शबनम मेहरोत्रा, कानपुर
राम लला
राम लला तो कण कण में है
क्या उनका पूर्णरस्थापन होगा
कहाँ गए थे पहले राम जी
जो अब उनका आवन होगा
हर पल हर क्षण हर हिंदू के हृदय में करते वास
फिर उनका हो सकता कहाँ पर सोचो खुद प्रवास
नया तो आए नही है देश में क्या अब पर्वतन होगा
लेकिन नकली राम भक्त के चेहरे से अनावरण होगा
वही गरीबी वही बेकारी महंगाई से लोग त्रस्त है
लेकिन देश के ठेकेदार सब कैसे नाम कमाने में व्यस्त है
अपना अपना काम करे सब छोड़े यह आडंबर
शबनम इससे सब कुछ देंगे वही राम है ईश्वर
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माँ की महिमा
मॉं की महिमा अपरम्पार
मॉं की महिमा अपरम्पार
साधु संत ज्ञानी विज्ञानी कोई
सका नहीं कोई पार,, माँ की,,,,
स्नेहिल कोमल दुर्गा मैया
सब पे दया बरसाती
पूर्ण समर्पण से जो बुलाता
पास उसी के आती
भक्तों की हर बाधा बला को पल में देती टार ,,,
साधु संत ज्ञानी विज्ञानी सका न कोई पार,,,,
महिषासुर का जब धरती पर ज्यादा बदा आतंक
त्रस्त हुई पृथ्वी सूरज और सागर
तथा मयंक
तब माता प्राकट्य हुई और महिषा को दी मार
साधु संत ज्ञानी विज्ञानी सका न कोई पार
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“मंदिर की मूरत”
देव देवी तो निराकार हैं ,किसने देखा रूप ?
फिर कैसे मंदिर में उनका प्रकट हुआ स्वरूप
धर्म पुस्तकों से प्रेरित हो अपने कुछ शिल्पकार
काट छाँट कल्पना से पत्थर मूरत किया तैयार
शिल्पकार की मूर्तियों में नहीं थी स्निग्ध आकर्षण
रंग बिना लगती बेनूरी न उतना सुंदर पन
सन अठारह सौ अड़तालिस में हुए एक चित्रकार
नाम था “राजा रवि वर्मा “ बहुत बड़े चित्रकार
अपनी कल्पनाओं को उसने बना लिया था मित्र
लगे आंकने देव देवी का कागज़ रंग से चित्र
राम कृष्ण भोले शंकर का था कैसा स्वरूप
विष्णु दुर्गा काली का फिर बहुत बनाए रूप
देव देवी मंदिर से निकल कर पहुंचे जन जन घर में
लेकिन सबका रूप निहित था वर्मा जी के कर में
जिन दलित का मंदिर में था तब निषेध प्रवेश
उस घर में सब देवी देवता आए लेकर रूप
जिन कल्पना चित्रों को शबनम मान लिया भगवान
वास्तव में राजा रवि वर्मा का है यह एक दान
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प्रार्थना
भरोसा तुम पर है भगवान, भरोसा तुम पर है भगवान ,
बीच भँवर में फस गई नैया भगवन कर दो समाधान ,,,,भरोसा तुम पर है भगवान
न राधा सी प्रीत है मुझ में न मीरा सी भक्ति चाहे समझ लो मुझे स्वर्थी फिर भी है आशक्ति
तेरी भक्ति में मैं डूबूँ देदो इतना ज्ञान ,,,,,
बीच भंवर में फस गई नैया कर दो समाधान ,,
द्रोपदी जैसी पूर्ण समर्पण कैसे प्रभु मैं लाए
खुद पे भरोसा करती रही तू कैसे चिर बढ़ाये
तेरी भक्ति में ढूँढूँ मैं दे दो इतना ज्ञान ,,,भरोसा तुम पर है भगवान ,,,,,
मेरी दौलत पर न जाना ये तेरा उपहार मेरे अपने छूट गये तो सब कुछ है बेकार
कोई छुटे कोई न रूठे”शबनम”
रखना ध्यान ,
भरोसा तुम पर है भगवान ,भरोसा तुम पर है भगवान ,,
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