आखिरी चैप्टर
हां, कल्ला प्रसाद को बच्चे के गाल पर च्यूंटी काटने का कोई मलाल नहीं था, क्योंकि इसी कारनामे की वजह से उनका नाम सोशल मीडिया पर (बद) नाम हो रहा था!
लाइक्स बटोरने के लिए लोग सोशल मीडिया पर किसी भी हद तक जाने के तैयार रहते हैं। एक बुजुर्ग सज्जन हैं बीबी सिन्हा यानी बाल ब्रह्मचारी सिन्हा! दो महीने पहले ही एलडीसी की बड़ी पोस्ट से रिटायर हुए हैं। पहले सरकारी दफ्तर में मक्खियां मारा करते थे अब घर में बैठकर यही काम करते है। एक दिन उनकी सुंदर सी बीवी ने ताना मारा – ऐ बीबीजी! कुछ करते-धरते काहे नहीं जिससे आपका नाम हो और आप भी फेमस बन जाएं!
अपनी बीवी का ताना सुनकर उन्होंने नया बाना पहन लिया! और अपने धर में मक्खी मारने के ही छह-सात वीडियो फेसबुक पर अपलोड कर दिए!
उनकी इस हरकत को लेकर जीव-जंतुओं के अधिकारों के हिमायती उन पर चढ़ बैठे और उनकी नाक में दम कर दिया! उनके बारे में उनकी पोस्ट्स पर मासूम घरेलू मक्खियों का हत्यारा, रक्त पिपासु दानव और न जाने क्या-क्या लिख दिया! फेसबुक पर सक्रिय मानवाधिकार ग्रुप उनके पक्ष में लाबिइंग करने में लग गए! उन्हें हैजा विरोधी हैजार्ड्स योद्धा और हैल्थ शील्ड धारक आदि जैसी-जैसी अनसुनी उपाधियों से नवाजने लगे! कुल मिलाकर वे अब तक नहीं समझ पा रहे हैं कि लाइक्स और डिसलाइक्स के चक्कर में किसका पलड़ा भारी है – जीव-जंतुओं के अधिकारों की रक्षा करने वालों का या उनके पक्ष में लाबिइंग करने वालों का!
अब रम एश नामके टीनएजर का ही किस्सा ले लीजिए! रम एश को शौक था सनसनी फैलाने का! अपने दोस्तों के बीच सुर्खियों में बने रहने का! वह हर रोज नई-नई रंगतों वाले पेय पदार्थों की फोटो सोशल मीडिया पर अपडेट करता रहता था! कभी सुनहरे रंग के, कभी सुर्ख लाल रंग के, कभी बिलकुल पुखराज जैसे रंग के! लोग समझते कि बच्चा बड़ा हो रहा है! इसलिए उसे पीने-पाने का शौक लग रहा है! इस मुद्दे को लेकर तीन-वार बार घरवालों ने उसे सुधारने के लिए अच्छी तरह से कूटा भी! पर वो भी बंदा जबर्दस्त था! कुटाई के बावजूद उसने अपनी हरकतें जारी रखी! अब मुझसे नहीं रहा गया! मैंने जैसे ही उसकी ताजा पोस्ट जामों के जमघट के बीच लगी देखी तो मुझसे रहा नहीं गया! मैंने उसको फौन लगाया। मैंने कहा – क्यों बाप के पैसे बर्बाद कर रहा है रम एश! क्यों जामों के चक्कर में जमराज को जल्द बुलाना चाहता है!
मेरी बात सुनकर वह खिलखिलाती आवाज में बोला – मैडम! मेरा नाम रम एश भले ही है पर न तो मैं रम में रमा हुआ हूं और न ही बाप के पैसे से ऐश कर रहा हूं!
मैं – फिर वो सोशल मीडिया पर पोस्ट्स?
तो वह खिलखिलाहट भरे स्वर में बोला – मैडम! फोटो मे जो दिखता है वह होता नहीं है। वो तो मैं अपने दोस्तों पर रौब गालिब करने के लिए कभी चाय पत्ती से, कभी गुलाब के फूलों से, कभी पानी में हल्दी डालकर और उसे फोटो शाप से इम्प्रूव करके कलाकारी करता रहता हूं! न तो मैं पीता हूं और न ही पिलाता हूं! वो सब तो केवल हाथी के दांत हैं, दोस्तों के लाइक्स बटोरने के लिए!
उसकी बातें सुनकर मैं भी बिना मुस्कराए नहीं रह सकी! मुझे भी समझ में आ गया कि लोग लाइक्स बटोरने के लिए सच को झूठ और झूठ को भी सच बनाकर पेश करने में गुरेज नहीं करते! मैं नमन करती हूं ऐसे लाइक्स बटोरने वालों को! अब मैं इस हास्य-व्यंग्य के बारे में भी सोशल मीडिया पोस्ट बनाने जा रही हूं! देखती हूं, मुझे कितने लाइक्स मिलते हैं।
(काल्पनिक रचना )