नीलिमा तैलंग, पन्ना (मध्य प्रदेश)
हीरों की प्रसिद्ध नगरी “पन्ना” जिले की, अमानगंज तहसील में हमारा छोटा सा गांव है “दग्धा”। हमारे दग्धा गांव से लगभग तीस किलोमीटर दूर एक गांव है “बराहे”। वहां “वराह भगवान” की मूर्ति है ।
पिछले वर्ष अचानक ही परिवार के साथ वहां पिकनिक पर जाने का कार्य क्रम बन गया था। हम सभी अपनी गाड़ी में पन्ना कटनी रोड से “पवई” होते हुए, एक घंटे से कम समय में ही वहां पहुंच गए थे। वहां की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती थी । उस समय वहां चारों ओर हरियाली छाई हुई थी । ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे प्रकृति ने वराह देवता के स्थान पर अपनी कुछ विशेष ही कृपा बरसा दी हो । प्रकृति की अनुपम छटा को निहारने के साथ साथ हम लोगों को उस स्थान के बारे में बहुत कुछ नया जानने को भी मिला था।
वहां वराह देवता की एक सुंदर मूर्ति है।जिसके खंडित अवशेष अत्याचारियों की गाथा सुनाते प्रतीत होते हैं। वराह देवता की मूर्ति के कारण ही शायद उस गांव का नाम भी “बराहे” रखा गया होगा ।
हमने वहां जाकर देखा कि वराह देवता की मूर्ति के मुंह का अग्र भाग टूटा हुआ था। आस पास के लोगों से जानकारी लेने पर उन्होंने बताया कि किन्हीं आताताइयों ने धन के लालच में वराह देवता की मूर्ति को तोड़ कर खंडित कर डाला है।
आस पास में लाल पत्थर के बड़े बड़े शिला लेख बिखरे पड़े थे, जिन पर समझ में न आने वाली भाषा लिखी हुई थी ।कुछ शिलाओं पर खूबसूरत मूर्तियां भी बनी हुई थीं। एक स्थान पर तो कुछ ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे कालांतर में वहां कोई सुरंग या तलघर रहा होगा ।
वराह देवता की यह मूर्ति कितनी प्राचीन है और इसे कब और किन शासकों के द्वारा बनवाया गया होगा इसका अनुमान लगाना कठिन प्रतीत हो रहा था। हमने आस पास के लोगों से इसकी प्राचीनता के विषय में जानना चाहा तो उन्होंने भी इस विषय में अनभिज्ञता ही जताई थी ।
मुझे लगता है कि देश की अमूल्य धरोहरों में से एक यह वराह देवता का खंडित मंदिर भी है जिसकी प्राचीनता का अनुमान लगाना हम लोगों के लिए कठिन हो रहा है। तथा जो अपने ऊपर हुए न जाने किन आताताइयों के अत्याचारों की कहानी स्वयं ही सुनाता प्रतीत होता है।
यहां के बारे में एक किंवदंती और सुनने को मिली कि जो व्यक्ति मन का सच्चा होता है उसे वराह देवता अपने नीचे से आराम से निकल जाने देते हैं और जो मन का साफ नहीं होता वह वहीं अटक जाता है।
मैने यहां के बारे में गूगल पर भी जानकारी लेने का प्रयास किया किंतु मुझे यहां भी निराशा ही हाथ लगी।
आप भी करें कोशिश। शायद कहीं से कोई जानकारी मिल सके कि इस मंदिर को किसने और कब बनवाया??
एक बात और …
वहां से लौटते हुए हमें एक बिल्ली का छोटा सा बच्चा रास्ते में मिला था जिसे तीन चार कुत्तों ने घेर रखा था ।उसे हम लोग उठा कर अपने घर ले आए थे जो कि अब तक एक बड़ी बिल्ली बन चुकी है और उसने दो बच्चों को भी जन्म दिया है ।
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