस मूर्ति के पीछे पड़ जाएगा और मेरी जान पर बन आएगी। अब मैं उस मूर्ति को राज्य संग्रहालय को दान कर दूंगा। न रहेगी मूर्ति और न होगी मुझे मारने की साजिश!
योगगुरु की ये बातें सबको बहुत अच्छी लगीं और सब उनकी सराहना करने लगे।योगगुरु तनिक ठहरकर बोले—इस घटना से मुझे एक अहम सबक मिल गया है कि हो सकता है कोई अपराधी आपके बीच किसी फ्लैट में रह रहा हो। हम यदि सतर्क नहीं रहेंगे और अपने पड़ोसियों को नहीं जानेंगे और उनसे मिलेंगे—जुलेंगे नहीं तो ऐसी वारदात किसी के साथ भी हो सकती है। अत: जहां भी रहो सतर्क रहो यही सुरक्षा का मूलमंत्र है।
उधर, इंस्पेक्टर मानवेंद्र व्योमकेश साहू और उसके सहयोगी श्यामलाल को योगगुरु की हत्या की कोशिश और पुरातन वस्तु संरक्षण एक्ट के तहत सलांखों के पीछे भेजने की तैयारियों में लग गया।
(काल्पनिक कहानी )