चैप्टर – 1
( यह हास्य—व्यंग्य समर्पित है उन स्वयंभू शेफों को, जो इंटरनेट पर छोटी—मोटी पाक विधियों को भी इतना बढ़ा—चढ़ाकर बताते हैं कि वीडियो देखने वाले का ढेर सारा डेटा खर्च हो जाए और वह विधि समझने के लिए बार—बार वीडियो रिवाइंड करता रहे। )
नमस्कार पाठको! आज हम यहां समौसे बनाने की वैज्ञानिक विधि सीखेंगे। सबसे पहले मैं आपको बता दूं कि आप अगर इस विधि को आजमाते हैं तो आपके समौसे न केवल खस्ता,कुरकुरे और स्वादिष्ट बनेंगे बल्कि हो सकता है कि इंटरनेशनल फूड फेस्टिवल में उनके चर्चे हो जाएं। इस विधि से समौसे बनाने से घर के तमाम रिश्तेदार, यार—दोस्त उंगलियां चाटते रह जाएंगे और पड़ोसन उनकी खुशबू से बेहोश भी हो सकती है।
आइए, समौसों को वैज्ञानिक विधि से बनाने से पहले इनका इतिहास तो जान लें। इससे आपका ज्ञान बढ़ेगा और हमारा लेख और लंबा होगा। तो, पाठको समौसे पंद्रहवीं सदी में पश्चिम—मध्य एशिया से आए थे। पहले ये मांस भरकर बनाए जाते थे। लेकिन मुगल काल में जब ये इंडिया में आए तो तब मीट की कीमतें बहुत बढ़ गई थीं और कुछ समुदायों ने मीट खाना छोड़ दिया था। मांस खाना अपर क्लास वाले लोगों के ही नसीब में हो गया था। अत: मिडल और लोअर क्लास इंडियन लोगों ने इसका देसी संस्करण तैयार किया। इसके बाद से समौसे आलू भरकर बनाए जाने लगे।
अब मैं समौसे के भूगोल पर रोशनी डालना चाहूंगी। समौसे देखने में तिकोने होते हैं। ये उत्तर—मध्य और पूर्वी भारत में बेहद लोकप्रिय हैं। समौसों को बिहारी लोग सिंघाड़ा कहते हैं। सिंघाड़ा भले ही पानी में उगने वाला हो पर हलवाई की दुकान पर बनने वाले समौसों को पानी में तो तला नहीं जा सकता। अत: हलवाई वगैरह इन्हें सस्ते तेल, डालडा आदि में तल कर बनाते हैं। हलवाई के बनाए हुए समौसे कई बार अनबिके भी रह जाते हैं। ऐसे बासी समौसे खाने से पेट में गुड़गुड़, मरोड़ी आदि हो सकती है आप डायरिया का भी शिकार हो सकते हैं। इससे बचने का उपाय यही कि घर पर ही समौसे बना लिए जाएं। हम यहां आपकी सेहत और खर्च करने की स्थिति के अनुरूप समौसे बनाने की विधि बताएंगे। हमें पूरा भरोसा है कि यह विधि न केवल आपके लिए बेहद उपयोगी साबित होगी बल्कि आपकी पाक कला की धाक मोहल्ले से निकलकर इंटरनेशनल स्तर तक भी पहुंच सकेगी। अब आपसे निवेदन है कि आगे पढ़ने से पहले हमारे इस आर्टिकल को लाइक, सब्सक्राइब करना मत भूलना। अन्यथा हम आपके घर आपके बनाए हुए समौसे खाने 10—12 दोस्तों के साथ कभी भी धमक सकते हैं।
अब समौसे बनाने की वैज्ञानिक विधि की शुरुआत करना चाहूगी। इस विधि से समौसे बनाने के लिए आपके पास थर्मामीटर, वैज्ञानिक माप के उपकरण, शुद्ध केलोस्ट्रोल फ्री तेल, वजन करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक कांटा आदि होना जरूरी है। अन्यथा हमारी विधि से बनाए गए समौसों और छज्जू हलवाई के समौसों में आपको कोई फर्क नजर नहीं आएगा। इन समौसों को बनाने के लिए आपको स्वस्थ होना जरूरी है। अत: जब भी इस विधि से समौसे बनाना शुरू करें पहले सरकारी डिस्पेंसरी हो आएं। आप चाहें तो इस आर्टिकल के साथ दी गई फर्जी लिंक को क्लिक करके भी अपना स्वास्थ्य परीक्षण करवा सकते हैं। इससे हमें भी बहुत लाभ होगा और टेस्टों के बतौर कमीशन कुछ एमाउंट हमारे पास भी आएगा। अगर स्वास्थ्य परीक्षण में आपका ब्लड प्रेशर, ब्लड ग्लूकोज, ब्लड यूरिया, दिल की धड़कन और सांस की रफ्तार तथा बॉडी का टेम्परेचर 100 डिग्री से कम आता है तभी आप इस विधि से समौसे बनाना शुरू करना। अन्यथा खराब रिजल्ट आने पर हमारी कोई जवाब देही नहीं होगी।
( डिस्क्लेमर— यह विधि केवल मनोरंजन के उद्देश्य दी गई है। कृपया इस पर अमल नहीं करें।)
क्रमशः