जहांगीराबाद के उस घर में मातम का माहौल था। मैं पहुंची माजरा जानने। वहां मौजूद लोग गमगीन बैठे थे। एक उदासी ने सबको अपनी गिरफ्त में ले रखा था। थोड़ी देर के बाद वहां मौजूद लोगों के बीच खुसुर-पुसुर शुरू हुई।
इसके बाद सब लोगों ने बारी बारी से एक से बढ़कर एक संस्मरण सुनाए।
किसी ने मृतक को जिगर का टुकड़ा कहा तो किसी ने उसके रूप—रंग का शानदार ब्योरा दिया। यह सब सुनकर ऐसा लग रहा था मानो जो मरा वह इन सबका बहुत गहरा अजीज था और सब उसे दिल से चाहते थे।
शोक सभा में मौजूद लोगों ने बताया कि जो मर गया वह ऐसे खाता था, ऐसे पीता था, ऐसे दौड़ता था। उसकी हरकतों ने सबका मन मोह रखा था। था भी बहुत छोटा। कम उम्र, फक्क गोरा रंग, चमकते बाल। आंखें भी कितनी प्यारी थीं। वगैरह-वगैरह।
मैं काफी देर संयम से खड़ी नजारा देखती रही और वहां मौजूद लोगों की बातें सुनते रही। मैंने जब ध्यान से देखा तो पाया कि उस घर में रहने वाले दादा—दादीजी से लेकर नन्हा बबलू और उसकी बहन बबली भी मौजूद हैं। संजय अंकल और उनकी धर्म पत्नी राधिका भी बैठी है। हां, यह बात अलग है कि उनके चेहरे पर रोजमर्रा मौजूद रहने वाली वह खुशी गायब थी जिसे देखकर यदा-कदा मैं भी खुश हो लेती थी।
सबकी आंखें डबडबाई हुई थीं और मुंह से अस्पष्ट से बोल फूट रहे थे। मैंने भी वहां के माहौल को देखकर अपनी सांत्वना जता दी। मैंने कहा कि हे ईश्वर मृत आत्मा को शांति देना। उसे अगला जीवन ऐसा देना कि वह सबकी जिंदगी पर अमिट छाप छोड़ जाए।
जब शोक सभा संपन्न हो गई तो मेरे मन में कुछ खटका हुआ। जब घर के सब लोग यहां मौजूद हैं तो फिर मातम किसका हो रहा है। क्या कोई दूर का रिश्तेदार तो नहीं लुढ़क गया। कुछ देर तक मैं अपने मन में जिज्ञासा दबाए हुए बैठी रही। लेकिन ज्यों-ज्यों समय बीतता गया त्यों-त्यों धीरज जवाब देता गया।
आखिरकार मुझसे रहा नहीं गया। मैंने बबलू को इशारे से बुलाया और उसे बहला-फुसलाकर छत पर ले गई।
मैंने उसे दिलासा दिया और उससे हौले से पूछा – ‘बेटा! ये मातम किसलिए हो रहा है?’ तब बबलू ने वहां रखे एक पिंजरे की तरफ इशारा किया और उसमें रखे खाने के बर्तन दिखाए। इसके साथ ही वह यह कहते हुए फूट-फूट कर रो पड़ा – ‘वो हमारा पिंकी था ना, व्हाइट रैबिट! वह मस्त जिंदगी जी रहा था इस पिंजरे में! कल उसे बिल्ली खा गई!!!’
मैं हैरान रह गई। इस फैमिली का अपने पालतू जीव के लिए इतना प्यार देखकर हृदय भर आया। मुझे इस फैमिली पर गर्व महसूस हुआ जो कि एक जीव को इतना प्यार करती है और उसके बिछुड़ जाने पर ऐसी गमगीन होती है कि मानो कोई सगा रिश्तेदार चल बसा हो।
भले ही उनका व्हाइट रैबिट इस दुनिया से कूच कर गया हो पर उसकी स्मृतियां तो उनके हृदय में गहरे तक बैठ चुकी हैं। शायद वह उनकी यादों में लंबे समय तक जिंदा रहेगा और उन्हें आगे एक मस्त जिंदगी जीने का हौसला देते रहेगा।