सुशीला तिवारी, पश्चिम गांव, रायबरेली
बचपन
बचपन !
जिंदगी का बड़ा अहम और खूबसूरत दौर होता है ,जो सुख दुख से परे हर गम से अनजान , न पाने की लालसा न खोने का डर,मासूमियत भरे वो बचपन के सुहाने पल जीवन में दोबारा नही आते हैं ।
बस भाई-बहन दोस्तों के साथ धमा चौकड़ी करना बचपन की पहचान होती है। खेल खेलना फिर खुद ही हर बार जीतना अपने से जो छोटे उनको जानबूझ कर हराना, ये बचपन के मुख्य हथकण्डे हुआ करते थे ।
बात-बात पर अनबन पर अकले भी नही रहना,फिर से मेल हो जाना ।
भाई-बहन का आपस में झगड़ना, फिर मां से शिकायत करना, त्योहार पर मिठाई चुराकर खाना भाई-बहन का नाम लगा देना
आज अब बड़े हो जाने पर वो पुराने दिन बहुत याद आते हैं।आज सबकुछ है लेकिन वो बचपन वाली मासूमियत बेफिक्री कही खो गई। जो चाहकर भी अब नही मिलेगी।
काश !
वो बचपन एक बार फिर लौट आये ।
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सहयोग
वैसे तो
किसी अन्य से अपने लिए सहारे और सहयोग की उम्मीद बाँधना अपने आप में ही आत्मविश्वास और कमजोर मानसिकता का परिचायक है ।
पर! कभी- कभी शायद कुछ हालात ऐसे मोड़ पर ले आते हैं, कि हम न चाहते हुए भी मजबूरन हम अपने परिवार जन से सहयोग की अपेक्षा रखते हैं ।
लेकिन जरूरी नही कि हर कोई आपकी सहायतार्थ
हमेशा तत्पर रहे।
पर कुछ सम्बंध ऐसे होते है जो आपके बेहद करीबी होते हैं वो आपकी उम्मीद पर सहायक होते हैं।
ये उनका आत्मिक सम्बन्ध और प्रेम है जिसके कारण सहयोग के लिए विवश हो जाते हैं।
ऐसे में उम्मीद बस उसी से रखिये,
जहां तक मेरे हिसाब से तो उम्मीद केवल ईश्वर और खुद अपने आप से रखनी चाहिए, अन्य से उम्मीद सहयोग की रखना हमेशा कष्टदायक होती है।
दुसरों से सहयोग की अपेक्षा रखने से बेहतर है।
खुद को और अपने मजबूत इरादों इतना बुलंद करें
निराशापूर्ण स्थिति छोड़कर सही विकल्प तलाश करें ।
जिससे जो जमाने वाले तुम्हारी नाकामी पर खुश होकर तरह तरह की बात बनाते हुए तंज करते थे,
तब वही जमाना देखकर ईष्या बस कह उठे।
ये इन्सान है या फौलाद!
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त्यौहार !
हमारे जीवन में बहुत मायने रखते हैं,हर दिन एक ही दिनचर्या से जीवन में स्थिरता आ जाती है ,त्यौहार आते ही उल्लास, उमंग ऊर्जा अनायास ही समाहित हो जाती है ।
त्यौहार हमें नीरसता से निकाल कर आन्नद दायक पलों की ओर ले जाते हैं,एक दो दिन के लिए बैर भाव, ईर्ष्या द्वेष नकारात्मक सोच विचार छोड़कर सबके प्रति सहज सरल भाव रखते है ,जिससे हमें आत्मिक सुख की अनुभूति होती है,
धार्मिक त्यौहार का अपना एक अलग ही महत्व और मायने हैं ,ये हमें अध्यात्म की ओर आकर्षित करते हैं।
वहीँ पर देश भक्ति वाले त्यौहार आपस में मिल जुल कर रहना आपसी सद्भाव और भाईचारा तथा देश के प्रति वफादार जागरूक होने की भावनात्मक सोंच का प्रादुर्भाव कराते है ।
रोज़मर्रा की वहीं दिनचर्या से ऊबकर कुछ रीति-रिवाजों को निभाना ही त्यौहार होता है,इनके साथ हम अपने सांस्कृतिक मूल्यों तथा विस्वास को जोड़कर खुश होते हैं।
इसलिए त्यौहार हमारे जीवन में एक नया उत्साह और नयी ऊर्जा प्रदान करते हैं।
ये कथन !
बिल्कुल सत्य है ।
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