आखिरी चैप्टर
चतुर्वेदी — एक बात यह मैं जानना चाहता हूं कि आप रोज डेली ट्रेडिंग शुरू करने से पहले खबरें वगैरह देखते हो या नहीं?
हर्षद — नहीं। मैं तो केवल यह देखता हूं कि किस शेयर में वॉल्यूम ज्यादा है या कम है। फिर यह अंदाज लगाता हूं कि फलां शेयर कितनी पीक पर जा सकता है या नीचे गिर सकता है।
चतुर्वेदी — यहीं गड़बड़ होती है। शेयर मार्केट में अंदाज से काम नहीं चलता। जिस शेयर को खरीदना या बेचना है उसके बारे में फंडामेंटल बातों और उसकी स्ट्रेंग्थ को जानना होता है। उससे जुड़ी खबरों पर नजर रखनी होती है। तब कहीं सही डिसीजन हो पाता है। शायद अंदाज से फैसले लेने की रणनीति के कारण आप सबधाणी ग्रुप के शेयरों में उतार—चढ़ाव के बारे में सही फैसला नहीं ले सके। मैं मानता हूं कि इसके शेयर अच्छी कमाई दे रहे हैं। लेकिन कुछ दिन पहले इसके बारे में ब्रिटेन से एक रिपोर्ट निकली थी — हिडेन ट्रेजर संस्था की। इस संस्था ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि सबधाणी ग्रुप के शेयरों में आर्टिफिशियल उतार—चढ़ाव किया जा रहा है। अब यह बात कितनी सच है कहना मुश्किल है। लेकिन शेयर मार्केट सेंटिमेंट से बहुत प्रभावित होता है। इस रिपोर्ट से इस ग्रुप के शेयरों के बारे में निगेटिव न्यूज ज्यादा फैली। जिसका नतीजा यह हुआ कि अब इस ग्रुप के शेयरों की कीमत आधी से भी कम रह गई है।
हर्षद — यानी मेरे शेयरों की कीमत आधी रह गई है। दस लाख के शेयरों की मार्केट वैल्यू केवल पांच लाख रह गई है!
चतुर्वेदी को लगा कि हर्षद को पुन: हार्ट की समस्या पैदा नहीं हो जाए अत: फौरन टोकते हुए बोले — हर्षद अच्छी खबर यह है कि यह खबर सामने आने के बाद ग्रुप के चेयरमैन गोविंद सबधाणी फौरन हरकत में आ गए और उन्होने निवेशकों का विश्वास बढ़ाने के उपाय शुरू कर दिए । साथ ही उन्होंने हिडेन ट्रेजर के आरोपों का जबर्दस्त खंडन किया है। इससे ग्रुप के शेयरों को लेकर बिगड़े सेंटिमेंट्स में सुधार हुआ है और इनकी कीमत फिर से बढ़ने लगी है। इसके अलावा शेयरों की ट्रेडिंग की नियामक संस्था ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। हालांकि पूरे गुबार को छंटने में कुछ वक्त लगेगा ।
हर्षद — अब हमें क्या करना चाहिए?
चतुर्वेदी — सबसे पहले तो चाय—नाश्ता करना चाहिए ताकि शरीर को एनर्जी मिल सके। देखो, हमारी इस बातचीत के दौरान ही भाभी जी जलेबी—फाफड़ा और चाय लेकर आ गई हैं। पहले इनका लुत्फ लेते हैं।
सुनंदा सेंटर टेबल पर चाय—नाश्ता रखते हुए बोलीं — इन्हें तो ये चीजें बस चखने भर को मिलेंगी। मुझे इनका केलोस्ट्रोल लेवल थोड़े ही बढ़ाना है।
हर्षद — बस, मैं भी थोड़ा सा ही चखूंगा। मुझे तो बस अपना बैंक बैलेंस बढ़ाना है। तोंद का साइज नहीं।
यह सुनकर सब हंस पड़े। चतुर्वेदी चाय की चुस्कियां लेते हुए बोले — भाई साहब! बैंक बैलेंस भी बढ़ जाएगा पर तब जब आप न तो तेजी से घबराएंगे और न ही मंदी से। अपने बाइंग एवरेज का ध्यान रखेंगे। एक बार में एक ही ग्रुप में ढेर सारा पैसा नहीं लगाएंगे और बस हर हाल में अपने लाभ की सोचेंगे और बढ़त के मौके को बेचने के लिए तथा गिरावट के मौके को खरीदने के लिए इस्तेमाल करेंगे। न ज्यादा लालच करना है और न ही किसी के बहकावे में आना है। शेयर बाजार तो सागर की तरह है। जितनी डीप स्टडी करेंगे और गहराई में जाकर मोतियों को तलाशेंगे मोती मिलने के उतने ही ज्यादा अवसर आएंगे।
चतुर्वेदी की बातों सुनकर हर्षद को विश्वास हो गया कि वे जब पूरी तैयारी के साथ डेली ट्रेडिंग में उतरेंगे तो उनके दोनों हाथों में लड्डू होंगे।
(काल्पनिक कहानी )