चैप्टर—1
आहहहह! ओ! ओ! ओ!
सुबह 10 बजे के करीब अपने पति हर्षद पी मेहता के कमरे से आती ये आवाजें जब सुनंदा ने सुनीं तो वे सब काम छोड़कर उसी तरफ भागीं। जैसे ही कमरे का दृश्य देखा उनकी रूह कांप गई। कुर्सी पर हर्षद अपने सीने पर दोनों हाथ रखे निढाल से पड़े थे और कराहे जा रहे थे। सामने कंप्यूटर पर सबधाणी ग्रुप के शेयरों का ग्राफ कभी हरे रंग की लाइनों के साथ उछाल मार रहा था तो कभी लाल रंग के साथ नीचे की ओर जा रहा था। यह सब देखकर उन्हें सारा माजरा समझ में आ गया कि शायद सबधाणी ग्रुप के शेयरों में तेजी से उतार—चढ़ाव के कारण हर्षद के हार्ट पर गहरा असर हुआ है। वे बेहोश से लग रहे थे। उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। उन्हें ठंडा पसीना आ रहा था। ऐसा लग रहा था मानो वे उल्टी करने वाले हों। उन्होंने जल्दी से अपनी बेटी सोनम और गिरधर को आवाज लगाई। ये दोनों बच्चे कॉलेज जाने की तैयारियां कर रहे थे। वे मम्मी की आवाज सुनकर बदहवास सी हालत में अपने पापा के कमरे की ओर भागे।
कमरे के दरवाजे पर पहुंचकर सोनम और गिरधर ने घबराए हुए स्वर में पूछा — क्या हुआ मम्मी?
सुनंदा — लगता है शेयरों की कीमत में उतार—चढ़ाव से पापा के दिल पर गहरा असर हुआ है। इन्हें तुरंत अस्पताल ले जाना होगा।
सोनम — भइया! आप और मम्मी पापा को उठाकर गैरेज में कार के पास ले आओ। मैं तब तक कार स्टार्ट करती हूं।
यह कहकर सोनम फौरन गैरेज में खड़ी सिलेरियो कार निकालने के लिए भागते हुए निकल गई। सुनंदा और गिरधर ने हर्षद को कड़ी मशक्कत के बाद उठाया और अपने कंधों का सहारा देकर कार तक ले गए।
तब तक सोनम ने कार निकालकर स्टार्ट कर ली थी। सुनंदा और गिरधर ने मिलकर हर्षद को जैसे—तैसे कार में बिठाया और इसके साथ ही सोनम तेजी से कार चलाकर उन्हें एमजी हॉस्पिटल ले गई।
हॉस्पिटल में तमाम औपचारिकताएं पूरी होने के बाद हर्षद को अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कर लिया गया। गिरधर डॉक्टरों द्वारा सुझाई गई जांचें और दवाइयां लाने के लिए भागमभाग करता रहा। सुनंदा और सोनम हर्षद के बेड के पास चिंतित मुद्रा में बैठकर उनकी देखभाल करती रहीं। करीब दो घंटे के बाद हर्षद की तमाम जांच रिपोर्टें आ गईं। डॉ अनुराग श्रीवास्तव ने उन रिपोर्टों को देखकर कहा कि हर्षद को शायद माइल्ड अटैक आया था। जैसे ही इसका असर धीरे—धीरे खत्म होगा वे ठीक हो जाएंगे। ये शब्द सुनकर हर्षद के परिवार जनों को कुछ सुकून हुआ। करीब 12 घंटे इमरजेंसी में रखने के बाद हर्षद की हालत जब थोड़ी ठीक दिखने लगी तो डॉ श्रीवास्तव ने उन्हें प्राइवेट रूम में भर्ती करने की सलाह दी। गिरधर ने मोबाइल फोन के एप से अस्पताल के तमाम बिलों का भुगतान कर दिया। उस समय हर्षद के परिजनों को यही लग रहा था कि भले ही कितना पैसा खर्च हो जाए पर हर्षद ठीक हो जाएंगे। वे यही भाव मन में लिए ईश्वर से प्रार्थना करने में लगे रहे।
क्रमश:
(काल्पनिक कहानी )