रचनाकार : शिखा तैलंग
पालतू कुत्ते की सोच
आज मैं सुबह 5 बजे से ही उठ गया हूं। अंगड़ाइयां ले रहा हूं। अपने आप को दिनभर के कामों के लिए तैयार कर रहा हूं। मेरा मालिक प्रसून अभी तक सोया पड़ा है। जैसे उसे पता ही नहीं हो कि मुझे सुबह—सुबह कितने काम निपटाने होते हैं। जो कुछ रात में खाया—पिया होता है उसमें से पचे माल को छोड़कर बाकी खराब माल को निकालना होता है। वाकिंग—बाकिंग तो छोड़िए वह मेरे साथ दो मिनट खेल ले यही बहुत है। में उस क्षण का बैचेनी से इंतजार कर रहा हूं जब प्रसून उठेगा और मुझे दो मिनट के लिए ही सही प्यार तो करेगा और अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेगा।
आज मेरे कामों की लिस्ट बहुत लंबी है। सुबह—सुबह के रूटीन वाले काम निपटाने के बाद बालकनी में बैठकर नीचे आते—जाते लोगों पर भौं—भौं करना है। फिर जब 7 बजेंगे तो पड़ोसन अपने अल्शेसियन और बुलडॉग को जूली के साथ लेकर निकलेगी तो उसे ताकना है। उसे मनाना है। जूली कौन? अरे वही मेरी डॉगी फ्रेंड! बस, जूली एक बार मुझे जी भर के देख लेगी तो चैन आ जाएगा। उसके बाद जब प्रसून आफिस जाएगा तो घर पर मेरा ही राज होगा क्योंकि प्रसून की श्रीमती जी ममता भी स्कूल में पढ़ाने चली जाएंगी। उनके दोनों बच्चे —बंटी और बबली स्कूल पहुंच चुके होंगे।
दोनों बच्चे उठने के बाद मेरे साथ थोड़ी उछल—कूद कर लेंगे। पर बंटी थोड़ा शैतान है। है आठ साल का पर शैतानियो में शैतान को भी मात दे देता है। एक बार उसने मेरी इतनी जोर से पूंछ खींची थी कि मेरी चीख निकल गई थी। तब बबली ने आकर मुझे संभाला था। बबली मुझे बेहद चाहती है। मुझसे लिपट जाती है। मेरा खयाल भी रखती है। मेरे शरीर पर पड़े पिस्सुओं को भी हर संडे निकालती है। मुझे नहलाती—धुलाती है। वह है 11 साल की पर समझदार बहुत है। मुझे अपने नाश्ते में से कुछ हिस्सा भी दे दी है। ओह! यही सब तो मैं चाहता हूं — थोड़ा सा खाना, बहुत सारा प्यार और कुछ देर मस्ती! पर मेरी सुनता कौन है बबली के सिवा!
ममता को तो फुर्सत ही नहीं रहती। बस, सुबह से उठकर किचन में घुस जाना, सबका चाय—नाश्ता बनाना और फिर लंच पैक करना! इन्ही सब कामों को जल्दी —जल्दी निपटाने के बाद वह बच्चों के साथ उन्हं बस स्टॉप तक छोड़ने के बाद अपनी स्कूटी से स्कूल निकल जाती है।
आखिर में प्रसून मुझे कमरे में बंद करके चला जाएगा। इन सबको टाटा—बाय—बाय करते—करते सुबह के 10 बज जाएंगेे। फिर मैं बैठकर इत्मीनान से बैठकर मैं नकली हड्डी चूसूंगा। मेरे डिब्बे में रखे गए डॉग फूड का आनंद लूंगा। कुछ देर कमरे में पड़ी बॉल से खेल लूंगा। फिर जब थक जाउंगा तो एकाध झपकी मार लूंगा! फिर दोपहर में 2 बजे ममता आएगी मुझे सड़ता हुआ मुंह बनाकर फ्रिज में बचा—खुचा खाना परोस देगी! अब यह बात अलग है कि अगर उस बासे—कूसे खाने को खाने के बाद मेरा पेट खराब हो गया तो मुझे डॉक्टर के पास कौन ले जाएगा?
(क्रमशः )