आखिरी चैप्टर
टीकानंद ने याद किया कि स्मिता ने उनसे कहा था कि कार्यक्रम तो सुबह 11 बजे से होगा। अरे! मुझे दो घंटे काटने होंगे। यह सोचकर मन ही मन सोसाइटी के तमाम लोगों को कोसते हुए मंदिर प्रांगण में रखी बेंच पर पसर गए।
उन्हें कार्यक्रम का इंतजार करते हुए एक-एक पल एक-एक सदी के बराबर लग रहा था। उन्होंने और उनकी फैमिली ने श्रीमती जी के हाथों के बने हुए सात-आठ ब्रेड पकौड़े खाते हुए टाइम पास किया।
इस बीच, उन्हें आभास हुआ कि उनकी ड्रेस इतने बड़े फंक्शन के लिहाज से उपयुक्त नहीं है। अतः वे घर गए और एक बढ़िया छपकों वाली ड्रेस पहनकर आ गए। उन्होंने पैरों में चटख लाल जूतों की जगह सौम्य से दिखने वाले सफेद जूते पहन लिए ताकि वे आजकल के यंग हीरोज की तरह दिख सकें । यही नहीं, वे अपनी उम्र के साथ बढ़ती चांद को छिपाने के लिए अलमारी में करीने से रखा विग भी पहन आए।
ठीक 10. 45 पर स्मिता अपने सेक्रेटरी के साथ कार्यक्रम स्थल की व्यवस्थाएं देखने पहुंची। वे सिल्क की नीली साड़ी में कहर ढा रही थीं। धीरे-धीरे मंदिर के प्रांगण में भीड़ बढ़ने लगी और करीब 11. 30 तक पूरा प्रांगण लोगों से भर गया। मंदाकिनी और उनके बच्चे ब्रेड पकौड़े का स्टाल संभालने में लग गए।
कुछ देर में लाल झंडा लगाए हुए पुलिस की एक जीप आई। फिर उसके पीछे-पीछे छह सात कारें आईं। वे सब पीं-पीं का सायरन बजाते हुए वहां रुकीं और मंत्री जी एक काली कार से बाहर निकले। उन्होंने वहां मौजूद जनता-जनार्दन का अभिनंदन किया। इसके बाद स्मिता ने लाउडस्पीकर पर ऐलान किया अब टीकानंद मंत्री जी के कर कमलों में गमला पकड़ाएंगे।
यह ऐलान सुनकर टीकानंद की दिल की धड़कनें बढ़ गईं। वे सोचने लगे – कहां मैं एलडीसी कहां वे मंत्रीजी! उनके सामने मैं तो अदना सा दिख रहा हूं। पता नहीं मैं अपनी जिम्मेदारी को ठीक से पूरा कर पाउंगा या नहीं।
यह सोच-सोचकर उनका ब्लडप्रेशर बढ़ने लगा। माथे पर पसीना छलक आया। तभी मंत्रीजी ने टोका – आइए न टीकानंद जी! तो वे मधुर स्वर में यह बात सुनकर थोड़े संयत हुए। फिर उन्होंने कांपते हाथों से गमला थामा और मंत्री जी को देने चले। दो-तीन कदम चले ही थे कि मंत्री और उनके बीच में पड़ी एक खुरपी पर उनका पैर पड़ गया। वे जोर से चिल्लाए – उई मां!
गमला उनके हाथ से छिटक गया। पर मंत्री जी ने शायद घटना का पूर्वानुमान अनुमान लगा लिया था अतः उन्होंने गमले को जमीन पर गिरने से पहले कैच कर लिया और उसे फुर्ती से यथास्थान रखकर उसमें पानी भी सींच दिया।
फिर मंत्री ने टीकानंद की तरफ ध्यान दिया। वे गिरने-गिरने को हो रहे थे। उनका पैर लचक गया था तो मंत्री जी ने उन्हें सहारा दिया और गिरने से बचा लिया। हालांकि इस घटनाक्रम में उनका विग सर से फिसलकर ज़मीन पर गिर गया ।
इस घटना को देखकर वहां मौजूद तमाम लोग हैरान रह गए ।कई लोग बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी दबा सके। केवल 30 सेकेंड के भीतर यह पूरा घटनाक्रम हो गया। इसके पत्रकारों ने जमकर फोटो खींचे। वीडियोग्राफर ने विशेष इफेक्ट डालकर वीडियो बनाने का प्लान तैयार कर लिया।
जब टीकानंद को लगा कि मंत्री जी ने उन्हें सहारा देकर गिरने से बचा लिया है तो वे खुशी के मारे गदगद हो गए। उनकी आंखों से आंसू निकल आए। वे भर्राये स्वर में थैंक्यू मंत्री जी कहकर कार्यक्रम स्थल से भागकर अपने घर पहुंच गए। उनका दिल तेजी से धड़क रहा था। उनके पीछे-पीछे मंदाकिनी और दोनों बच्चे भी आ गए। मंदाकिनी ने उन्हें नींबू की चाय पेश की। उसे पीते ही टीकानंद के चेहरे की रंगत बदलने लगी और कुछ ही देर में वे नार्मल हो गए।
अगले दिन इंटरनेट और अखबारों पर टीकानंद और विग के गिरने और मंत्रीजी के द्वारा उन्हें थामे जाने का सीन फोटो और वीडियो के रूप में चर्चा का विषय बन गया। उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि यह वीडियो इतना चर्चित हो जाएगा। उन्हें मंत्रीजी के सामने गिरने और उन्हें गमला पकड़ाने की अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा पाने का मलाल तो था पर मन ही मन रिच और फेमस बनने का सपना पूरा होने की कल्पना करते हुए मुस्कराए जा रहे थे।
(काल्पनिक कहानी)