रचनाकार : अमर गोस्वामी, धौलपुर (राजस्थान )
लता छटी कक्षा में पढ़ती थी । वो राजस्थान के भरतपुर शहर की रहने वाली थी । उसकी शादी की बात भरतपुर के पास के ही एक गांव के लड़के से चली । लता के पिता सरकारी नौकर थे । कैशियर का काम करते थे ।
एक दिन लता के पिता लड़का को देखने लड़के के गांव गये । घर पहुंचे तो पता चला लड़का बकरी चराने गया । लड़के के घर वालों ने लता के पिता को बड़े ही आदर के साथ चारपाई पर बिठाया और जल पान कराया ।
लड़का गरीब परिवार से था । घर कच्चा और घांस फूस , टीन टप्पर से छबा हुआ था । लड़का घर लौटा । लड़के को देखकर लता के पिता को लड़का पसंद आ गया । और मिट्टी का तिलक कर रिश्ता पक्का कर दिया ।
लड़का गोरा नारा और हष्ट-पुष्ट था । तब लड़का आठवीं कक्षा में पढ़ रहा था । लता पढ़ना चाहती थी। इसलिए पिता ने भी उसकी पढ़ाई जारी रखवाई। धीरे धीरे समय निकलता गया । लता ने कक्षा दसवीं पास कर ली और लड़के ने कक्षा बारहवीं पास कर ली । अब दोनों की शादी कर दी गई ।
लड़के का चयन फौज में हो गया । उधर लड़का देश की सेवा में लग गया । सीमा की रक्षा करना उसका अब कर्तव्य बन गया । इधर लता की ललक पढ़ाई-लिखाई में बढ़ती गई। लता ने स्नातक कर ली । और बाद में बी. एड. भी कर ली ।
लता की मेहनत रंग लाई और लता अध्यापिका भी बन गई।फौज में छुट्टियां कम मिलती थीं इसलिए लड़के का घर आना यदा कदा ही हो पाता था । लड़के का नौकरी के दौरान कभी ऊंची ऊंची पहाड़ियों पर चढ़ना तो कभी खुले मैदानों में बंदूक तान कर दौड़ना आम बात थी ।
इधर लता को नौकरी लगने से पहले ससुराल में शुरु के दिनों में बेहद गरीबी देखनी पड़ी। उसे सात सात दिनों तक साग सब्जियों के दर्शन नहीं हुआ करते थे । जो भी राशन पानी घर में उपलब्ध होता उसी को बड़े प्रेम से बनाती , खिलाती और खुद खाती । इस स्थिति का लता ने अपने मायके में कभी जिक्र भी न किया । लता का पति बीस बाईस साल की नौकरी करके सेवानिवृत्त हो गया ।लता भी जिंदगी के दैनिक चक्र में रम गई । ईश्वर कृपा से लता का परिवार अब सुकुन कि जिंदगी जी रहा था । लता घर संभालने के साथ साथ स्कूल को भी संभालती थी। लता दोहरी भूमिका में थी । और दोनों में निपुण थी।
लता के एक लड़का था । जो बड़ा हो चला था और विवाह योग्य हो गया था । लता के लड़के का विवाह हो गया और बहू घर आ गई। लता की उम्र अब पचास से ऊपर हो चली है । और नो दस साल सेवानिवृत्त होने में बचे हैं । लेकिन लता आज भी मानसिक रूप से परिपक्व और शारीरिक रूप से सुदृढ़ है ।
लता का पति इन दिनों बीमार चल रहा था। और वो उसे भरतपुर से अकेली ऐंबूलेंस में जयपुर लाकर अस्पताल में भर्ती करा देती है। भर्ती में लिखा पढ़ी के कागज की पूर्ति से लेकर दवाई आदि का इंतजाम का जिम्मा लता पर था । इस दौरान उसके लड़के व बहु नदारद थे ।
(क्रमशः)