वर्गीज ने अपना रिटायरमेंट काफ़ी धूमधाम से मनाया। क्या ऑफिस, क्या मोहल्ला हर जगह उसके रिटायरमेंट पार्टी के ही चर्चे रहते। उसने खर्चा भी तो खूब किया था। डीजे, पावर प्वाइंट प्रेजेटेशन, एक थ्री स्टार होटल में डिनर। करीब 100-150 लोग पार्टी एन्जॉय करने पहुंचे और उसे जमकर उपहार भी मिले।
इस पार्टी से पहले वर्गीज ऑफिस में हर समय पीएफ उसकी ब्याज दरों, पेंशन आदि पर चर्चा करता रहता। वह लोगों को पीएफ के फायदों के बारे में बताता रहता। वह अक्सर कहता रहता था कि जब वह रिटायर हो जाएगा तो पीएफ ही उसका सबसे बड़ा सहारा होगा।
तब उसकी बातें सुनकर विजय को बेहद कोफ्त होती। वह इन सब बातों को अहमियत नहीं देता। उसे नौकरी करते-करते एक साल हो गया था। एकाउंट्स वाले उससे पीएफ खाता खुलवाने के लिए बार-बार आधार और पैन कार्ड मांगते। लेकिन विजय के कान पर जूं तक नहीं रेंगती। कभी वह कुछ बहाने करके तो कभी भूल जाने की बात कहकर समय काटता रहता और पीएफ खाता खुलवाने की बात टालता रहता।
जब एक साल से अधिक हो गया तो एकाउंट्स वालों ने उससे पीएफ का जिक्र करना तक छोड़ दिया। पीएफ के नाम पर जो पैसा काटना शुरू किया था उसे भी बंद कर दिया। उसकी सैलरी और कम हो गई।
जब विजय ने देखा कि सैलरी से पूरा नहीं पड़ रहा तो वह घर खर्च चलाने के लिए उधार कर मारता। जब वह आफिस में नया-नया लगा था तो वर्गीज ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की थी, ‘भइया, पीएफ कटवाना और जमा करवाना शुरू कर दो नहीं तो बेहद नुकसान होगा। अभी बैंक, पोस्ट ऑफिस आदि सबसे अधिक ब्याज पीएफ में ही मिलता है। रूल ऑॅफ 72 के अनुसार कम्पाउंड इंटरेस्ट के कारण केवल करीब नौ साल में ही रकम डबल हो जाएगी। फिर नौकरी की सुरक्षा अलग रहेगी। बॉस तुम्हें आसानी से निकाल नहीं सकेंगे। रिटायरमेंट के समय बढ़िया एमाउंट मिलेगा और आजीवन पेंशन भी मिलती रहेगी।’
लेकिन विजय ने ये सब बातें एक कान से सुनीं और दूसरे कान से निकाल दीं।
यों ही करते-करते डेढ़ साल हो गए। फिर देश में कोरोना फैलने लगा। विजय की कंपनी बंद होने के कारण नुकसान होने लगा। अब बॉस ने नुकसान की भरपाई करने के लिए छंटनी शुरू कर दी। उन्होंने अपने पीए से उन लोगों की सूची बनाने को कहा जिनका पीएफ नहीं कट रहा था। एकाउंट्स वालों ने विजय का नाम भी उस सूची में जोड़ दिया। बस इसके कुछ दिन बाद ही बॉस ने पीएफ नहीं कटवाने लोगों को 15-15 दिनों की सैलरी देकर चलता कर दिया। विजय की भी नौकरी छूट गईं ।
अब वह वर्गीज की बातें याद करके पछताता रहता। सोचता रहता कि काश! उसकी सलाह मानकर पीएफ कटवाना शुरू कर देता तो नौकरी इतनी आसानी से नहीं जाती और यदि जाती भी तो एक अच्छा खासा एमाउंट भी मिल जाता। पर अब पछताए होत का, जब चिड़िया चुग गई खेत!
मोरल ऑफ द स्टोरी : समय रहते अपने हित वाले काम निपटाना अच्छा रहता है। अन्यथा पछतावे के सिवा कुछ हाथ नहीं आता।
(काल्पनिक रचना)