चैप्टर-1
बस, एक ही हफ्ता हुआ है इस वाकये को। स्थान— शिवपुरी जिले का गांव घिसौली। हुआ यों कि इस गांव के जाने—माने किसान धनीराम के यहां मूंगफली की जबर्दस्त फसल हुई। उसे झांसी के थोक बाजार में बेचने पर मिले 5 लाख रुपये! इतनी कमाई देखकर धनीराम की बाछें खिल गई और वे 1 किलो बिलकुल शुद्ध घी अपनी मूंछों पर चुपड़ने ले आए। जब उनके पड़ोसी काश्तकार मुन्ना भइया को यह बात मालूम हुई तो उनसे रहा नहीं गया। वे बिलकुल झक सफेद धोती—कुर्ता पहनकर धनीराम के घर पहुंच गए। धनीराम उस समय भैंसों का चारा—पानी कर रहे थे।
मुन्ना— लाम लाम!
धनीराम — अरे! कमबख्त कम से कम राम का नाम तो सही ढंग से लिया कर!
फिर उन्हें याद आया मुन्ना भाई तोतले हैं । वे कहना कुछ चाहते हैं पर मुंह से निकलता कुछ और है। अत: वे जो कुछ कहेंगे उसे संशोधित करके दिमाग में दर्ज करना होगा!
मुन्ना — हमने तुनो है कि तुम पांत लात की मूंदफली बाजाल में बेच आए!
धनीराम — हां, सही सुनो। इसीलिए तो मूंछों पर ताव देने के लिए एक किलो शुद्ध घी लेकर आए हैं।
मुन्ना — बांछें, हमें त्या फायदा? तछु हमाए लाने कल हो तो बताओ। हमने तुमें बताओ तो न कि मूंदफली की कौनसी बिजी थबथे बलिया है।
धनीराम कुछ सोचते हुए — हां, बताया तो था।
मुन्ना — तो हमाए लाने तछु न कल हो?
धनीराम— बताओ। तुम्हें क्या चाहिए?
मुन्ना— कई बलछें हो गईं धलवाली के हाथ तें थाना खाते—खाते। अब तछु नओ चइए। जैसे— शहल के होटल में खाबो!
धनीराम — तो होटल में खाने का दिल है। ठीक है, इसी रविवार को चलते हैं अपन झांसी के फाइव स्टार होटल सारिका में खाने को। हम अपनी घरवाली लछमी को साथ ले लेंगे और तुम अपनी घरवाली लड्डू बाई को। अगर मौड़ी—मोड़ा जाना चाहें तो उन्हें भी ले चलना। बच्चन से रौनक हो जे है।
मुन्ना — अब बच्चन को किते टेम है? उन्हें तो थेलन—तूदन देओ। अपनई छब छल हैं।
फिर तयशुदा दिन की शाम धनीराम और लछमी, मुन्ना और उनकी धर्मपत्नी लड्डूबाई तैयार होकर होटल सारिका पहुंच गए।
होटल सारिका के गेट पर उतरते ही वहां खड़े दरबान ने उन्हें सैल्यूट ठोका।
मुन्ना — जो दलबान हमें छलाम काए दे रओ?
धनीराम — उसे इसी के पैसे मिलते हैं।
फिर वे दरबान के गेट खोलने पर होटल के डाइनिंग हाल में पहुंच गए। वहां की चकाचौंध देखकर मुन्ना की आंखें फैल गईं। तभी उनके पास से एक लेडीज गुजरी। उसने ब्राउन कलर का गाउन पहन रखा था। उन्हें देखकर मुन्ना ने जो कमेंट किया धनीराम से उसे सुनते ही उसका मुंह दबा दिया।
मुन्ना — जे बोला पहनके कैसे इते पिड़ आईं?
धनीराम — बस, मुन्ना। ज्यादा कुछ मत बोलना।
तभी धनीराम के बगल से एक युवती निकली। उसने सफेद फ्रिल वाली स्कर्ट और नीले कलर का टॉप पहन रखा था।
मुन्ना — अले! पप्पू की अम्मां इन्हें देख लो। का तमाशो है। ऐसो लग लओ है जैसे उनने कमल में छाता लपेट रखो होओ। हां, बुश्कर्ट जलूल छानदाल पेनी है।
यह सुनते ही धनीराम और बाकी सब लोगों को भी हंसी आ गई। पर वे अपनी हंसी दबाकर रह गए क्योंकि उन्हे लग रहा था कि कहीं मुन्ना की बातों से कोई नया बखेड़ा खड़ा नहीं हो जाए।
क्रमशः
(काल्पनिक रचना )