रचनाकार: उत्तम कुमार तिवारी ” उत्तम ” लखनऊ
हरियाली
हरियाली धरती पर
हरियाला परिधान
हरियाली सी हो रही
हरियाली मुश्कान ।।
हल्की हल्की फुहार है
सावन की मस्त बहार
हरी हरी ये घास है
हरियाली मस्त बहार ।।
चहक रही है महक रही है
चटक रही कलियाँ सारी
महक रही है फूलों के सुगंध से
ये सारी फुलवारी ।।
मस्त पवन से झूम रही
फूलों की डाली डाली
मधुरस पीने को आतुर
तितली घूम रही डाली डाली ।।
तृन तृन झूम रही ऐसे
जैसे बरखा की बुँदे इठलाती
हरियाली चहु ओर फैलती
करती धरती हरियाली ।।
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नव यौवना
चम्पा चमेली चाँद सी
चमचम चमकती चकाचौंध है
चंचल चितवन चकर मकर कर
चितय रही यह नारि चहु ओर है ।।
मुख मधुर मनोहर लिए हुए
मधुरस का मधुपान किये
मंद मंद मुस्कान लिये
मुख मुस्काय विनोद करें ।।
नूतन नायिका नाजुक निराली है
नकफूल नखरीले नाज़ुक निराले है
नकमोती नगदार नज़दीक नाक से
नाजुकमिज़ाज़ी यह नव विवाहिता है ।।
सुंदर सजोली श्यामल सुहागन सी
सरक रही सारी शरीर से सर सर
सुभग सलोनी सी सुन्दर सजी धजी
चम्पा चमेली चाँदनी चका चौंध है ।।
झिझकती झाकती झरोखन से
झुकि झुकि झाँककर झुमकी हिलती है
झाँक झाँक झरोखन से झुकि जात
ऐसों मतवाली सुंदरी यह नारि है ।
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माटी को वंदन
जिस माटी मे जन्म लिया
वह माटी मेरी माता है
पालन पोषण करने वाली
मेरी धरती माता है ।।
मै हूँ कितना भाग्यवान
मेरी दो दो माता है
एक ने मुझे जन्म दिया
दूजी ने मुझको पाला है ।।
सूर्य हमारे पिता समान
जिसने मुझको तेज दिया
चंदा बन के मामा मेरे
हमको प्यार दुलार दिया ।।
तारे मेरे रात के साथी
मुझसे बाते करते है
धवल चांदनी की राते
मुझको रोज़ सुलाती है ।।
नदिया पोखर भाई बहन
मुझको रोज़ पानी देते है
पालन पोषण करते वृक्ष हमारे
मुझको नित भोजन देते है ।।
इसका कण कण चन्दन है
माथे पर मेरे तिलक लगा
मै वंदन करता हूँ उस माटी को
जिसमे मेरा जन्म हुआ ।।
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साहित्य बृक्ष
शब्दो की अमृत धारा से
सीच रहा हूँ साहित्य निराला
पढने मे सबको सुन्दर लगे
और रहे ये नित हरियाला ।।
वर्णो के सुन्दर फूल खिले
शब्दो के नव पल्लव हो
पढने वाले इसकी साखाएं
नित फैले औ विकसित हो ।।
पेड़ बने साहित्य का ऐसा
जैसे पीपल बरगद का हो
फैले जड़े धरती के अंदर
साहित्य पेड़ मजबूत बने ।।
नित उठ कर सुबह शाम
मै कविता रूपी जल अर्पण करता
साहित्य बृक्ष नित हरा भरा रहे
सुन्दर शब्दों से कोशिस करता ।।
अपनी धरोहर सौंप रहा
अपने लेखन से हरा भरा रखना
मुरझा न पाए साहित्य बृक्ष
बड़े जतन से इसको रखना ।।