चैप्टर—1
एक लकड़हारा था घीसू। उसे अपनी पत्नी ब्रजलता के अलावा तीन बच्चों—गोलू, मोलू और शीलू का भी पेट भरने के लिए खूब मशक्कत करनी पड़ती थी। वह हर रोज तड़के शहर के बाहर स्थित जंगल में जाता, वहां दोपहर तक उपयोगी लकड़ियां काटता। फिर शाम को इन लकड़ियों को किराए की गाड़ी में लादकर बाजार तक लाता और उन्हें अच्छे दामों में बेच देता।
यह लकड़हारा नए जमाने का था। उसे अपने अड़ोसियों-पड़ोसियों के पास बड़े-बड़े मोबाइल फोन देखकर बेहद कोफ्त होती। घीसू अपना मोबाइल फोन खरीदने का सपना पाल बैठा। उसने इस सपने को पूरा करने के लिए अथक परिश्रम शुरू किया। एक—दो बार तो अपने बीवी और बच्चों को भी जंगल में ले गया और काम पर लगा दिया। उससे उसकी आमदनी थोड़ी बढ़ गई। उसे समझ में आ गया था कि जब सब लोग मिलकर काम करते हैं तो नतीजा अच्छा ही होता है।
लेकिन बीवी को यह सब पसंद नहीं आया। वह आशंकित सी रहती थी और यह डर सताता रहता था कि कहीं बार—बार जंगल में जाने से उसे और बच्चों को कोई परेशानी नहीं हो जाए। फिर वह यह भी सोचती थी कि उसे घर का तमाम काम करना पड़ता है। सुबह जल्दी उठकर चूल्हा—चक्क्री करने के अलावा राशन—पनी लाने और झाड़ू—पोंछा जैसे काम भी करने होते हैं। ये सब काम निपटाते—निपटाते सुबह से कम रात हो गई, पता ही नहीं चलता। उसे लगता था कि लकड़हारा तो एक बार जंगल चला जाता है तो देर रात को ही घर लौटता है। वह घर—गृहस्थी के दायित्वों से मुक्त रहता है। बच्चे छोटे हैं और घर के काम में मदद नहीं कर पाते। अत: उसने यह सोचकर एक—दो बार जंगल जाने के बाद रोज—रोज जाने से इनकार कर दिया। साथ ही, बच्चों से भी कह दिया कि वे अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें। लकड़ियां काटने के चक्कर में नहीं पड़ें।
घीसू को अपनी बीवी के फैसले पर एतराज तो था पर वह उसे और बच्चों को रत्ती भर भी परेशान नहीं करना चाहता था। अत: उसने सोचा कि वह अकेले ही अपने दम पर रोज ज्यादा से ज्यादा लकड़ियां काटकर लाएगा और उन्हें बाजार में बेचकर अच्छी कमाई करेगा। उसने ब्रजलता को कह दिया कि वह जब भी जंगल जाने को तैयार हो उसके लिए रोटी—सब्जी बनाकर दे दिया करे। ब्रजलता इस बात पर राजी हो गई।
एक दिन घीसू को जंगल से चंदन की लकड़ियां मिलीं। उनकी गंध से पूरा वातावरण महक रहा था। उसने ये लकड़ियां कार्टी और अच्छे भाव में बाजार में ले जाकर बेच दीं। उसकी उसी दिन की कमाई 20 हजार रुपये से अधिक हो गई। उसने घर खर्च लायक रकम अपने पास रखकर बाकी के पैसों से मोबाइल फोन खरीद लिया। धीरे-धीरे उसे मोबाइल फोन चलाना, स्टेटस अपडेट करना आदि भी आ गया। जब कभी जंगल या बाजार से लौटने में देर होती वह अपने पड़ोसियों को फोन करके अपनी स्थिति बीवी को बताने को कह देता। घरवाली अपने पति के समाचार जानकर थोड़ी चिंता मुक्त हो जाती।
ऐसे ही सबकुछ ठीक चल रहा था। लेकिन होनी को कौन टाल सकता है?
क्रमश:
(काल्पनिक कहानी)