चैप्टर—1
हमारी नन्हीं सी बेटी मौली पांचवीं क्लास में पढ़ती है। एक दिन उसे हिंदी की टीचर ने रिच बॉय और पूअर बॉय पर निबंध लिखने को कहा। अब देखिए कि उसने क्या लिखा, यह नीचे प्रस्तुत है —
रिच बॉय को पैदा होते ही आय और आया की चिंता नहीं होती पर पूअर बॉय के पैदा होते ही उसके माता—पिता आह भरने लगते हैं।
रिच बॉय अस्पताल में जन्म लेते हैं। पूअर बॉय झोपड़ पट्टी में। रिच बॉय को पैदा होते ही वेंटिलेटर वगैरह की जरूरत पड़ जाती है पर पूअर बॉय जमीन पर ही लोटपोट करके बड़े हो जाते हैं। वे जमीन यानी धरती माता और अपनी मम्मी की गोद में किलकारियां मारते रहते हैं। जबकि रिच बॉय जमीन से दूर रहने में यकीन करते हैं और पैदा होने के बाद जमीन पर पैर ही नहीं रखते।
रिच बॉय को धूल से एलर्जी होती है पर पूअर बॉय धूल से सनते रहते हैं। रिच बॉय स्पा लेते हैं, शॉवर में स्नान करते हैं जबकि पूअर बॉय किसी झरने, नदी, तालाब या कुएं पर नहा कर अपनी खुजली मिटाने में यकीन करते हैं। रिच बॉय बस से या कार से स्कूल जाते हैं। पूअर बॉय बेबस होकर बेकार में स्कूल जाते हैं — ऐसा उनके मम्मी—पापा सोचते हैं।
पूअर बॉय के मम्मी—पापा का सोचना रहता है कि अगर हमार बिटवा सकूल न जाय के कमा खाय ले तो जिंदगी आसानी से कट जैवी। इसके विपरीत रिच बॉय के मम्मी—पापा सोचते हैं कि स्कूल जितना महंगा हो उतना ही अच्छा। डोनेशन लेता हो तो और भी अच्छा। इससे इनकम टैक्स में रिबेट मिलेगी।
रिच बॉय बैगपैक लेकर स्कूल जाते हैं। पूअर बॉय पन्नी में किताबें रखकर ले जाते हैं। पूअर बॉय रबड़—पेंसिल—पेन—कॉपी पर ज्यादा खर्च नहीं करते। पर रिच बॉय पूरी स्टेशनरी की दुकान अपने साथ लेकर चलते हैं।
रिच बॉय बचपन में अंग्रेजी पढ़ते हैं, अंग्रेजी बोलते हैं और बाद में बड़े होकर अंग्रेजी पीने लगते हैं। जबकि पूअर बॉय अंग्रेजी से दूर रहते हैं और बड़े होकर देसी पउआ आदि से ही काम चला लेते हैं।
रिच बच्चों को चीजों के भाव—ताव की परवाह नहीं रहती। वे पिज्जा, बर्गर, ड्रेस आदि खरीदते समय इस बात की बिलकुल परवाह नहीं करते कि डैडी की जेब से कितना पैसा जा रहा है। जबकि पूअर बॉय चीजो के भाव सुनकर ताव खा जाते हैं। वे सोचते हैं कि यदि पिताजी ने दस रुपये दिए हैं तो मैं पांच रुपये में ही कैसे काम चला लूं और पांच रुपये बचा लूं।
पूअर बॉय मुरमुरे खाकर मरे—मरे से रहते है जबकि रिच बॉय कुरकुरे खा—खाकर कुड़—कुड़े हो जाते हैं।
रिच बॉय को एक से एक बढ़िया कपड़े पहनने मिलते हैं पर पूअर बॉय बेचारे फटे—पुराने कपड़ों में ही काम चला लेते हैं। रिच बॉय अपनी जीन्स को फाड़—फूड़कर बदन की नुमाइश करते हैं जबकि पूअर बॉय चीथड़ों से ही अपनी इज्जत ढंकने की कोशिश करते हैं। रिच बॉय एयरकंडीशंड माहौल में रहते हैं। उनकी कार में एसी, घर में एसी। पर पूअर बॉय एसी—वैसी के चक्कर में नहीं पड़ते और कुदरत के तमाम कोपों, जैसे— गर्मी, सर्दी और बरसात को हंसते—हंसते झेल लेते हैं।
क्रमश:
(काल्पनिक रचना)